Saturday, July 31, 2010

मिलिये खुद से पिछले जन्म में जाकर

इंसान धरती का सर्वाधिक समर्थ, जिज्ञासू और रहस्यों से भरा प्राणी हैं। अज्ञात को जानने की ललक उसके मन में प्रारंभ से ही रही है। जो सामने नहीं है यानि कि छुपा हुआ है, गुप्त है उसे प्रत्यक्ष करना या सामने लाना हर व्यक्ति जन्म से ही स्वाभाविक गुण है। यह सब जानते हैं कि जो होना है वह तो हो कर ही रहेगा किन्तु फिर भी अपना भविष्य फल जानने की बेसब्री और कोतुकता के कारण ही इंसान अपना समय, श्रम और सम्पत्ति तीनों दाव पर लगाता है।



इंसान के मन में आने वाले कल को जानने के साथ ही अपने पिछले जन्म के जीवन को जानने की भी प्र्रबल इच्छा होती है। रही बात अपना पिछला जन्म जानने की, तो ऐसा कर पाना कठिन किन्तु सौ फीसदी संभव है। पिछला जन्म जानना हो या भविष्य की झांकी देखना हो दोनों ही कार्य कुछ विशेष उपायों से ही संभव है। ऐसा ही एक विशिष्ट किन्तु



प्रामाणिक उपाय है -अष्टांग योग। अष्टांग योग के निर्माता एक भारतीय ऋषि पतंजलि हैं। वे अपनी पुस्तक योग-दर्शन में योगी की उस क्षमता का स्पष्ट उल्लेख करते हैं। वे अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि - संस्कारसाक्षात्करणात् पूर्व जाति ज्ञानम्।



कहने का मतलब यह है कि संयम द्वारा संस्कारों का साक्षात कर लेने से पूर्व जन्मों का ज्ञान हो जाता है। जब कोई सच्चा जिज्ञासू पूरे समर्पण के साथ लक्ष्य की और बढ़ता है तो वो इस क्षमता को प्राप्त कर लेता है।

अब नहीं होगा एक्सीडेंट

यदि आपने कोई नया वाहन खरीदा हैं और आपके मन में हमेशा यही डर बना रहता है कि आपके या आपके परिवार के किसी भी सदस्य की थोड़ी सी भी लापरवाही से कहीं आपके नए वाहन का एक्सीडेंट न हो जाए। आपकी अशुभ ग्रहों की दशा या अंतरदशा चल रही हैं या अनजाने में आपने अशुभ मुहूर्त में वाहन खरीद लिया हैं तो घबराए नहीं नीचे लिखे उपाय को अपनाकर आप किसी भी तरह की वाहन दुर्घटना को टाल सकते हैं।
- शनिवार को काले रंग की एक पोटली में काले तिल, सुपारी और सिन्दूर रखकर उसे अपने वाहन पर आगे की ओर बांध दें। इस उपाय को अपनाकर आप अपने वाहन को किसी भी तरह की दुर्घटना से बचा सकते हैं।

कैसे बढाएं बिजनेस?

अधिकतर व्यापारी अपने व्यापार में घटती बिक्री को लेकर तनाव में रहते हैं। बार-बार व्यवसाय में नुकसान हो रहा है या बनते सौदे बिगड़ जाते हैं। अनचाहा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, तो इस उपाय को एक बार जरूर करें।
- रविवार को गंगा जल लेकर उस पर फूंक मार कर २१ बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
इस जल को व्यापार स्थल पर छिड़क दें। ऐसा लगातार सात रविवार तक करें।
- सोमवार को सफेद चंदन लाकर उसे एक सप्ताह तक घर के मंदिर में रखें, धूप बत्ती दिखाएं व उसे गल्ले या तिजोरी में रखें । इस उपाय को अपनाने से निश्चित ही आपके व्यापार मे वृद्धि होने लगेगी ।

अगर नहीं मिलता मेहनत के बाद भी यश

क्या आप दिन रात मेहनत करते हैं? अपना हर काम ईमानदारी से करते हैं घर हो या आफिस अपना सारा काम व जिम्मेदारियों को निभाने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं लेकिन कोई भी आपको नहीं समझता। कितनी भी मेहनत कर ले किंतु आपको हर जगह अपयश ही मिलता है। तो ऐसे में क्या करें? ऐसे में आप इस नीचे लिखे टोटके को अपनाकर अपने हर काम का यश प्राप्त कर सकते हैं।- किसी भी शुभ मुहूर्त में सफेद आक (आकड़ा) की जड़ का पंचोपचार पूजन करें।- पूजन करते समय १०८ बार ऊं भास्कराय नम: का जाप करें।- उसके बाद किसी ताबिज में भरकर सफेद आक की अभिमंत्रित जड़ को धारण करें।इस ताबिज को धारण करने के बाद धीरे - धीरे आपको अपने कार्यों का यश मिलने लगेगा।

कैसे पाएं खूबसूरत दुल्हन?

कहते है जोडिय़ां स्वर्ग में बनती हैं और धरती पर आकर यही जोडिय़ां शादी के बंधन मे बंध जाती हैं। ऐसी ही एक सुन्दर जोड़ी है विष्णु-लक्ष्मी की, जिनके पूजन से आप भी शीघ्र ही विवाह के बंधन मे बंध सकते हैं। इसके लिए आप नीचे दिये गए कुछ दुर्लभ और अचूक प्रयोगों को अपनाएं:-

- किसी भी गुरुवार को विष्णु-लक्ष्मी जी के मंदिर जाकर सामान्य पूजन-अर्चन के
बाद विष्णु जी को कलगी (जो सहरे के ऊपर लगी होती है) चढ़ाएं।

- पांच बेसन के लड्डू चढ़ाएं। पूरी श्रद्धा के साथ जो भी पुरूष इस उपाय को
अपनाता है। उसका शीघ्र ही विवाह संपन्न हो जाता है।

- पीले रेशमी रूमाल को अपने साथ रखने और गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करने से
सुन्दर और सुशील कन्या के साथ शीघ्र ही विवाह हो जाता है।
यह टोटके विवाह मे विलंब की समस्या से निदान पाने और सुन्दर और सुशील वधु
की प्राप्ति का एक अचूक उपाय हैं।

टैक्स दो डोली उठाओ

लड़कियों के विवाह में लोगों द्वारा हर तरह की मदद की बात तो आपने सुनी होगी लेकिन बिहार का एक गांव ऐसा भी है, जहां लड़कियों की डोली तभी उठती है जब 'रंगदारी' दी जाए। बिना रंगदारी चुकाए अगर विवाह हो जाए तो संबंधित परिवार की खैर नहीं। रंगदार उस परिवार के साथ जोर-जबरदस्ती पर उतारू हो जाते हैं।

कटिहार जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर मनिहारी थाना क्षेत्र के चिमूरतला गांव के लोग यह सब झेलने के लिए विवश हैं। इस गांव में किसी घर बारात आए या वे कहीं बारात लेकर जाएं तो उन्हें रंगदारी देनी ही पड़ती है। यहां के लोगों ने इसे 'डोली टैक्स' का नाम दे दिया है।

महियारपुर ग्राम पंचायत के इस गांव में गत 14 जुलाई की रात एक परिवार को 'डोली टैक्स' न चुका पाने का खामियाजा भुगतना पड़ा। इस गांव की एक लड़की पुतुल की शादी हुई लेकिन परिवारवाले गरीबी की वजह से रंगदारी की रकम नहीं दे सके। इसके बाद रंगदारों ने पुतुल के घर में घुसकर गोलीबारी की। इससे पुतुल की नानी की मौत हो गई।

पुतुल की मां मसोमात सतमा कहती हैं कि रंगदारी वसूलने वालों ने हमसे 2,000 रुपये और लड़के वालों से 5,000 रुपये, शराब और मुर्गे का खर्च मांगा था। हम गरीब हैं, इतनी रकम नहीं दे पाए। इसलिए उन लोगों ने हमारे घर में घुसकर गोलियां चलाईं।

वह बताती हैं कि उन लोगों ने थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।

गांव की ही बसंती देवी बताती हैं कि हमने दो बेटियों की शादी तो 'डोली टैक्स' देकर कर दी लेकिन बाकी दो बेटियों की शादी में क्या होगा? इसको लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है।

वह बताती हैं कि उनका एक दामाद 'टैक्स' नहीं चुका पाया था, इसी डर से इस गांव में कभी नहीं आता।

वहीं, राजेश मंडल का कहना है कि अगर बच्चों को जन्म दिया है तो विवाह भी करना है। इसलिए हम 'टैक्स' दे देते हैं।

वह बताते हैं कि परिवार की आर्थिक हैसियत के आधार पर 'टैक्स' की मांग की जाती है। यह रकम 5,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये तक हो सकती है। लड़की वालों से ही नहीं लड़के वालों से भी 'टैक्स' वसूला जाता है।

मनिहारी अनुमंडल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) सुबोध विश्वास ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है। मामले की जांच की जा रही है। साथ ही आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी भी की जा रही है।

ऑफिस में मिनी स्कर्ट पहना तो घर वापस

ब्रिटेन के कुछ ऑफिसों में आजकल महिलाओं को मिनी स्कर्ट पहनने पर रोक लगा दी गई है। आदेश में कहा गया है कि महिलाओं को ऑफिस कल्चर की शोभा बढ़ाने के लिए कपड़े पहनने पर बदलाव लाना होगा।

केइली मेइल के अनुसार साउथेम्पट सिटी काउंसिल की चिल्ड्रन सर्विस डिपार्टमेंट ने ४क्क् से ज्यादा कर्मचारियों को एक पत्र लिखकर अपने काम के अनुसार कपड़ा पहनने की सलाह दी है।

लेटर में कहा गया है कि अगर महिलाएं मिनी स्कर्ट पहनकर ऑफिस में आती हैं तो उन्हें वापस भेज दिया जाएगा। साथ ही पुरुषों को पीला शर्ट और कॉटन ट्राउजर पहनकर ऑफिस में आने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि महिलाएं भी ट्राउजर, फॉर्मल ड्रेस के साथ सही लंबाई की स्कर्ट पहन सकती हैं। लेकिन मिनी स्कर्ट महिलाएं कतई न पहनें।

Friday, July 30, 2010

ऐसी-वैसी नहीं है यह अंडरवियर!

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पुरुषों के लिए एक ऐसी खास अंडरवियर तैयार की है जिसमें शरीर के तापमान, ब्लड प्रैशर, हॉर्ट बीट आदि को नापने के लिए इलेक्ट्रानिक बायोसेंसर लगाया गया है। इस अंडरवियर के बारे में कहा गया है कि यह बेहद आरामदायक, मजबूत, स्टाइलिश है और पहनने वाले का जीवन बचाने में मदद करेगी।

इस अंडरवियर को विकसित करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, सेन डिएगो के प्रोफेसर जोसेफ वांग का कहना है कि इसे विकसित करते वक्त हमने रिमोट मॉनीट्रिंग के जरिए घर पर ही बुजुर्गो को व्यक्तिगत देखभाल देने का ख्याल रखा है। इसके जरिए हॉर्ट अटैक, शुगर के स्तर में बदलाव और शरीर में अन्य बदलावों पर निगरानी रखी जा सकेगी।

वांग कहते हैं कि अंडरवियर में लगे बॉयोसेंसर एथलीट्स के लिए भी उपयोगी होंगे। इससे उन्हें अपने शरीर संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी। इस अंडरवियर को विकसित करने के प्रोजैक्ट को अमेरिका की सेना ने फंड किया है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी सैनिक ही इसे सबसे पहले पहनेंगे।

डांस करो, जूते से चार्ज होगा मोबाइल फोन

ब्रिटेन में ग्लॉस्टनबेरी म्यूजिक फेस्टिवल का मजा लेने आए लोग अपने मोबाइल के चार्ज करने की चिंता से मुक्त हो जाएंगे। यूके म्यूजिक फेस्टिवल के लिए ऐसे विशेष जूते बनाए गए हैं जो मोबाइल फोन को चार्ज करेंगे।

स्काई न्यूज की एक खबर के मुताबिक मोबाइल फोन ऑपरेटर ओरेंज ने ऐसे गम बूट्स लांच किए हैं जो पॉवर जेनरेटिंग सोल के जरिए मोबाइल को चार्ज कर सकेंगे।

12 घंटे तक म्यूजिक फेस्टिवल के दौरान डांस करने या चलहकदमी करने पर यह जूते इतनी ऊर्जा उत्पादित करेंगे की एक घंटे तक फोन चार्ज किया जा सके। ऊर्जा विशेषज्ञ गॉटविंड द्वारा विकसित यह जूते चहलकदमी के दौरान पैरों में पैदा होने वाली गर्मी को बिजली में बदलेंगे।

ओरोंज स्पांसरशिप हेड एंड्रयू पियरसे का कहना है कि ओरोंज ग्लॉस्टनबरी फेसटिवल के ग्रीन कार्यक्रम के तहत नई ऊर्जा तकनीकों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने ऐसे जूते विकसित किए हैं जो फेसटिवल के दौरान लोगों का उनके परिवार वालों से जोड़े रखेंगे।

