कैलिफोर्निया के भौतिकशास्त्री डॉ. जेम्स बेनफोर्ड के अनुसार हम अब एलिंयस की तरह सोचकर काम कर रहे हैं। पिछले कई दशकों से वे हमसे संपर्क करना चाहते हैं और इसके लिए छोटे-छोटे संदेश भी भेज रहे हैं। जिस तरह से ट्वीटर पर ट्वीट्स एक तरह के छोटे संदेश होते हैं। जेम्स के अनुसार पिछले कई दशकों से वैज्ञानिकों ने एलियंस से संपर्क करने के गलत तरीकों को अपनाया है।
Thursday, July 22, 2010
एलियंस भी कर रहे हैं ट्वीट!
‘प्रोग्रामिंग’ की देन है तथागत का तेज दिमाग?
अगर तथागत के परिजनों के दावों में दम है तो आज के ज़माने में तुलसी को प्रोग्राम्ड चाइल्ड कहा जाएगा। मूल रूप से बिहार के रहने वाले तथागत अवतार तुलसी के पिता प्रोफेसर तुलसी नारायण प्रसाद सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। और वे ज्योतिषीय-अनुवांशिकी (एस्ट्रो-जेनेटिक्स) में गहरा यकीन रखते हैं। लेकिन उनका दावा है कि कुछ दशक पहले जब उन्होंने यह कहा था कि जन्म लेने वाले बच्चे का लिंग निर्धारित किया जा सकता है, तब उनका सिद्धांत खारिज कर दिया गया था और मानो जमाना उनका दुश्मन बन गया था।
लेकिन प्रसाद ने तब अपने सिद्धांत को सही साबित करने की ठान ली थी। इसके बाद प्रसाद एक लड़के के पिता बने और अपनी थियरी को सही साबित करने की कोशिश की। लेकिन आलोचकों ने मेरी एक न सुनी। आलोचकों ने तब भी मेरी थियरी को यह कहकर खारिज कर दिया था कि यह भगवान की देन है। फिर मैंने निश्चय किया कि मैं एक बार फिर लड़के का पिता बनूंगा। और, जब मैं फिर लड़के का पिता बना तो लोग चुप हो गए। उसी वक्त मेरे दिमाग में खयाल आया कि क्यों न किसी मेधावी पुत्र का पिता बना जाए।’
हालांकि, एस्ट्रोजेनेटिक्स को लेकर बहुत प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। आमतौर पर अनुवांशिकी और ज्योतिष का कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं होता है। यही वजह है कि प्रसाद के दावों को लेकर दो तरह की बातें सामने आ रही हैं। कुछ लोग उनकी इस थियरी से सहमत हैं और कुछ लोग उसे बकवास बता रहे हैं। प्रसाद की इस थियरी को लेकर रहस्य बरकरार है। विज्ञान या बयान?
तुलसी प्रसाद ने कहा कि यह एक विज्ञान है। उन्होंने कहा कि हमारे वैदिक साहित्य में ऐसा जिक्र है। प्रसाद के मुताबिक अगर हम इस सिद्धांत को सही तरीके से लागू करें तो हमें ऐसे ही नतीजे मिलेंगे। उनका कहना है कि मनुष्य का शरीर एक संपूर्ण संस्थान है। प्रकृति ने हमारे शरीर को नेमतें बख्शी हैं। शरीर में जरूरी रसायनों के उत्पादन के लिए ग्रंथियां हैं, जिन्हें अपनी मर्जी के मुताबिक संचालित किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया, ‘ मुझे और मेरी पत्नी को बच्चे के गर्भ में आने से लेकर जन्म तक खान-पान और सेक्स को लेकर हमारे मूड का ध्यान रखना पड़ा। हालांकि, तथागत के पिता के इस बयान को लेकर बंटी हुई प्रतिक्रिया आ रही हैं।
यहां पुलिसवाले पकड़ते हैं सांप-बिच्छू
प्रदेश के मुरैना जिले का देवगढ थाना ऐसा है जहां पदस्थ एक दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों को वर्षा काल के चार माह सांप और बिच्छुओं के भय से रतजगा करना पडता है और वे इन जहरीले कीडों को पकडने में रात गुजारते है।
देवगढ के थाना प्रभारी श्याम शर्मा ने बताया कि थाने के आसपास की जमीन काली मिट्टी की होने के कारण यहां सर्प और बिच्छू बहुतायत में निकलते है और वर्षा के चार महीनों में इनकी संख्या बहुत बढ जाती है। उन्होंने बताया कि थाना परिसर और भवन में शाम ढलते ही सांप बिच्छुओं का निकलना शुरू हो जाता है, तब पुलिस कर्मी सारे कार्य बंद कर इन जहरीले जीवों को पकडने में लग जाते हैं और रोज बाल्टी भर बिच्छू पकड कर सामने से निकल रही नहर में प्रवाहित करते है।