'मरी हुई औरत' प्रेमी संग गिरफ्तार

सुनने में अजीब जरूर लग रहा है लेकिन यह खबर पूरी तरह से सच है। केरल के पथनमथिट्टा जिले में अपने परिवारवालों द्वारा कथित तौर पर मरा समझकर दफना दी गई एक महिला को उसके प्रेमी संग गिरफ्तार किया गया है।

महिला की गिरफ्तारी के बाद पुलिस का कहना है कि पकड़े गए आदमी के साथ कुछ दिन पहले यह महिला घर से भाग गई थी। पुलिस ने बताया कि तीन बच्चों की मां (27) शाइनी 2009 के अगस्त महीने से ही गायब थी। वह अपने पड़ोसी कालेश (30) के साथ घर से भाग गई थी। हालांकि इस बारे में घर के किसी भी व्यक्ति को कुछ भी पता नहीं था। घर से भागने के बाद शाइनी के घरवालों को 10 दिन पहले नजदीक के तालाब में एक लाश मिली थी जिसे उन्होंने शाइनी का शव समझकर अंतिम संस्कार कर दिया था।

फिर भी शंकावश घरवालों ने पुलिस में शाइनी के भागने की एक शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद अब पुलिस ने कालेश के मोबाईल फोन से होने-वाली बातचीत से प्राप्त जानकारी के आधार पर दोनों को पकड़ा। हालांकि पुलिस असमंजश में है कि जिस लाश को लड़की के घर वालों ने जलाई थी वह कौन थी। पुलिस जांच-पड़ताल कर रही है।

Thursday, July 29, 2010

यहां है आधा शिव आधा पार्वती रूप शिवलिंग

धार्मिक दृष्टि से पूरा संसार ही शिव का रुप है। इसलिए शिव के अलग-अलग अद्भुत स्वरुपों के मंदिर और देवालय हर जगह पाए जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर स्थित है - हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित काठगढ़ महादेव। इस मंदिर का शिवलिंग ऐसे स्वरुप के लिए प्रसिद्ध है, जो संभवत: किसी ओर शिव मंदिर में नहीं दिखाई देता। इसलिए काठगढ़ महादेव संसार में एकमात्र शिवलिंग माने जाते हैं, जो आधा शंकर और आधा पार्वती का रुप लिए हुए है। यानि एक शिवलिंग में दो भाग हैं। इसमें भगवान शंकर के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप के साक्षात दर्शन होते हैं। शिव रुप का भाग लगभग ७ फुट और पार्वती रुप का शिवलिंग का हिस्सा थोड़ा छोटा होकर करीब ६ फुट का है। इस शिवलिंग की गोलाई लगभग ५ फिट है।
शिव और शक्ति का दोनों के सामूहिक रुप के शिवलिंग दर्शन से जीवन से पारिवारिक और मानसिक दु:खों का अंत हो जाता है।
शिवपुराण की कथा अनुसार जब ब्रह्मा और विष्णु के बीच बड़े और श्रेष्ठ होने की बात पर विवाद हुआ, तब बहुत तेज प्रकाश के साथ एक ज्योर्तिलिंग प्रगट हुआ। अचंभित विष्णु और ब्रह्मदेव उस ज्योर्तिलिंग का आरंभ और अंत नहीं खोज पाए। किंतु ब्रह्मदेव ने अहं के कारण यह झूठा दावा किया कि उनको अंत और आरंभ पता है। तब शिव ने प्रगट होकर ब्रह्म देव की निंदा की और दोनों देवों को समान बताया। माना जाता है कि वही ज्योर्तिमय शिवलिंग ही काठगढ़ का शिवलिंग है।
चूंकि शिव का वह दिव्य लिंग शिवरात्रि को प्रगट हुआ था, इसलिए लोक मान्यता है कि काठगढ महादेव शिवलिंग के दो भाग भी चन्द्रमा की कलाओं के साथ करीब आते और दूर होते हैं। शिवरात्रि का दिन इनका मिलन माना जाता है।
काठगढ़ में सावन माह और महाशिवरात्रि के दिन विशेष शिव पूजा और धार्मिक आयोजन होते हैं। इसलिए इस समय काठगढ़ की यात्रा सबसे अच्छा मानी जाती है।
काठगढ़ शिवलिंग दर्शन के लिए पहुंचने का मुख्य मार्ग पंजाब का पठानकोट और हिमाचल प्रदेश के इंदौरा तहसील से है। जहां से काठगढ़ की दूरी लगभग ६ से ७ किलोमीटर है।

ऐसे बचें अशुभ सपनों से

स्वप्न ज्योतिष के अनुसार स्वप्न चार प्रकार के होते हैं। पहला दैविक, दूसरा शुभ, तीसरा अशुभ और चौथा मिश्रित। दैविक व शुभ स्वप्न कार्य सिद्ध की सूचना देते हैं। अशुभ स्वप्न कार्य असिद्धि की सूचना देते हैं तथा मिश्रित स्वप्न मिश्रित फलदायक होते हैं। यदि पहले अशुभ स्वप्न दिखे और बाद में शुभ स्वप्न दिखे तो शुभ स्वप्न के फल को ही पाता है। अगर आपको लगातार बुरे सपने आते हों तो उसके अशुभ फल से बचने के लिए यह उपाय आपके लिए लाभदायक हो सकते हैं-
1- बुरे स्वप्न को देखकर यदि व्यक्ति उठकर पुन: सो जाए अथवा रात्रि में ही किसी से कह दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है।
2- सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल नष्ट करने के लिए प्रार्थना कर तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सामने स्वप्न कह दें। इससे भी बुरे सपनों का फल नष्ट हो जाता है।
3- अपने गुरु का स्मरण करने से भी बुरे स्वप्नों के फलों का नाश हो जाता है।
4- धर्म शास्त्रों के अनुसार रात में सोते समय भगवान विष्णु, शंकर, महर्षि अगस्त्य, कपिल मुनि का स्मरण करने से भी बुरे सपने नहीं आते।

बाप रे! इतना छोटा आदमी

सिर्फ दो फिट और 6 इंच ऊंचाई वाला चीन का 40 वर्षीय व्यक्ति दुनिया का सबसे नाटा व्यक्ति होने का दावा किया है। इसके पहले दुनिया में सबसे नाटे व्यक्ति का कीर्तिमान चीन के ही पिंगपिंग के नाम था। पिंगपिंग के निधन के बाद अब होंग कैक्यू ने सबसे नाटे व्यक्ति होने का दावा किया है।

40 वर्षीय होंग का वजन सिर्फ १२ किलोग्राम है। होंग का जन्म फरवरी 1970 में हुआ था। होंग की मां ने बताया कि होंग मेरा दूसरा और एकमात्र बेटा है। जबकि सबसे बड़ी बात यह है कि होंग के अन्य परिवार वालों की लंबाई सामान्य है।

होंग ने कहा कि मैं जब छोटा था तब मेरी मां मुझे गोद में उठाए रहती थी लेकिन अब देखो जब मैं 40 वर्ष का हो गया हूं तब भी अपनी मां के ही गोद में रहता हूं। मेरे सभी दोस्त आज मस्त शरीर वाले हैं लेकिन भगवान ने मेरी लंबाई बढ़ने ही नहीं दी। उसने कहा कि आज भी ज्यादातर लोग मुझे बच्च ही समझ बैठते हैं। ४क् वर्षीय होंग मौजूदा समय में चीन के सुचियान क्षेत्र में अपनी मां के साथ रहते हैं।

जानें शिव व सावन के बारे में

सावन मास में शिव आराधना का विशेष फल मिलता है। इस संबंध में धर्म शास्त्रों में भी कई उल्लेख मिलते हैं। इस महीने में भक्त अलग-अलग माध्यमों से शिव भक्ति में डूब जाते हैं। सावन में प्रकृति की छटा भी देखते ही बनती है। रिमझिम बारिश, झूले और इनके साथ ही शिव की भक्ति, सावन के महीने को पूरी तरह धर्ममय बना देती है।
अपने पाठकों को शिव तथा सावन से संबंधित रोचक जानकारियां देने के उद्देश्य से हमने विशेष उत्सव पेज तैयार किया है, जिसमें आप पाएंगे- शिव से जुड़े तांत्रिक उपाय, ज्योतिष निदान, कथाएं, रोचक बातें, प्रमुख मंदिरों की जानकारी, विभिन्न अवतार, कावड़ यात्रा की जानकारी, नित्य पूजा करने की विधि, पूजन मंत्र, सावन का धार्मिक तथा मनोवैज्ञानिक पक्ष आदि।
शिव तथा सावन से जुड़ी यह सामग्री आपके जीवन में भक्ति, ऊर्जा तथा उत्साह का संचार करेंगी। यह सामग्री आप पाएंगे सिर्फ उत्सव पेज पर।


वैवाहिक सुख बढ़ाता है - संभोग व्रत

हिन्दू संस्कृति और धर्म ग्रंथों में चार पुरुषार्थ बताए गए हैं - धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष। मानव के जन्म से लेकर मृत्यु तक इन पुरुषाथों को पाने के लिए अनेक संस्कार और धार्मिक व्यवस्थाएं नियत की गई है। इन पुरुषार्थों में काम का महत्व वैवाहिक संस्कार द्वारा गृहस्थ जीवन में बताया गया है। लेकिन वैवाहिक जीवन में कोई व्यक्ति भोगी या विलासी होकर जीवन की अन्य जिम्मेदारियों से दूर न हो जाए। इसलिए प्राचीन ऋषि-मुनियों ने ऐसे व्रत का पालन करने का विधान बनाया, जिससे व्यक्ति का वैवाहिक जीवन संयमित, सुखी और जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए पूरा हो। यह व्रत है - संभोग व्रत।

इस व्रत का पालन हिन्दू पंचांग के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा यानि एकम और पंचमी तिथि को किया जाता है। इस व्रत में मुख्य रुप से भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। जो पंचदेवों में शामिल है। सूर्यदेव निरोग रखने वाले और आत्मज्ञान देने वाले देव हैं।

प्रात: स्नान कर पूरी पवित्रता के साथ सूर्य की प्रतिमा का गंध, फूल, अक्षत सहित १६ तरीकों से पूजन और उपासना की जाती है। दिन में एक बार बिना नमक का भोजन करें।

रात्रि में पति या पत्नी के साथ शयन करने पर भी ब्रह्मचर्य का पालन करें। शारीरिक संबंध या अन्य भोग क्रियाओं से दूर रहें।

इस व्रत के पालन से व्यक्ति ऊर्जावान, स्वस्थ, सबल रहता है और लंबे समय तक वैवाहिक सुखों की प्राप्ति कर धार्मिक दृष्टि से पुण्य का भागी भी बनता है।

मर्यादा सीखें रामायण से

रामायण में ऐसे कई गूढ़ रहस्य छिपे हैं जो वर्तमान समय में हमें जीने की सही राह दिखाते हैं। रामायण में मर्यादाओं के पालन पर विशेष जोर दिया गया है। रामायण में ऐसे कई प्रसंग आते हैं जहां भगवान श्रीराम ने मर्यादाओं के पालन के लिए त्याग कर आदर्श उदाहरण पेश किया। श्रीराम ने मर्यादा के पालन के लिए 14 साल का वनवास भी सहज रूप से स्वीकार कर लिया। इसीलिए उन्हें मर्यादापुरुषोत्तम कहा गया।
रामायण में ऐसे भी कई प्रसंग आते हैं जहां मर्यादा का पालन न करने पर पराक्रमी व बलशाली को भी मृत्यु का वरण करना पड़ा। जब भगवान राम ने किष्किंधा के राजा बालि का वध किया तो उसने भगवान से प्रश्न पूछा-
मैं बेरी सुग्रीव प्यारा
कारण कवन नाथ मोहि मारा,
प्रति उत्तर में जो बात राम ने कही वह मर्यादा के प्रति समर्पण को दर्शाती है-अनुज वधू, भग्नी, सुत नारी,सुन सठ ऐ कन्या सम चारीअर्थात अनुज की पत्नी, छोटी बहन तथा पुत्र की पत्नी। यह सभी पुत्री के समान होती है। तुमने अपने अनुज सुग्रीव की पत्नी को बलात अपने कब्जे में रखा इसीलिए तुम मृत्युदंड के अधिकारी हो।
ऐसे ही मानवीय संबंधों को मर्यादाओं में बांधा गया है। इस प्रकार मर्यादाएं व्यक्ति के मन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती है। वर्तमान समय में जहां पाश्चात्य सभ्यता हमारे बीच घर करती जा रही हैं वहीं रामायण एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो हमें मर्यादाओं की शिक्षा दे रहा है।

माहवारी में कैसे करें व्रत पालन

सनातन धर्म में मानव जीवन के कल्याण के लिए अनेक व्रत-विधान बताए गए हैं। इनमें अनेक व्रत स्त्रियों के लिए नियत है। उन व्रतों के पालन के लिए धार्मिक नियम-संयम और पवित्र आचरण का महत्व बताया गया है। किंतु प्राकृतिक रुप से स्त्रियों के लिए कुछ स्थितियों ऐसी आती है। जिनके कारण व्रत पालन की निरंतरता में बाधा आती है। इनमें से एक कारण है - स्त्री का रजस्वला होना यानि मासिक चक्र।



मासिक या किसी विशेष व्रत के संकल्प के दौरान मासिक चक्र आने पर व्रत को लेकर हर स्त्री के मन में शंका, संशय और व्रत भंग होने के कारण धर्म दोष की पीड़ा रहती है। इन व्रतों में मुख्यत: प्रतिमाह आने वाले एकादशी, संकष्टी चतुर्थी, प्रदोष व्रत आदि हैं। यह धर्मसंकट उस समय ज्यादा पीड़ादायक होता है। जब महिलाएं विशेष कामनाओं की प्राप्ति के लिए सोलह सोमवार या सोलह शुक्रवार के व्रत रखती है। शास्त्रों में व्यावहारिक रुप से इसका उपाय भी बताया गया है-



मासिक च्रक के दौरान व्रत पालन को लेकर संशय दूर करने के लिए सबसे पहली बात है कि व्रत संख्या में उस दिन को न गिना जाए। इस दौरान व्रत रखें। किंतु यह भी जरुरी है कि किसी भी तरह से भगवान की उपासना और देव पूजा में शामिल न होवें। यही नियम मासिक और सोलह सोमवार आदि संकल्प व्रतों में व्यवहार में अपनाए। इससे व्रत भंग का दोष नहीं लगता और व्रत धर्म का पालन भी हो जाता है।



ऐसा करने पर मात्र व्रत की अवधि बढ़ जाती है। जैसे अगर आपने १६ सोमवार का व्रत लिया है तो १६ सप्ताह के स्थान पर मासिक चक्र के दिन आए सोमवार को न गिनने से यह व्रत अवधि १७ वें सप्ताह के सोमवार पर पूरी होती है।



दूसरा संशय यह कि अगर व्रत के दिन ही स्त्री रजस्वला हो जाए। तब क्या करें। तब भी ऊपर लिखी बात का ही पालन करें यानि मासिक चक्र आते ही देवकार्य और पूजा से अलग हो जाएं, किंतु व्रत रख सकते हैं।

प्रसव पीड़ा कम करे - प्रसव पीड़ाहर व्रत

हर स्त्री के लिए मातृत्व सुख संसार का सबसे अहम सुख माना जाता है। जीवन में हर स्त्री बेटी, बहन, बहू के रुप में परिवार में अलग-अलग रिश्तों को निभाती है। लेकिन स्त्री माँ बनने के बाद ही एक संपूर्ण स्त्री होने का एहसास पाती है। वह मॉं होने का ऊंचा दर्जा पाती है, जिसे प्रकृति और ईश्वर द्वारा उसे ही दिया गया है। यह उसके जीवन का कभी न भूलने वाला सुखद समय होता है।
इसके दूसरे पहलू पर विचार करें तो यह किसी भी स्त्री के लिए शारीरिक और व्यावहारिक रुप से पीड़ा का समय होता है। जिसे प्रसव पीड़ा भी कहते हैं। यह स्त्री के लिए एक कठिन और जोखिम भरा क्षण भी होता है। इससे गुजरकर और सहन कर वह स्वयं के साथ परिवार को खुशियां देती है। इसलिए वह जननी और शक्ति के रुप में जानी जाती है।
प्राचीन ऋषि-मुनियों ने अपने ज्ञान और दूरदर्शिता से मानव जीवन से जुड़ी हर पीड़ा को समझकर उससे निजात पाने के उपाय बताए हैं। धर्म ग्रंथों में यह उपाय व्रत उपवास के रुप में बताए गए हैं। धर्म और ईश्वर में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति इनके पालन से कष्टों और पीड़ाओं से मुक्त होकर सुफल पाता है।
स्त्री के गर्भधारण से लेकर प्रसूति तक अनेक सावधानियां, चिकित्सीय उपाय अपनाए जाते हैं। जिससे सुरक्षित प्रसव हो और संतान प्राप्ति के रुप में मनोवांछित और सुखद फल मिले। धर्मग्रंथों में भी इसी भावनाओं को समझकर प्रसव पीड़ा हर व्रत के पालन के रुप में एक सरल प्रयोग बताया गया है, जो न केवल गर्भवती की प्रसव पीड़ा को कम करेगा बल्कि उसे निर्भय और मानसिक रुप से सबल बनाता है। जानते हैं इसकी विधि
- प्रसव की तारीख और समय नजदीक आने पर लगभग पांच या सात दिन पूर्व से गर्भवती की माँ या सास या देखरेख करने वाली निकट संबंधी व्रत रखे। हर दिन पलाश के पत्तों के दोने या कटोरी में तिल का तेल भरें। उसमें २१ स्वच्छ और पवित्र दुर्वा लेकर तेल में धीरे-धीरे घुमावे। हर बार दुर्वांकुर घुमाने पर यह मंत्र बोलें -
हिमवत्युत्तरे पार्श्र्वे शबरी नाम यक्षिणी ।
तस्या नूपुरशब्देन विशल्या स्यात्तु गर्भिणी ।।
इक्कीस बार इस मंत्र का जप हो जाने पर दोने में से थोडा-सा तेल गर्भवती को पिला दें। सहयोगी व्रती स्त्री इस मंत्र का प्रसूति के दौरान जाप करती रहे। ऐसे व्रत पालन से प्रसव और गर्भावस्था की पीड़ा कम होती है। साथ ही सुरक्षित और सुखद प्रसव होता है।

पुत्र जन्म की कामना पूरी करे - पुत्र प्राप्ति व्रत

bala_310मनुष्य जीवन में कामनाओं का कोई अंत नहीं है। एक कामना पूरी होते ही अन्य कोई कामना पैदा होती है। किंतु मनुष्य जीवन में कुछ कामनाएं ऐसी है, जिनका संबंध मात्र व्यक्ति विशेष से नहीं होता, बल्कि इसका संबंध ब्रह्म के द्वारा रची गई सृष्टि संचालन की महत्वपूर्ण सृजन क्रिया से है। इस कामना की पूर्ति गृहस्थ जीवन के सुखद क्षणों और स्मृतियों में शामिल होती है। यह है पुत्र प्राप्ति की कामना । हिन्दू धर्म शास्त्रों में गृहस्थ जीवन में ऐसी ही सुखद कामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत विशेष का विधान हैं। उन्हीं में से एक है - पुत्र प्राप्ति व्रत। १८ मई पंचमी तिथि को या १९ मई से षष्ठी तिथि से यह व्रत प्रारंभ किया जा सकता है।

यह व्रत वैशाख शुक्ल षष्ठी को रखा जाता है और एक वर्ष पर्यंन्त तक करने का विधान है। यह तिथि व्रत है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के द्वारा बताया गया है। पुत्र प्राप्ति की कामना करने वाले दंपत्ति के लिए इस व्रत का विधान है। इस व्रत में स्कन्द या कार्तिकेय स्वामी की पूजा और आराधना की जाती है। कार्तिकेय स्वामी शिव पुत्र होकर पूजनीय देवता हैं। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय स्वामी का जन्म हुआ था। संसार को प्रताडित करने वाले तारकासुर के वध के लिए देव सेना का प्रधान बनने के लिए ही उनका जन्म हुआ था। इसलिए उनकी यह प्रिय तिथि है। वह ब्रह्मचारी रहने के कारण कुमार कहलाते हैं। योग मार्ग की साधना में कातिके य स्वामी पावन बल के प्रतीक हैं। तप और ब्रह्मचर्य के पालन से जिस बल या वीर्य की रक्षा होती है, वही स्कन्द या कुमार माने जाते हैं। इस दृष्टि से स्कन्द संयम और शक्ति के देवता है। शक्ति और संयम से ही कामनाओं की पूर्ति में निर्विघ्न होती है। इसलिए इस दिन स्कन्द की पूजा का विशेष महत्व है।

व्रत विधान के अनुसार पंचमी से युक्त षष्टी तिथि को व्रत के श्रेष्ठ मानी जाती है। व्रती को वैशाख शुक्ल पंचमी से ही उपवास करना आरंभ करे। वैशाख शुक्ल षष्ठी को भी उपवास रखते हुए स्कन्द भगवान की पूजा की जाती है। दक्षिण दिशा में मुंह रखकर भगवान को अघ्र्य देकर दही, घी, जल सहित अन्य उपचार मंत्रों के द्वारा पूजा करनी चाहिए। साथ ही वस्त्र और श्रृंगार सामग्रियां जैसे तांबे का चूड़ा आदि समर्पित करना चाहिए। दीप प्रज्जवलित कर आरती करना चाहिए। स्कन्द के चार रुप हैं - स्कन्द, कुमार, विशाख और गुह। इन नामों का ध्यान कर उपासना करना चाहिए। व्रत के दिन यथा संभव फलाहार करना चाहिए। व्रती के लिए तेल का सेवन निषेध है।

इस व्रत को श्रद्धा और आस्था के साथ वर्ष पर्यन्त करने पर पुत्र की कामना करने वाले को पुत्र प्राप्ति होती है। साथ ही संतान निरोग रहती है। यदि व्रती शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर व्रत पालन करता है तो स्वास्थ्य का इच्छुक निरोग हो जाता है। धन क ी कामना करने वाला धनी हो जाता है।

विवाह और शरीर बाधा दूर करे - मंगलवार व्रत

हिन्दू धर्म में मंगल ग्रह को अंगारक, भौम, कुजा नाम से भी जाना जाता है। मंगल ग्रह को भूमि पुत्र कहा गया है। भारतीय ज्योतिष विज्ञान में मंगल ग्रह को उदारता, पराक्रम और पवित्रता का देव माना गया है। मंगल देव का वास मंगल लोक माना गया है। इसलिए इनको मंगलवार का स्वामी भी कहा गया है।
व्यक्ति की जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह दोष की शांति के लिए मंगलवार व्रत का महत्व बताया गया है।
इसकी अनुकूल दशा व्यक्ति को विवाह सुख, संतान सुख, सम्मान देने के साथ ऋण और खून में आए दोषों से मुक्ति देती है। वहीं बुरी दशा में व्यक्ति खून, नेत्र, गले के रोग से ग्रसित हो जाता है। पति-पति के लिए भी जीवन के लिए घातक और मारक हो सकता है।
अत: मंगल दोष के लिए की शांति के लिए किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार को व्रत शुरु करना चाहिए। इस दिन स्वाति नक्षत्र का योग हो तो वह शुभ माना जाता है।
इस व्रत में मंगल ग्रह की मूर्ति की पूजा और आराधना की जाती है। इस व्रत के पूजा और अनुष्ठान किसी विद्वान ब्राह्मण से कराया जाना विशेष फल देने वाला होता है। मंगलवार के यह व्रत ४५ या २१ व्रत करने का विधान है। इसके बाद इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों द्वारा रखा जा सकता है।
पूजा विधान में लाल रंग की वस्तु और सामग्रियों के चढ़ावे और दान का महत्व है। क्योंकि मंगल ग्रह को रक्तवर्णी माना गया है। व्रत में एक भुक्त यानि एक बार रात्रि में ही भोजन किया जाता है। शास्त्रोक्त नियम, संयम, श्रद्धा और आस्था मंगल देव की पूजा और व्रत कुण्डली और जीवन के सभी बुरे योग और दोष मिट जाते हैं।
यह व्रत विशेष रुप से कुंवारी कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए विशेष फलदायी होता है। कन्याएं जहां सुयोग्य वर पाती हैं, वहीं विवाहिता अखण्ड सौभाग्य और सुख पाती हैं। इसी प्रकार पुरुषों के लिए भी सभी शारीरिक, मानसिक बाधाएं दूर होती है। ऋणों से छुटकारा मिलता है, सुख, शांति, सौभाग्य और संतान सुख मिलता है।


Wednesday, July 28, 2010

मिथुन के लिए कौन सी राशि की पत्नी सर्वश्रेष्ठ?

क्या आपके पति मिथुन राशि के है? या आप मिथुन राशि वाले पुरुष को अपना जीवन साथी चुनना हैं? तो जानिए मिथुन राशि की जोड़ी किस राशि के अच्छी रहेगी...
मिथुन पुरुष और मेष स्त्री
मिथुन राशि वाले पुरुष मेष राशि की स्त्री की ओर बहुत जल्द ही आकर्षित हो जाते हैं। इनकी जोड़ी काफी रोमांटिक रहती है। यह यात्राएं करना पसंद करते हैं। इनमें शारीरिक आकर्षण बहुत अधिक होता है।
मिथुन पुरुष और वृष स्त्री
वृष राशि की स्त्रियां वास्तविकता में यकीन रखती हैं और यह योजनाओं ठीक से लागू करने में पति की मदद करती हैं। इनका जीवन काफी हद तक सुखमय माना जा सकता है।
मिथुन पुरुष और मिथुन स्त्री
मिथुन राशि वाले हमेशा कुछ नया करने के लिए प्रयास करते रहते हैं। मिथुन राशि की स्त्रियां हमेशा हंसती रहती है और हर परिस्थिति का सामना कर लेती हैं। इस जोड़ी में तकरार भी होती है और प्यार भी बहुत रहता है।
मिथुन पुरुष और कर्क स्त्री
सामान्यत: यह जोड़ी एक-दूसरे ठीक से समझ ही नहीं पाती है। अधिकांश समय इनके बीच तनाव की स्थिति बनी रहती है। कर्क राशि की स्त्रियां फिजूलखर्च पसंद नहीं करती है।
मिथुन पुरुष सिंह स्त्री
सिंह राशि की स्त्रियां बदलाव पसंद करती हैं। एक जैसा जीवन इन्हें पसंद नहीं आता। यदि जीवन साथी इनकी ख्वाहिशें पूरी करते रहे तो यह खुश रहती हैं।
मिथुन पुरुष और कन्या स्त्री
कन्या राशि की स्त्री बहुत जल्द नाराज हो जाती हैं। वैसे यह जोड़ी एक दूसरे की भावना को समझते हैं परंतु फिर भी कई बार इनके बीच मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं।
मिथुन पुरुष और तुला स्त्री
तुला राशि की स्त्रियां हर समस्या से अच्छे से निपट लेती हैं। मिथुन राशि के पुरुष भी काफी चतुर होते हैं। इनके बीच सामंजस्य ठीक रहता है।
मिथुन पुरुष और वृश्चिक स्त्री
यह जोड़ी एक दूसरे के प्रति हमेशा वफादार बने रहना चाहती है। फिर भी छोटी-छोटी बातों के पीछे इनके बीच तनाव बढ़ जाता है। अन्य लोगों पर जल्दी विश्वास कर लेते हैं।
मिथुन पुरुष और धनु स्त्री
धनु राशि की स्त्रियां खुले विचारों वाली और बहुत भावुक होती है। कई मिथुन राशि के पुरुष कोई भी निर्णय बहुत जल्दबाजी में लेते हैं। इस जोड़ी का जीवन सामान्य रहता है। ये एक दूसरे की भावनाओं की कद्र भी करते हैं।
मिथुन पुरुष और मकर स्त्री
मकर राशि की स्त्रियां हिसाब-किताब की बहुत पक्की होती हैं। घर में इनकी ज्यादा चलती हैं। मिथुन राशि के पुरुष इनके साथ अच्छा जीवन व्यतीत करते हैं। मकर राशि की स्त्रियां को मनाना काफी कठिन होता है।
मिथुन पुरुष और कुंभ स्त्री
यह जोड़ी एक-दूसरे बाते करना बहुत अधिक पसंद करती है। ये आपस कई गलतियां करते रहते हैं। इस जोड़ी में प्रेम बहुत रहता है।
मिथुन पुरुष और मीन स्त्री
मीन राशि की स्त्रियां खुद को हर परिस्थिति में संभाल लेती हैं। अपने जीवन साथी की बातों को मानती हैं। मिथुन राशि वाले भी इस राशि की स्त्री का साथ पसंद करते हैं।

Sunday, July 25, 2010

सेक्स से बढ़कर है फेसबुक

स्कॉटलैंड में लगभग 50 फीसदी लोग करोड़पति बनने के लिए एक साल तक सेक्स का त्याग कर सकते हैं। इसके मुकाबले सिर्फ 33 फीसदी लोग ही करोड़पति बनने के लिए फेसबुक को छोड़ना बेहतर समझेंगे। इसका मतलब है कि लोगों के लिए फेसबुक सेक्स से बढ़कर है। यह सर्वे एक वेबसाइट इंटरकैसिनो द्वारा कराया गया।

चार महिलाओं में से एक ने कहा कि वे करोड़पति बनने के लिए किसी भी अजनबी के साथ सो लेंगी। इनके मुकाबले 45 फीसदी पुरुष ऐसा करने को तैयार थे। कुल मिलाकर 40 फीसदी लोगों ने कहा कि यदि वे कल ही करोड़पति बन जाएं तो शैंपेन में डूबने और प्राइवेट जेट में आसमान नापने की बजाय वे अपने पुराने माहौल को बरकरार रखना चाहेंगे।

Saturday, July 24, 2010

क्‍या है एंजेलिना के जीवन का काला सच

‘एंजेलिना एन अनऑथोराइज्‍ड बॉयोग्राफी’ के मार्केट में आने से एंजेलिना बहुत आहत है। उन्‍होंने कहा है कि हर व्‍यक्ति के जीवन में बुरा वक्‍त आता है। मेरे जीवन में बुरा वक्‍त आया। लेकिन मैं अपने आप से सीखी।


ब्रैड पिट का मेरे जीवन में बहुत ज्‍यादा महत्‍व है क्‍योंकि उसने मेरे व्‍यक्तित्‍व को सबसे ज्‍यादा निखारा है। जब दो लोग साथ रहते हैं तो दोनों एक दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं। हमदोनों बहुत अच्‍छे पार्टनर है। मुझे यहां तक पहुंचाने में ब्रैड का बहुत बड़ा योगदाना है। मैं उसके साथ सुरक्षित महसूस करती हूं।


गौरतलब है कि एंजेलिना जोली की दाई ने एंजेलिना पर किताब लिखकर उन्‍हें चर्चा का विषय बना दी है। किताब में लिखा गया है कि एंजेलिना की मां ने बचपन में उसे छोड़ दिया था। और इसलिए एंजेलिना को टीन एज से ही ड्रग्‍स की लत लग गई थी। वह गुस्‍से में हिंसक हो जाती थी तथा कभी कभी तो वह खुद को भी घायल कर लेती थी।


एंजेलिना की मां मार्चलाइन अपने पति जॉन वोइट से अलग होने के बाद एंजेलिना को अपने जीवन से अलग कर दी थी। यह घटना 1976 की है। इसके बाद एंजेलिना की मां ने प्रोड्यूसर बिल डे के साथ रहने लगी थी। एंजेलिना की मां मार्चलाइन ने एंजेलिना को दो वर्षों तक अलग अपार्टमेंट में रखा था। अपार्टमेंट के स्‍टाफ उसकी देखभाल करते थे।

कोई भी बन सकेगा मिस्टर इंडिया

सुनने में यह सब फिल्म मिस्टर इंडिया की कहानी सा लग सकता है लेकिन सौ फीसदी सच है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कांच के अत्यंत सूक्ष्म टुकड़ों की मदद से ऐसा कपड़ा तैयार किया है जिसे किसी वस्तुओं को ढंकने के बाद वे अदृश्य हो जाती हैं।

सामान्य रूप से जब प्रकाश किसी वस्तु पर पड़ता है तो वह परावर्तित होकर व्यक्ति की आंखों पर पड़ता है जिससे हमें चीजें दिखाई देती हैं। लेकिन मिशिगन टेक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऐसी तरकीब खोज निकाली है जिससे किसी वस्तु पर पड़ने वाला प्रकाश परावर्तित नहीं होता है बल्कि उस वस्तु के आकार के अनुसार मुड़कर अपने रास्ते पर आगे चला जाता है। हालांकि यह खोज अभी इंफ्रारेड लाइट (अवरक्त प्रकाश) तक ही सीमित है। अभी यह तकनीक प्रयोगशाला में ही सफल हो पाई है लेकिन यदि इंफ्रारेड किरणों पर मिले परिणाम दृश्य प्रकाश पर भी मिल सके तो अदृश्य होने की कल्पना साकार हो सकेगी।

कपड़ा कर देगा अदृश्य

ऐसा धातुरहित सूक्ष्म कपड़ा जो कांच के रेजोनेटर्स से बना है। रेजोनेटर वह डिवाइस या तंत्र होता है जिसके अंतर्गत पदार्थ में कंपन होता रहता है। इसे उस पदार्थ की अनुनाद प्रवृत्ति भी कहते हैं। कंप्यूटर सिमुलेशंस (कंप्यूटर द्वारा किए गए प्रयोग) में यह इंफ्रारेड प्रकाश को मोड़ कर वस्तु को गायब कर देता है। गौरतलब है कि इस प्रायोगिक कपड़े का आकार बहुत ही छोटा है। इसका आकार एक मीटर के दस लाखवें भाग के बराबर है।

इलीना द्वारा बनाया गया विशेष पदार्थ प्रकृति में मिलने वाले पदार्थो की तरह नहीं है। इसमें वे गुण हैं जो सामान्य रूप से प्रकृति में नहीं मिलते। इस कपड़े को बनाने के लिए संकेंद्रित कांच के रेजोनेटर्स को बेलन के आकार में व्यवस्थित किया गया है। न्यू साइंटिस्ट मैगजीन ने पिछले साल अनुमान लगाया था कि अगले 30 सालों में अदृश्य करने वाला कपड़ा रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन जाएगा।


कैसे अदृश्य होंगी चीजें

वृत्त की आराएं (स्पोक्स) एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करेंगी जो वस्तु पर पड़ने वाले प्रकाश की किरण को मोड़ देगा। इस धातुरहित कपड़े को बनाने के लिए सामान्य गुणधर्म के पदार्थ के अणु-परमाणु नहीं बल्कि अत्यंत महीन रेजोनेटर्स का प्रयोग किया गया है। रेजोनेटर्स को पदार्थ विज्ञान और विद्युत इंजीनियरिंग के बीच की कड़ी कहा जा सकता है।

'यहां दी जाती थी इंसानों की बलि'

पेरू के पुरातत्वविदों ने एक ऐसी जगह की खोज की है जहां छठवीं शताब्दी में इंसानों की बलि दी जाती थी। इस जगह का नाम लैम्बेक है जो पेरू के उत्तरी इलाक़े में स्थित है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पुरातत्वविदों ने यहां एक 60 मीटर लंबा हॉल खोजा है जिसकी दीवारें कई रंगों में रंगी गई थीं।

पुरातत्वविदों के अनुसार बीते समय में इस हॉल को काफ़ी ख़ूबसूरती से सजाया जाता रहा होगा। पुरातत्वविदों की टीम का नेतृत्व करने वाले कार्लोस वेस्टर ला टोरे का कहना है कि इस हाल का निर्माण मोचे लोगों ने किया था। गौरतलब है कि मोचे लोगों की सभ्यता एक कृषि आधारित विकसित सभ्यता थी जो 100 वर्ष ईसा पूर्व से लेकर 800 ईस्वी के बीच पनपी थी इसका अस्तित्व पेरू के 'इंका' साम्राज्य के पहले था।


पुरात्वविदों का मानना है यहां युद्ध बंदियों की बलि चढ़ाई जाती थी। इस जगह की ली गई तस्वीर में फर्श पर कम से कम छह मानव कंकाल दिखाई पड़ते हैं।वेस्टर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "समारोह के लिए उपयोग में लाए जाने वाले इस हॉल में मौजूद चीजों से मोचे समुदाय के अभिजात्य लोगों की उपस्थिति और मानव बलि के प्रमाण मिलते हैं"


गौरतलब है कि पिछले 25 सालों में पुरातत्वविदों को पेरू में मोचे समुदाय के समृद्ध लोगों और शासकों की ढेरों क़ब्र और कलाकृतियां मिली हैं।

'भारत को वापस कर दो कोहिनूर'

भारत के बहुमूल्य रत्न कोहिनूर को देश वापस लाने के लिए एक बार फिर आवाज़ उठने लगी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज ने ब्रिटिश डेविड कैमरून से इस हीरे को भारत लौटाने का आग्रह किया है।

गौरतलब है कि वर्ष 1849 में पंजाब के शासक दलीप सिंह की हार के बाद से कोहिनूर ब्रिटेन में ही है। इस हीरे को भारत वापस लाने के लिए पहले भी कई बार भारत सरकार कोशिश करती रही है।

लेकिन अब भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज चाहते हैं कि कोहिनूर हीरे को भारत को लौटा दिया जाए।कीथ ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से आग्रह किया है कि वह अगले सप्ताह अपनी भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा करें।

बहरहाल ब्रिटिश सरकार हर बार कोहिनूर वापस करने की भारत सरकार की मांग को खारिज करती रही है। ब्रिटिश सरकार का इस मुद्दे पर साफ़ कहना है कि उसने यह हीरा 'वैध तरीके से अधिग्रहित' किया है इसलिये इसे वापस करने का कोई सवाल ही नहीं है।

हर दिन एक अरब बार देखा जाता है गूगल

सर्च इंजन की दुनिया के महारथी गूगल की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर दिन एक अरब लोग इसकी वेबसाइट पर आते हैं। गूगल ने अपने इमेज सर्च की क्षमता बढ़ाकर प्रति पेज 1000 तस्‍वीरें कर दी है।

बीबीसी ने गूगल सर्च की वाइस प्रेसिडेंट मारिसा मेयर के हवाले से कहा, ‘‘इसके साथ ही गूगल इमेज सर्च इंजन के मामले में भी सबसे ऊपर हो गया है।’’

गूगल ने इमेज सर्च की अपनी क्षमता बढ़ाने के साथ ही अपने पेज व्‍यू की संख्‍या का खुलासा किया है। कुछ जानकारों का कहना है कि गूगल की ओर से शुरू किया गया नया फीचर इसके प्रतिद्वंद्वी बिंग की वेबसाइट पर पहले से मौजूद है। वर्ष 2001 में 25 करोड़ तस्‍वीरों से शुरू हुए गूगल इमेज सर्च के खजाने में फिलहाल दस अरब से अधिक तस्‍वीरें मौजूद हैं।

मेयर कहती हैं, ‘‘पिछले नौ वर्षों के दौरान गूगल के इमेज सर्च ने दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की की है। यह वेबसाइट सभी तरह के फीचर से परिपूर्ण हो गई है।’’

रिपोर्ट के मुताबिक तस्‍वीरें गूगल पर सबसे अधिक सर्च किए जाने वाले कंटेंट में शुमार है। गूगल ने इमेज सर्च की क्षमता बढाने के साथ ही नया ऐड स्‍वरूप पेश किया है जिसे इमेज सर्च ऐड्स का नाम दिया गया है। इससे विज्ञापनदाता अपने टेक्‍स्‍ट विज्ञापनों में तस्‍वीरें लगा सकते हैं। गूगल के इस प्रयास को रेवेन्‍यू बढाने के लिए उठाए गए कई कदमों में से एक के तौर पर देखा जा रहा है।

घरेलू महिलाओं के एक महीने के काम का मोल 33 खरब रुपये

घरेलू महिलाओं के एक महीने के काम का मोल 33 खरब रुपये


नई दिल्ली. पूरे समय घर में रह कर घर संभालने वाली महिलाओं को सरकार ने भले ही जनगणना सूची में वेश्‍याओं, भिखारियों, कैदियों की श्रेणी में रखते हुए अनुत्‍पादक मान लिया हो, लेकिन सच यह है कि इन महिलाओं के काम का कोई मोल ही नहीं है। फिर भी, अगर इसे पैसों में तोला जाए तो रकम खरबों में पहुंच जाती है। मोटे अनुमान के मुताबिक घर संभालने वाली महिलाएं हर महीने परिवार के 33 खरब रुपये से भी ज्‍यादा बचाती हैं।


राजधानी में घरेलू नौकर मुहैया कराने वाली एक एजेंसी के मालिक सुमंत नेगी बताते हैं कि घर का काम-काज करने वाली एक नौकरानी महीने में कम से कम 6,000 रुपए पगार लेती है। उसके रहने और खाने की व्यवस्था भी परिवार को ही करनी होगी। रहने पर करीब 3,000 और खाने पर भी मासिक खर्च करीब-करीब इतना ही होगा। यानी उस पर कुल खर्च करीब 12,000 रुपये मासिक पड़ेगा। फिर नौकरानी केवल आठ घंटे ही काम करेगी, जिसमें एक घंटे का ब्रेक भी शामिल है। अतिरिक्त काम करने पर और भुगतान देना होगा। इसके दो हजार रुपए और जोड़ने पर कुल खर्च करीब 14,000 रुपए का होगा।


नेगी के मुताबिक दिल्‍ली में एक नौकरानी रखने पर कम से कम 14000 रुपये मासिक खर्च आएगा। अगर इस न्‍यूनतम खर्च को ही राष्‍ट्रीय स्‍तर पर औसत खर्च मान लिया जाए तो भी घरेलू महिलाओं के काम की कीमत खरबों में पहुंच जाती है। देश में 15 से 64 साल की कुल महिलाओं की संख्या 326,289,402 (2001 की जनगगणना के मुताबिक) है। इनमें 88,098,138 महिलाएं (करीब 27 फीसदी) कामकाजी हैं। 238,191,264 महिलाएं घरेलू काम करती हैं। 14,000 रुपये मासिक के हिसाब से इनके काम का मोल निकाला जाए तो रकम 333,467,769,8000 रुपए बैठती है।


सरकार के रुख का क्‍या कहिए


सेंसस के अनुसार घर में काम करने वाली महिलाएं घरेलू काम जैसे पानी भरना, खाना पकाना और बच्चों को संभालने जैसा काम करती हैं। इन्हें गैर कामगार की श्रेणी में रखा गया है। 1991 की जनगणना रिपोर्ट में घरेलू महिलाओं की तुलना वेश्याओं, भिखारियों और कैदियों से की गई है। सूची में उन्‍हें इन्‍हीं के साथ एक ही श्रेणी में रखा गया है।


सुप्रीम कोर्ट की तल्‍ख टिप्‍पणी


सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को जनगणना रिपोर्ट में गृहिणियों को वेश्याओं, भिखारियों और कैदियों की श्रेणी में रखने पर तल्‍ख टिप्‍पणी की। अदालत ने संबंधित अफसरों को कड़ी फटकार लगाते हुए नाराजगी जताई और गृहिणियों की भूमिका को अनमोल बताया। जस्टिस गांगुली ने कहा कि यह पक्षपात काफी स्पष्ट रूप से जनगणना के काम में दिखाई दे रहा है। अथारिटीज का यह रवैया पूरी तरह असंवेदनशील है। जस्टिस एके गांगुली और जस्टिस डीएस सिंघवी की पीठ एक महिला की सड़क दुर्घटना में हुई मौत के मामले की सुनवाई कर रही थी। मुआवजा बढ़ाने के मुद्दे पर हुई बहस के दौरान यह तथ्य उजागर हुआ। अदालत के अनुसार सरकार का यह रुख असंवेदनशील और निंदनीय है।


महिलाएं भी नाराज


जिस देश में महिलाएं राष्ट्रपति जैसा पद संभाल रहीं हों, वहां इस तरह का व्यवहार घोर आपत्तिजनक है। राष्ट्रीय महिला आयोग इस बारे में ठोस कार्रवाई पर विचार कर रहा है।


- राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य यास्मीन अबरार

जनगणना रिपोर्ट से इस अंश को तत्काल निकालना चाहिए और फिलहाल चल रही जनगणना की रिपोर्ट तैयार करते समय सुनिश्चित किया जाए कि यह गलती फिर न हो। उन्होंने बताया कि इस बारे में आयोग की सोमवार को बैठक आयोजित की गई है, जिसमें इस मामले में आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।


- दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह



`कोई इस तरह की टिप्पणी कैसे कर सकता है। जो भी महिलाओं को नौकरानियों, वेश्याओं, भिखारियों और कैदियों की श्रेणी में रखता है, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। बेहतर होगा कि उसका इलाज करवाया जाए।`


स्वाति सिंह, गृहिणी, नई दिल्ली

Thursday, July 22, 2010

एलियंस भी कर रहे हैं ट्वीट!

अभी हाल ही में की जा रही रिसर्च के मुताबिक एलियंस भी ट्वीट कर रहे हैं। जी हां, एलियंस धरती से संपर्क करना चाहते हैं और वे इसके लिए ट्वीटर के कॉस्मिक वर्जन का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन पिछले कई दशकों से हम उनके इन संदेशों को पकड़ ही नहीं पा रहे हैं।

कैलिफोर्निया के भौतिकशास्त्री डॉ. जेम्स बेनफोर्ड के अनुसार हम अब एलिंयस की तरह सोचकर काम कर रहे हैं। पिछले कई दशकों से वे हमसे संपर्क करना चाहते हैं और इसके लिए छोटे-छोटे संदेश भी भेज रहे हैं। जिस तरह से ट्वीटर पर ट्वीट्स एक तरह के छोटे संदेश होते हैं। जेम्स के अनुसार पिछले कई दशकों से वैज्ञानिकों ने एलियंस से संपर्क करने के गलत तरीकों को अपनाया है।

‘प्रोग्रामिंग’ की देन है तथागत का तेज दिमाग?

12 साल में एमएससी, 21 साल में पीचएडी और 22 साल में प्रोफेसरी करने वाले तथागत अवतार तुलसी के बारे में कहना है कि उनका तेज दिमाग ‘प्रोग्रामिंग’ की देन है। ऐसा उनके पिता प्रोफेसर तुलसी नारायण का दावा है। वह यहां तक कहते हैं कि कोई भी इस तरह की ‘प्रोग्रामिंग’ कर जीनियस दिमाग वाला बच्‍चा पा सकता है। तथागत अवतार तुलसी के माता-पिता के चेहरे पर तब मुस्कान बिखर गई थी जब उनके बेटे को 2003 में दुनिया सात सबसे प्रतिभाशाली युवाओं में शामिल किया गया था। हालांकि, तुलसी के माता-पिता ने उसके जन्म से पहले ही यह तय कर लिया था कि तुलसी जीनियस होगा।

अगर तथागत के परिजनों के दावों में दम है तो आज के ज़माने में तुलसी को प्रोग्राम्ड चाइल्ड कहा जाएगा। मूल रूप से बिहार के रहने वाले तथागत अवतार तुलसी के पिता प्रोफेसर तुलसी नारायण प्रसाद सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। और वे ज्योतिषीय-अनुवांशिकी (एस्ट्रो-जेनेटिक्स) में गहरा यकीन रखते हैं। लेकिन उनका दावा है कि कुछ दशक पहले जब उन्होंने यह कहा था कि जन्म लेने वाले बच्चे का लिंग निर्धारित किया जा सकता है, तब उनका सिद्धांत खारिज कर दिया गया था और मानो जमाना उनका दुश्मन बन गया था।

लेकिन प्रसाद ने तब अपने सिद्धांत को सही साबित करने की ठान ली थी। इसके बाद प्रसाद एक लड़के के पिता बने और अपनी थियरी को सही साबित करने की कोशिश की। लेकिन आलोचकों ने मेरी एक न सुनी। आलोचकों ने तब भी मेरी थियरी को यह कहकर खारिज कर दिया था कि यह भगवान की देन है। फिर मैंने निश्चय किया कि मैं एक बार फिर लड़के का पिता बनूंगा। और, जब मैं फिर लड़के का पिता बना तो लोग चुप हो गए। उसी वक्त मेरे दिमाग में खयाल आया कि क्यों न किसी मेधावी पुत्र का पिता बना जाए।’

हालांकि, एस्ट्रोजेनेटिक्स को लेकर बहुत प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। आमतौर पर अनुवांशिकी और ज्योतिष का कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं होता है। यही वजह है कि प्रसाद के दावों को लेकर दो तरह की बातें सामने आ रही हैं। कुछ लोग उनकी इस थियरी से सहमत हैं और कुछ लोग उसे बकवास बता रहे हैं। प्रसाद की इस थियरी को लेकर रहस्य बरकरार है। विज्ञान या बयान?
तुलसी प्रसाद ने कहा कि यह एक विज्ञान है। उन्होंने कहा कि हमारे वैदिक साहित्य में ऐसा जिक्र है। प्रसाद के मुताबिक अगर हम इस सिद्धांत को सही तरीके से लागू करें तो हमें ऐसे ही नतीजे मिलेंगे। उनका कहना है कि मनुष्य का शरीर एक संपूर्ण संस्थान है। प्रकृति ने हमारे शरीर को नेमतें बख्शी हैं। शरीर में जरूरी रसायनों के उत्पादन के लिए ग्रंथियां हैं, जिन्हें अपनी मर्जी के मुताबिक संचालित किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया, ‘ मुझे और मेरी पत्नी को बच्चे के गर्भ में आने से लेकर जन्म तक खान-पान और सेक्स को लेकर हमारे मूड का ध्यान रखना पड़ा। हालांकि, तथागत के पिता के इस बयान को लेकर बंटी हुई प्रतिक्रिया आ रही हैं।

यहां पुलिसवाले पकड़ते हैं सांप-बिच्छू

मध्यप्रदेश में एक थाना ऐसा भी है, जहां शाम ढलते ही थाने में पदस्थ पुलिस कर्मी सारे काम छोड कर सांप और बिच्छुओं को पकडने में लग जाते हैं।

प्रदेश के मुरैना जिले का देवगढ थाना ऐसा है जहां पदस्थ एक दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों को वर्षा काल के चार माह सांप और बिच्छुओं के भय से रतजगा करना पडता है और वे इन जहरीले कीडों को पकडने में रात गुजारते है।

देवगढ के थाना प्रभारी श्याम शर्मा ने बताया कि थाने के आसपास की जमीन काली मिट्टी की होने के कारण यहां सर्प और बिच्छू बहुतायत में निकलते है और वर्षा के चार महीनों में इनकी संख्या बहुत बढ जाती है। उन्होंने बताया कि थाना परिसर और भवन में शाम ढलते ही सांप बिच्छुओं का निकलना शुरू हो जाता है, तब पुलिस कर्मी सारे कार्य बंद कर इन जहरीले जीवों को पकडने में लग जाते हैं और रोज बाल्टी भर बिच्छू पकड कर सामने से निकल रही नहर में प्रवाहित करते है।

वशीकरण ऐसा कि विरोधी भी समर्थक

यूं तो वशीकरण के कई तरीके प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ तो सार्वजनिक हैं तथा कुछ अत्यंत गोपनीय किस्म के होते हैं। यंत्र, तंत्र और मंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के कई अचूक और १०० प्रतिशत प्रमाणिक साधन या उपाय उपलब्ध हैं। किन्तु हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधी एवं नियम-कायदों का पालन करना पड़ता ही है। यहां तक कि कुछ प्रयोग स्वयं प्रयोगकर्ता के लिये भी जोखिम भरे होते हैं। इसीलिये, आज की इस भाग-दोड़ भरी जिंदगी में इंसान ऐसे तरीके या उपाय चाहता है, जो कम से कम समय में सम्पन्न हो सके और किसी भी प्रकार के खतरे से पूरी तरह से सुरक्षित भी हों।

पारम्परिक और लम्बे रास्ते पर ना तो वह चलना चाहता है और ना ही उसके पास इतना समय होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यानि किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने, का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह अचूक और शर्तिया कारगर उपाय इस प्रकार है--

साइंस ऑफ मेडिटेशन- जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जोकि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट क्षवि वाला हो, उपलब्ध करें। उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठें, तो उस चित्र की क्षवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।

हर बार सफल- यह पूरा प्रयोग असंख्यों बार अजमाने पर हर बार सफल रहता है। किन्तु इसकी सफलता पूरी तरह से व्यक्ति की एकाग्रता और अटूट विश्वास पर निर्भर रहती है। मात्र तीन से सात दिनों में इस प्रयोग के स्पष्ट प्रभाव दीखने लगते हैं।

वशीकरण ऐसा कि विरोधी भी समर्थक

यूं तो वशीकरण के कई तरीके प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ तो सार्वजनिक हैं तथा कुछ अत्यंत गोपनीय किस्म के होते हैं। यंत्र, तंत्र और मंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के कई अचूक और १०० प्रतिशत प्रमाणिक साधन या उपाय उपलब्ध हैं। किन्तु हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधी एवं नियम-कायदों का पालन करना पड़ता ही है। यहां तक कि कुछ प्रयोग स्वयं प्रयोगकर्ता के लिये भी जोखिम भरे होते हैं। इसीलिये, आज की इस भाग-दोड़ भरी जिंदगी में इंसान ऐसे तरीके या उपाय चाहता है, जो कम से कम समय में सम्पन्न हो सके और किसी भी प्रकार के खतरे से पूरी तरह से सुरक्षित भी हों।

पारम्परिक और लम्बे रास्ते पर ना तो वह चलना चाहता है और ना ही उसके पास इतना समय होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यानि किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने, का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह अचूक और शर्तिया कारगर उपाय इस प्रकार है--


साइंस ऑफ मेडिटेशन- जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जोकि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट क्षवि वाला हो, उपलब्ध करें। उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठें, तो उस चित्र की क्षवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।

हर बार सफल- यह पूरा प्रयोग असंख्यों बार अजमाने पर हर बार सफल रहता है। किन्तु इसकी सफलता पूरी तरह से व्यक्ति की एकाग्रता और अटूट विश्वास पर निर्भर रहती है। मात्र तीन से सात दिनों में इस प्रयोग के स्पष्ट प्रभाव दीखने लगते हैं।

कर्ज में डूबा पैसा वसूलने का आसान उपाय

कई लोग व्यापारी में उधारी या रिश्तेदारों, मित्रों, परिचितों या अन्य किसी को दिए गए उधार पैसे के वापस न मिलने से हताश हो जाते हैं। कर्ज का पैसा डूबा मानकर नुकसान भी उठाते हैं।
ऐसे में मानसिक पीड़ा और आर्थिक परेशानी दोनों का सामना करना पड़ता है। हम आपको ऐसे उपाय बता रहे हैं जिसके करने से आपका डूबा पैसा या लंबे अरसे से नहीं लौटाया गया कर्ज वापस मिलने के आसार बंधेंगे। ये प्रयोग बहुत ही आसान और अचूक माने जाते हैं। इससे आपको ज्यादा मेहतन भी नहीं करनी पडग़ी और आसानी से आपका डूबा पैसा वापस मिल जाएगा।



उधार पैसा वापस निकालने के लिए प्रयोग



पीली कौड़ी- पीली कौड़ी लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करती हैं तथा यह कौड़ी कछुए के आकार जैसी दिखाई देती हैं। पांच पीली कौड़ी पूजा के स्थान पर रख देने से शुभ फल की प्राप्ति होती हैं।



राजा कौड़ी- उस व्यक्ति के पास आपका धन फंसा है, जो देने मे समर्थ है पर देना नहीं चाहता। उसका मन ही नहीं करता हैं कि वह आपका ऋण उतारे। ऐसे में दो राजा कौड़ी उसके घर के सामने डाल देने मात्र से उसका मन बदल जाएगा और वह आपके ऋण से मुक्त हो जाएगा।


इंसान नहीं यहां कुत्ते करते हैं 'सुसाइड'!

स्कॉटलैंड का ये एक छोटा और खूबसूरत सा गांव है मिलटन। मिलटन के पास डंबरटन के शांत इलाके में बना है ओवरटोन ब्रिज। इस ब्रिज की कहानी भी काफी रहस्यमयी है। इस ब्रिज पर आज तक किसी इंसान की जान नहीं गई है।

फिर भी अब तक ब्रिज से छलांग लगाकर जान देने वाले कुत्तों की संख्या 600 पार हो चुकी है। इन बेजुबान जानवरों को यहां आकर क्या हो जाता है या फिर उन्हें ब्रिज के नीचे ऐसा क्या नजर आता है, जो वे अपने होश खोकर छलांग लगा देते हैं, ये आज तक कोई नहीं समझ सका है।

1960 के दशक से लोगों का इस ओर ध्यान गया था। इसके बाद से देखा गया कि हर महीने कम से कम एक कुत्ता यहां से छलांग लगाता रहा है। इस हिसाब से ही ये संख्या 600 पार हो गई है। देखा जाए तो ब्रिज पर रैलिंग लगाकर इन हादसों को रोका जा सकता था।

इन घटनाओं के चश्मदीद रहे लोग कहते हैं कि कुत्ते वहां आकर ब्रिज की दीवर पर चढ़कर छलांग लगा देते हैं। कई बार ऐसा भी देखा गया कि अगर नीचे गिरकर भी उनकी जान बच गई, तो वे फिर से ऊपर आए और दोबारा छलांग लगाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। जानवरों के लिए काम कर रही संस्थाएं यहां विशेषज्ञ भेज चुकी हैं। फिर भी कोई ठोस कारण पता नहीं चल सका है।

राज़ है गहरा

स्कॉटलैंड का ओवरटोन ब्रिज कुत्तों का सुसाइड प्वॉइंट बन गया है। पिछले कई दशकों से देखा जा रहा है कि कुत्ते इस ब्रिज पर आकर नीचे छलांग लगा देते हैं। इसके पीछे क्या राज़ है ये आज तक पता नहीं चला है।

सच दिलचस्प

ग्रीक और रोमन संस्कृति में सेरबेरस डॉग की चर्चा की गई है। इसके अनुसार सेरबेरस एक तीन सिर वाला डॉग था, जो धरती के अंदर की दुनिया के द्वार का प्रहरी था। ज्यादातर तस्वीरों में इसके तीन सिर ही दिखाए जाते हैं। फिर भी किसी में इसके दो, किसी में एक और किसी में पचास तक सिर दिखाए गए हैं।

कार धुलाई के लगते हैं 5.18 लाख रुपए

यह व्यक्ति कार धोने के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा चार्ज करता है। वह प्रत्येक वाहन के 7200 पाउंड यानी 5 लाख 18 हजार रु. लेता है। 30 वर्षीय गुरचरन सहोता हर कार की सफाई में 250 घंटे लगाते हैं। इस काम के लिए वह 100 तरह के तरल पदार्थो और वैक्स का इस्तेमाल करते हैं, जिनकी कीमत 8200 पाउंड प्रति टब है।

वह कार के हर इंच की अंदर और बाहर से पांच बार पॉलिश और बफिंग करते हैं। यहां तक कि वह महीन से महीन स्क्रैच, जो नजर नहीं आता, देखने के लिए कंप्यूटर माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करते हैं। सहोता खुद एक साधारण सी गाड़ी चलाते हैं। उन्होंने पांच साल पहले एक बाल्टी और स्पॉंज से पड़ोसियों की कार धोकर बिजनेस शुरू किया था।

उसके बाद से वह सैकड़ों सुपर कारें साफ कर चुके हैं। उनके पास ग्राहकों के रूप में सेलिब्रिटीज की लंबी फेहरिस्त है। सहोता का कहना है कि यदि आपके पास पांच लाख पाउंड की कार है तो इसकी सफाई पर कुछ हजार खर्च करना ज्यादा नहीं है। सहोता डर्बीशायर में अपने माता-पिता के साथ रहते हैं और उनके डबल गैराज को हाई-टैक वर्कशॉप में बदल दिया है।

वह हरेक कार को सबसे पहले एक ही तरीके से धोते हैं। भेड़ की ऊन के गोले और साबुन वाले पानी से। उन्होंने कहा जब मैंने पहली बार फेरारी एंजो की वॉशिंग की तो पूरा एक हफ्ता लगा था। रात को सोते वक्त भी मुझे लाल फेरारी ही नजर आती थी। सहोता अकेले ही काम करते हैं। जब वह बर्मिघम यूनिवर्सिटी में अकाउंटैंसी में डिग्री कर रहे थे तभी कार धोने का काम शुरू कर दिया था।

डिग्री लेने के बाद एक स्थानीय एस्टन मार्टिन के डीलर से उसकी डीबी9 मुफ्त में धोने की इजाजत मांगी थी। डीलर उनके काम से इतना प्रभावित हुआ कि अपने क्लायंट्स से उनका परिचय करा दिया और सहोता का बिजनेस चल निकला। इसके बाद सहोता ने खुद की फर्म इलाईट डिटेलिंग शुरू कर दी।

सहोता को याद है जब उन्हें दुनिया की सबसे महंगी कार मैकलैरन एफ1 वॉश करने को दी गई। इसकी कीमत 30 लाख पाउंड यानी करीब 21.58 करोड़ रु. है। उन्होंने कहा मैकलैरन एफ1 निर्विवाद रूप से मेरी पसंदीदा कार है। यह इतनी विशिष्ट है कि आपको मुश्किल से ही कोई सड़क पर दौड़ती मिलेगी।

Wednesday, July 21, 2010

इस ब्रा में छिप जाती है पूरी बोतल

एक अजीबो-गरीब ब्रा बाजार में बिक्री के लिए आई है। इसका डिजाइन कुछ इस तरह का है कि रात मस्ती के लिए जाते समय महिलाएं वाइन की पूरी बोतल अपने इस अंत:वस्त्र में छिपा सकती है। यह ‘वाइन रैक ब्रा’ एक सामान्य स्पोर्ट्स ब्रा की तरह दिखती है लेकिन इसके कप्स के भीतर 750 मिलीलीटर (पूरी बोतल) वाइन समा जाती है।

इसे पहनने वाली महिला के स्तन न केवल आकार में बड़े दिखते हैं बल्कि इसके साथ एक स्ट्रॉ भी होती है ताकि वे चोरी-चोरी वाइन की चुस्की भी लेती रहें। ‘वाइन रैक ब्रा’ के निर्माताओं का दावा है कि यह मूवीज, संगीत समारोहों, स्पोर्ट्स इवैंट्स और क्लबों में चोरीछिपे वाइन ले जाने के लिए परफैक्ट है।

बहरहाल इसका इस्तेमाल करने वालों को सतर्क रहना होगा क्योंकि वाइन से भरी ब्रा भले ही ब्रैस्ट का आकार ‘ए’ से बढ़ाकर ‘डी’ कर दे लेकिन इसमें से जितनी ज्यादा वाइन पी जाएगी उतना ही ब्रैस्ट का आकार छोटा होता जाएगा। इस ब्रा को ऑनलाइन बेचने वाली साइट बैरन डॉट कॉम के एक प्रवक्ता ने कहा कि आप ब्रा के अंदर वाइन ले जाएं, मिक्स्ड ड्रिंक ले जाएं या कोई अन्य मनपसंद पेय। बस इतना ध्यान रखें कि किसी को महक लग गई तो पीने वालों की लाइन लग जाएगी।

अश्वेत दंपती के घर जन्मी श्वेत बिटिया

कुदरत के खेल भी निराले हैं। अब देखिए न एक अश्वेत दंपती के घर एक श्वेत बच्चे का जन्म होना आश्चर्य की बात है। वो भी तब जब पहले से ही उनके दो बच्चे हैं जो कि अश्वेत ही हैं। इसे कुदरत का करिश्मा मानने वाले दंपती बेहद खुश हैं। जबकि विशेषज्ञ इसे मात्र एक जेनेटिक समस्या बताते हैं। जानकारी के अनुसार 44 वर्षीय बेन पेशे से कस्टमर सर्विस एडवाइजर हैं।

लंदन के दक्षिणी इलाके में रहने वाले बेन की 35 वर्षीय पत्नी एंजेला ने एक सुंदर, श्वेत और नीली आंखों वाले बेबी को जन्म दिया है। जबकि इस दंपती के वंशक्रम पर नजर डालें तो अब तक परिवार में ऐसा कोई भी नहीं है जो श्वेत हो। अपनी बेटी को देखकर खुशी जाहिर करने वाले बेन और एंजेला ने उसका नाम नमाची रखा है। नमाची का एक बड़ा भाई और एक बड़ी बहन है, ये दोनों ही अश्वेत हैं।




कुत्ते को सेक्सी जोक सुनाया, 5 साल की जेल

फ्लोरिडा में एक शख्स को कुत्ते को सेक्सी जोक सुनाना महंगा पड़ गया। कुत्ते को सुनाए गए जोक के बदले इस शख्स को जेल की हवा खानी पड़ी है। जी हां, असल में फ्लोरिड में एक पशु चिकित्सालय में काम करने वाले आरमंड एम पेचर (64) को 5 साल की जेल की सजा दी गई है।

पेचर पिछले दिनों अपने ऑफिस में फोन पर अपने ही एक सहकर्मी से ग्रेट डेन नाम के कुत्ते की आंख के ऑपरेशन के सिलसिले में बात कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने इस कुत्ते से सेक्सी चर्चा की जिसके खिलाफ शिकायत किए जाने पर अरेस्ट वारंट जारी हो गया। अब पेचर के वकील का कहना है कि उनका मुवक्किल सिर्फ मजाक कर रहा था। इसलिए उसे सलाखों के पीछे नहीं डाला जाना चाहिए।

Tuesday, July 20, 2010

करोड़ों नोटों की कतरन 90 पैसे किलो!

इंदौर. शहर के खंडवा नाका स्थित रानीबाग में रविवार रात बिखरी मिली नोटों की कतरन मिलने के मामले का सोमवार को खुलासा हो गया। कतरन इंदौर की ही राजरतन ग्रुप ऑफ कंपनीज की हैं, जो उसने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) भोपाल से खरीदी थीं।



90 पैसे प्रति किलो के हिसाब से इस दो बोरा कतरन का मूल्य 38 रु. बताया जा रहा है। कंपनी ने पुलिस पूछताछ में कतरनें अपनी होना कबूला है। रानीबाग में रविवार रात नोटों की कतरन मिलने से शहर में हड़कंप मच गया था।



मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने कतरन जब्त कर उसकी फॉरेंसिक जांच तक कराने की तैयारी कर ली थी।एडिशनल एसपी मनोजसिंह को दोपहर में सूचना लगी कि इंदौर की एक कंपनी नोट की कतरनों से फर्नीचर शीट बनाती है। उन्होंने भंवरकुआं थाने में कंपनी संचालक अशोक जैन के बेटे आशय जैन से पूछताछ की। आशय ने बताया कतरन उनकी कंपनी की ही है, वे आरबीआई भोपाल से पुराने और नए नोटों की कतरन खरीदते हैं।



इस बेस्ट मटेरियल से सांवेर रोड और खंडवा रोड स्थित उनकी फैक्टरी में फर्नीचर शीट बनती हैं। उन्होंने बताया उनकी कंपनी आरबीआई से 2005 से कतरनें खरीद रही है। फिलहाल कंपनी के पास 350 टन नोटों की कतरन मौजूद है।



सीएसपी बिट्टू सहगल ने बताया नए नोट में कुछ खामी रह जाने पर और पुराने नोट मार्केट में लाने की स्थिति में नहीं होने पर आरबीआई उनकी कतरन कर देती है। इस कतरन को आम आदमी बैंक से खरीद सकता है।



किसने फैंकी कतरन



प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रानीबाग-बी के गेट के पास रविवार सुबह से ही दो प्लास्टिक के बोरे रखे थे। दोपहर में वहां खेल रहे बच्चे बोरों के ऊपर से निकले तो उसमें रखीं प्लास्टिक की थैलियां बाहर आ गईं। बच्चों ने थैलियां फाड़ीं तो कागज के टुकड़ों की कतरन थी।



बच्चे कतरन को हवा में उड़ाकर खेलने लगे। इससे पूरी सड़क पर कतरन फैल गई। शाम को वहां से कुछ युवक निकले तो उन्होंने कतरन हाथ में लेकर देखी,उन्हें शक हुआ कि यह नोटों की कतरनें हैं। उन्होंने भास्कर को फोन किया और फिर पुलिस हरकत में आई थी।



अब पुलिस पता लगाने का प्रयास कर रही है कि आखिर कतरन कॉलोनी के गेट पर किसने फेंकी थी। इधर, आशय का कहना है दोनों फैक्टरी में कतरनों के बोरे ट्रक से जाते हैं, हो सकता है रास्ते में ट्रक से बोरे गिर गए हों, या फिर कोई कर्मचारी फैक्टरी से बोरे चुराकर ले आया हो।



बैंक लुगदी देती है, तो कतरन कैसे आई?



मध्यप्रदेश में भोपाल स्थित रिजर्व बैंक के ऑफिसों में नोटों को नष्ट करने की मशीन लगी हुई है। जानकारी के अनुसार वहां पर बाजार में चलन में नहीं आने वाले नोट, नंबर्स या अन्य किसी कारण से रद्द किए हुए या फिर कटे-फटे नोटों के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं।



खास बात यह है कि मशीनों से नोटों की इतनी बारीक कतरन होती है कि नोटों के कागज की लुगदी बन जाती है। इधर, रानीबाग में मिले नोट के टुकड़े काफी बड़े और साबुत है। साथ ही कतरन की लुगदी के बजाय एक-एक टुकड़ा अलग-अलग है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि नोटों की कतरन के टुकड़े बाहर कैसे आए।


क्या खजुराहो में छिपा है लादेन!

मिलती-जुलती सूरत के कारण स्थानीय लोग मुश्ताक कश्मीरी को पुकारते हैं इस नाम से। फिल्म ‘तेरे बिन लादेन’ के निर्माता अभिषेक शर्मा फिल्म बनाने से पहले खजुराहो आए होते तो उन्हें न केवल लादेन के रोल के लिए लादेन नाम का ही व्यक्ति मिलता बल्कि चेहरे और कद काठी के हिसाब से भी शायद सही पात्र उनके सामने होता।

चौंकाने वाली खबर तो यह है ही क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी खजुराहो में पिछले एक दशक से ज्यादा समय से लादेन नाम का एक शख्स रह रहा है। जो न केवल देखने में बहुत कुछ लादेन जैसा है बल्कि खजुराहो के लोग भी इसे सिर्फ इसी नाम से पुकारते हैं।



मूलत: श्रीनगर के लाल बाजार निवासी मुश्ताक कश्मीरी यहां शिल्प ग्राम के पास कश्मीरी वस्त्रों व फैंसी आइटमों की दुकान चलाते हैं। शुरुआती दिनों में उन्होंने कुछ समय तक यहां के एक फाइव स्टार होटल में इसी तरह के व्यवसाय से संबंधित एक दुकान में काम किया।



बाद में अपना खुद का कारोबार जमा लिया। 11 सितंबर २क्क्१ को वांशिगटन में पेंटागन पर हमले के बाद जब लादेन चर्चा में आया तो श्री कश्मीरी के मिलते-जुलते चेहरे की वजह से लोग उन्हें भी लादेन कहकर पुकारने लगे।



स्वभाव से हंसमुख, मिलनसार और विनम्र 58 वर्षीय मुश्ताक कश्मीरी इस संबोधन से कभी नाराज नहीं होते बल्कि हास परिहास स्वरूप अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए प्रतिप्रश्न कर बैठते हैं कि क्या मैं लादेन जैसा दिखता हूं।



और फिर ठहाके गूंजने लगते हैं।



उनकी इस नाम से पहचान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खजुराहो में आपको उनके पास तक पहुंचना है तो ऑटो वाले से सिर्फ इतना ही कहना काफी है कि मुझे लादेन से मिलना है। चंद मिनटों में ही आप उनकी दुकान के सामने खड़े होंगे।



मुश्ताक कश्मीरी कहते हैं कि लोग उन्हें प्यार से लादेन कहकर पुकारते हैं। अत: बुरा मानने का प्रश्न ही नहीं उठता।

एक करोड़ का बटुआ

भोपाल. शहर के एक डायमंड ज्वैलर्स ने सोमवार को हीरे और सोने से जड़ा एक करोड़ रुपए का भोपाली बटुआ लांच किया। यह बटुआ होटल नूर उस सबाह में प्रदर्शित किया गया। इस दौरान अभिनेता शाहवर अली व अभिनेत्री लिंडा आर्सेनियों मौजूद थी।

नूर उस सबाह में बटुए को 20 से 25 जुलाई तक चलने वाली प्रदर्शनी में रखा जाएगा, जहां सुबह 11 से रात 9 बजे तक लोग इसे निहार सकेंगे।

करीने से जड़े हैं 1787 हीरे

35 दिन में तैयार किए गए इस बटुए को १६ लोगों ने तैयार किया है। इसमें कुल 1787 डायमंड जड़े हैं। इसमें 849.750 ग्राम सोना, रियल डायमंड के 89.63 कैरेट के 1787 पीस के अलावा रूबी के 89.63 कैरेट के 521 पीस, बसरा के मोती के 45.42२ कैरेट के 552 पीस लगाए गए हैं। बटुए की 10 इंच ऊंचा और 8 इंचा चौड़े इस बटुए की डिजाइन बनाई है सैयद फारुख ने।

Friday, July 16, 2010

आईआईटी प्रोफेसर ने दी रुपए को नई पहचान

भारतीय मुद्रा रुपए को नई पहचान मिल गई है। सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने आज इसकी घोषणा की। वित्‍त मंत्रालय की मंजूरी के बाद आज कैबिनेट ने भी रुपए के नए संकेत पर अपनी मुहर लगा दी।

डॉलर, यूरो आदि की तर्ज पर रुपए का जो संकेत सरकार को पंसद आया है, उसे आईआईटी से पोस्‍ट ग्रेजुएशन करने वाले डी. उदय कुमार ने डिजाइन किया है। पांच सदस्‍यों के एक पैनल ने इसे कई डिजाइनों में से चुना था। यह कुमार के लिए दोहरी खुशी की बात है, क्‍योंकि आज ही आईआईटी गुवाहाटी में बतौर फैकल्‍टी उनका पहला दिन है।

कुमार ने जो डिजाइन (देखें तस्‍वीर) तैयार किया है वह देवनागरी ‘र’ और रोमन के ‘आर’ का मिलाजुला रूप दिखता है। साथ ही, उन्‍होंने तिरंगा, अशोक च्रक्र जैसे भारतीय प्रतीकों को सांकेतिक रूप में शामिल करने की भी कोशिश की है।

रुपए का सिंबल डिजाइन करने के लिए वित्‍त मंत्रालय ने गत 5 मार्च को एक प्रतियोगिता आयोजित की थी। रुपए का डिजाइन तैयार करने के लिए कुमार को 2.5 लाख रुपए का पुरस्‍कार दिया जाएगा।

डिजाइन क्‍या
एक अधिकारी का कहना है कि कुमार का कंसेप्‍ट तीन रंगों वाले भारतीय ध्‍वज और ‘अंकगणितीय समानता’ पर आधारित है। इसमें दो समानांतर लाइनों के बीच का सफेद रंग अशोक चक्र के साथ भारतीय ध्‍वज, तथा दो बोल्‍ड समानांतर रेखाएं अर्थव्‍यवस्‍था में संतुलन को दर्शाती हैं।

सिंबल क्‍यों
वित्‍त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अपने बजट भाषण में कहा था कि हम भारतीय रुपए को ऐसा सिंबल देना चाहते हैं, जो भारतीय प्रकृति और संस्‍कृति से मेल खाता हो। रुपए का सिंबल तय करने का मुख्‍य मकसद इसे डॉलर, यूरो जैसे अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा की तरह पहचान दिलाना है।

कैसे और कहां से निकलती है जान?

मौत कड़वा किन्तु अटल सत्य। दुनिया में शायद ही कोई हो जो मरना चाहता हो, जबकि सब अच्छी तरह जानते हैं कि इससे आज तक कोई भी बच नहीं सका। मौत होती है यह तो सभी जानते हैं किन्तु, कैसे और क्या होती है मौत?



आज तक यह नहीं सुना गया कि कोई हंसते हुए मरा हो। इसीलिये यह कहना ज्यादा उचित है कि रोते हुए आते हैं सब और मौन होकर चले जाते हैं। कुछ कालजयी लोग इस दुनिया में ऐसे होते रहे हैं जो जन्म-मृत्यु के पार देखने में समर्थ होते हैं। ऐसे ही सिद्ध लोगों में शामिल योगीराज अरविंद मौत के विषय बड़ी ही रौचक बातें बताते हुए कहते हैं कि-



बेंहोसी में.... बीमारी, आघात या अन्य जिस भी कारण से मृत्यु हो रही हो तो उससे भी कष्ट यानि तकलीफ अवश्य होती है। मरने से पहले हर प्राणी को अपार कष्ट होता है किन्तु उस अवस्था में वह कुछ बोल नहीं पाता। जब प्राण या जान या आत्मा निकलने का समय बिल्कुल नजदीक आ जाता है तो प्राणी एक प्रकार की बेहोंशी में चला जाता है और इस अचेत अवस्था में ही आत्मा शरीर से बाहर निकल जाती है।



आम रास्ता: अधिकांशत: शरीर के ऊपर के हिस्सों या अंगों से ही प्राण या आत्मा निकलती है। मुख, आंख, कान या नाक ही आत्मा के निकलने के प्रमुख मार्ग हैं।



पापियों की जान: दुष्ट, पापी एवं दुराचारी (बुरे कर्म करने वाले)लोगों की आत्मा मल-मूत्र के रास्ते से निकलता देखा गया है।



योगी की आत्मा: जबकि योग की उच्च अवस्था में पहुंचे हुए सिद्ध योगी ब्रह्मरंध्र से प्राणों का त्याग करेंगे।

Tuesday, July 13, 2010

मासिक धर्म में धार्मिक कार्य वर्जित क्यों?

परमात्मा द्वारा स्त्री और पुरुषों में कई भिन्नताएं रखी गई हैं। इन भिन्नताओं के कारण स्त्री और पुरुषों में कई शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी अनेक विषमताएं रहती हैं। इन्हीं विषमताओं में से एक हैं स्त्रियों में मासिक धर्म।

वैदिक धर्म के अनुसार मासिकधर्म के दिनों में महिलाओं के लिए सभी धार्मिक कार्य वर्जित किए गए हैं। साथ ही इस दौरान महिलाओं को अन्य लोगों से अलग रहने का नियम भी बनाया गया है। ऐसे में स्त्रियों को धार्मिक कार्यों से दूर रहना होता है क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार इन दिनों स्त्रियों को अपवित्र माना गया है।

यह व्यवस्था प्राचीन काल से ही चली आ रही है। पुराने समय में ऐसे दिनों में महिलाओं को कोप भवन में रहना होता था। उस दौरान वे महिलाएं कहीं बाहर आना-जाना नहीं करती थीं। इस अवस्था में उन्हें एक वस्त्र पहनना होता था और वे अपना खाना आदि कार्य स्वयं ही करती थीं।

मासिक धर्म के दिनों के लिए ऐसी व्यवस्था करने के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारण हैं। आज का विज्ञान भी इस बात को मानता है कि उन दिनों में स्त्रियों के शरीर से रक्त के साथ शरीर की गंदगी निकलती है जिससे महिलाओं के आसपास का वातावरण अन्य लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक हो जाता है, संक्रमण फैलने का डर रहता है। साथ ही उनके शरीर से विशेष प्रकार की तरंगे निकलती हैं, वह भी अन्य लोगों के लिए हानिकारक होती है। बस अन्य लोगों को इन्हीं बुरे प्रभावों से बचाने के लिए महिलाओं को अलग रखने की प्रथा शुरू की गई।

माहवारी के दिनों में महिलाओं में अत्यधिक कमजोरी भी आ जाती है तो इन दिनों अन्य कार्यों से उन्हें दूर रखने के पीछे यही कारण है कि उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके। इन दिनों महिलाओं को बाहर घुमना भी नहीं चाहिए क्योंकि ऐसी अवस्था में उन्हें बुरी नजर और अन्य बुरे प्रभाव जल्द ही प्रभावित कर लेते हैं।

अंक -786 इस्लाम में खास क्यों?

सैकड़ों या उससे भी ज्यादा धर्म हैं पृथ्वी पर। हर धर्म की कुछ विशिष्टताएं या खासियतें होती है। हिन्दुओं में ऊँ, स्वास्तिक और कार्य के प्रारंभ में श्री गणेशाय नम: का विशेष महत्व माना जाता है। सिक्खों मे अरदास, गुरुवाणी, सत श्रीअकाल और पगड़ी का खास महत्व होता है। वहीं ईसाई धर्म के मानने वालों का जीजस का्रइस्ट, क्रास का चिन्ह, माता मरियम और बाइबिल आदि के प्रति बड़ा आत्मीय सम्मान होता है।



जिस तरह किसी भी नए या शुभ कार्य की शुरुआत करने से पूर्व हिन्दुओं में गणेश को पूजा जाता है, क्योंकि गणेश को विघ्नहर्ता और सद्बुद्धि का देवता माना जाता है। उसी प्रकार इस्लाम धर्म में अंक-786 को सुभ अंक या शुभ प्रतीक माना जाता है। अरब से जन्में इस्लाल धर्म में अंक -786 का बड़ा ही धार्मिक महत्व माना गया है।



प्राचीन काल में अंक ज्योतिष और नक्षत्र ज्योतिष दोनों एक भविष्य विज्ञान के ही अंग थे। प्राचीन समय में अंक ज्योतिष के क्षेत्र में अरब देशों में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई थी। अरब देशों में ही इस्लाम का जन्म और प्रारंभिक संस्कारीकरण हुआ है। अंक-786 को अरबी ज्योतिष में बड़ा ही शुभकारक अंक माना गया है।



अंक ज्योतिष के अनुसार जब 7+8+6 का योग 21 आता है, तथा 2+1 का योग करने पर 3 का आंकड़ा मिलता है, जो कि लगभग सभी धर्मों में अत्यंत शुभ एवं पवित्र अंक माना जाता है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश की संख्या तीन, अल्लाह, पैगम्बर और नुमाइंदे की संख्या भी तीन तथा सारी सृष्टि के मूल में समाए प्रमुख गुण- सत् रज व तम भी तीन ही हैं।

Monday, July 12, 2010

सामिना मिना एह एह वाका वाका..शकीरा ने बांधा समां

सामिना मिना एह एह वाका वाका एह एह सामिना वाका वाका गीत की इन लाइनों पर शकीरा के साथ दर्शक भी थिरके। समापन समारोह में शकीरा के वाका-वाका नृत्य ने एक बार फिर लोगों को मोहित किया। फीफा वर्ल्डकप २क्१क् के इस आधिकारिक गीत को द. अफ्रीका के फ्रेशलीग्राउंड बैंड के सहयोग से तैयार किया गया। अफ्रीकी लोगों के अनुसार वाका वाका का अर्थ होता है ‘आग की एक लौ, जो तेज और तेज हो रही है’। समारोह के अंत में अगले वल्र्ड कप (2014) में ब्राजील में मिलने की कामना की गई। एक अन्य यादगार प्रस्तुति में लेजर रेज के जरिए फुटबॉल कौशल का शानदार प्रदर्शन किया गया।

अलविदा, ब्राजील में मिलेंगे

समापन समारोह बेहद आकर्षक था। शकीरा के वाका-वाका नृत्य ने एक बार फिर लोगों को मोहित किया। एक अन्य यादगार प्रस्तुति में लेजर किरणों के जरिए फुटबॉल कौशल का शानदार प्रदर्शन किया गया। समारोह के अंत में अगले वल्र्डकप (2014) में ब्राजील में मिलने की कामना की गई।

फीफा विश्वकप के हीरो पंडित पॉल

दक्षिण अफ्रीका में संपन्न हुए 19वें फीफा विश्व कप की शुरूआत में माना जा रहा था वायने रूनी, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लियोनेल मेस्सी और काका जैसे दिग्गज फुटबालर इस महाकुंभ के महानायक बनकर उभरेंगे लेकिन आखिर में कोई खिलाड़ी नहीं बल्कि सुदूर जर्मनी के ओबेरहासेन शहर में एक छोटे से टैंक में कैद आठ पैरों वाला आक्टोपस पॉल सब पर भारी पड़ गया ।

विश्व कप में अपनी सटीक भविष्यवाणियों के कारण पाल बाबा, संत पाल और पंडित पाल बने आक्टोपस ने यूं तो लीग चरण से ही जर्मनी के मैचों के विजेता के बारे में बताना शुरू कर दिया था लेकिन उन्हें नाकआउट चरण में अधिक लोकप्रियता मिली। सेमीफाइनल में स्पेन की जर्मनी पर जीत की भविष्यवाणी सही होने पर तो पंडित पाल ने लोकप्रियता की सभी सीमाएं लांघ दी।

आलम यह था कि पॉल बाबा जब फाइनल की भविष्यवाणी करने के लिये तैयार हुए तो दुनिया भर से लगभग 125 से अधिक पत्रकार उसकी कवरेज के लिये वहां मौजूद थे । इनमें स्पेन, हालैंड और जर्मनी ही नहीं बल्कि यूरोप के तमाम देशों के अलावा ब्राजील, अमेरिका और जापान के पत्रकार भी शामिल थे। एनटीवी जर्मनी के सौजन्य से इसका दुनिया भर में सीधा प्रसारण किया गया और उनकी भविष्यवाणी ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर पेश की गयी ।

पिछले एक सप्ताह के दौरान विभिन्न सर्च इंजिन में आक्टोपस पॉल के बारे में सर्वाधिक लोगों ने जानना चाहा। ट्विटर पर इस दौरान जिन विषयों पर चर्चा हुई उनमें शीर्ष दस में पाल का नंबर था। फेसबुक पर पाल बाबा पर विशेष पेज तैयार किया गया जिसे एक सप्ताह से भी कम समय में लगभग डेढ़ लाख लोगों ने पसंद किया।

Tuesday, July 6, 2010

मिलिये दुनिया की सबसे भाग्यशाली महिला से

अपनी किस्मत आजमाने के लिए अक्सर लोग लॉटरी का टिकट खरीदते हैं, लेकिन ज्यादातर को मायूसी ही हाथ लगती है। लेकिन अमेरिका में एक महिला पर किस्मत कुछ ज्यादा ही मेहरबान रहती है।

63 वर्षीय जोआन गिन्थर दुनिया की सबसे भाग्यशाली लॉटरी विजेता हैं। वो 1993 से अब तक चार बार लॉटरी जीत करोड़ों डॉलर अपने नाम करा चुकी हैं। गिंथर ने पिछले हफ्ते ही एक स्क्रैच लॉटरी टिकट के जरिए 10 मिलियन डॉलर जीते हैं।

इससे पहले वो 1993 में 5.4 मिलियन डॉलर जीत चुकीं हैं। इसी तरह उन्होंने स्क्रैच टिकट के जरिए 2006 में 2 मिलियन डॉलर और 2008 में 3 मिलियन डॉलर जीते।

एबीसी न्यूज के अनुसार 63 वर्षीय ग्रिन्थर ने अपने तीन टिकट तो टेक्सास के एक ही स्टोर से खरीदे। हालांकि ग्रिन्थर मीडिया और पब्लिसीटि से दूर रहती हैं और उन्होंने अभी तक कोई भी इंटरव्यू नहीं दिया है।

दस साल से सिर्फ चिप्स खाकर जिन्दा है

एसैक्स की एक महिला पिछले दस साल से सिर्फ चिप्स खाकर जिन्दा है। ऐसा नहीं है कि डेबी टेलर नामक इस 30 वर्षीय महिला ने कोई दूसरा व्यंजन चखने की कोशिश नहीं की, दरअसल पौष्टिक खाना खाने से वह गंभीर रूप से बीमार पड़ जाती हैं।


इसके इतर चिप्स या स्नैक्स खाने पर इनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है। आमतौर पर चिप्स का अत्यधिक सेवन हमारी सेहत खराब कर सकता है लेकिन डेबी के शरीर को सिर्फ स्नैक्स ही रास आते हैं।


डेबी की मानें तो दूसरी चीज खाने पर उनकी तबियत बिगड़ने लगती है जबकि स्नैक्स खाने से वह सेहतमंद रहतीं हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से वह बीफ फ्लेवर्ड मांस्टर मंच खा रहीं हैं और उसके पहले आठ वषों तक उन्होंने वॉकर्स चिप्स के सहारे जिन्दगी गुजारी। डेबी ने बताया कि उनका ब्वॉयफ्रैंड गेराल्ड और बेटे ल्यूक ने उन्हें दूसरी चीजें खिलाने की बहुत कोशिश की मगर उनकी हर कोशिश नाकाम रही।

भूत की फिल्म देख मर गया दर्शक

न्यूजीलैंड में फिल्म देखने गया एक दर्शक सीट पर ही मृत पाया गया। ट्वीलाइट सागा-एक्लिप्स देखने गया यह दर्शक थिएटर में मृत मिला।

'द न्यूजीलैंड हैराल्ड' के मुताबिक पुलिस थिएटर में मौत के इस मामले को अनसुलझा मान रही है। हालांकि पुलिस मौत को संदेहस्पद नहीं देख रही है।

इस व्यक्ति का शव न्यूजीलैंड की राजधानी वैलिंग्टन के एक थिएटर से भूतहा फिल्म ट्विलाईट सागा एक्लिप्स खत्म होने के बाद स्थानीय समयानुसार रात साढ़े आठ बजे मिला था। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही उसकी मौत की वजह का खुलासा हो सकेगा।

पुलिस के मुताबिक यह व्यक्ति अपनी सीट पर आगे की ओर झुका मिला था। स्टाफ के सदस्यों ने पहले उसे सोता हुआ समझा लेकिन बाद में जांच करने पर उसे मृत पाया।