वशीकरण ऐसा कि विरोधी भी समर्थक
पारम्परिक और लम्बे रास्ते पर ना तो वह चलना चाहता है और ना ही उसके पास इतना समय होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यानि किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने, का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह अचूक और शर्तिया कारगर उपाय इस प्रकार है--
साइंस ऑफ मेडिटेशन- जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जोकि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट क्षवि वाला हो, उपलब्ध करें। उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठें, तो उस चित्र की क्षवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।
हर बार सफल- यह पूरा प्रयोग असंख्यों बार अजमाने पर हर बार सफल रहता है। किन्तु इसकी सफलता पूरी तरह से व्यक्ति की एकाग्रता और अटूट विश्वास पर निर्भर रहती है। मात्र तीन से सात दिनों में इस प्रयोग के स्पष्ट प्रभाव दीखने लगते हैं।
वशीकरण ऐसा कि विरोधी भी समर्थक
पारम्परिक और लम्बे रास्ते पर ना तो वह चलना चाहता है और ना ही उसके पास इतना समय होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यानि किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने, का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह अचूक और शर्तिया कारगर उपाय इस प्रकार है--
साइंस ऑफ मेडिटेशन- जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जोकि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट क्षवि वाला हो, उपलब्ध करें। उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठें, तो उस चित्र की क्षवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।
हर बार सफल- यह पूरा प्रयोग असंख्यों बार अजमाने पर हर बार सफल रहता है। किन्तु इसकी सफलता पूरी तरह से व्यक्ति की एकाग्रता और अटूट विश्वास पर निर्भर रहती है। मात्र तीन से सात दिनों में इस प्रयोग के स्पष्ट प्रभाव दीखने लगते हैं।
कर्ज में डूबा पैसा वसूलने का आसान उपाय
कई लोग व्यापारी में उधारी या रिश्तेदारों, मित्रों, परिचितों या अन्य किसी को दिए गए उधार पैसे के वापस न मिलने से हताश हो जाते हैं। कर्ज का पैसा डूबा मानकर नुकसान भी उठाते हैं।
ऐसे में मानसिक पीड़ा और आर्थिक परेशानी दोनों का सामना करना पड़ता है। हम आपको ऐसे उपाय बता रहे हैं जिसके करने से आपका डूबा पैसा या लंबे अरसे से नहीं लौटाया गया कर्ज वापस मिलने के आसार बंधेंगे। ये प्रयोग बहुत ही आसान और अचूक माने जाते हैं। इससे आपको ज्यादा मेहतन भी नहीं करनी पडग़ी और आसानी से आपका डूबा पैसा वापस मिल जाएगा।
उधार पैसा वापस निकालने के लिए प्रयोग
पीली कौड़ी- पीली कौड़ी लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करती हैं तथा यह कौड़ी कछुए के आकार जैसी दिखाई देती हैं। पांच पीली कौड़ी पूजा के स्थान पर रख देने से शुभ फल की प्राप्ति होती हैं।
राजा कौड़ी- उस व्यक्ति के पास आपका धन फंसा है, जो देने मे समर्थ है पर देना नहीं चाहता। उसका मन ही नहीं करता हैं कि वह आपका ऋण उतारे। ऐसे में दो राजा कौड़ी उसके घर के सामने डाल देने मात्र से उसका मन बदल जाएगा और वह आपके ऋण से मुक्त हो जाएगा।
इंसान नहीं यहां कुत्ते करते हैं 'सुसाइड'!
फिर भी अब तक ब्रिज से छलांग लगाकर जान देने वाले कुत्तों की संख्या 600 पार हो चुकी है। इन बेजुबान जानवरों को यहां आकर क्या हो जाता है या फिर उन्हें ब्रिज के नीचे ऐसा क्या नजर आता है, जो वे अपने होश खोकर छलांग लगा देते हैं, ये आज तक कोई नहीं समझ सका है।
1960 के दशक से लोगों का इस ओर ध्यान गया था। इसके बाद से देखा गया कि हर महीने कम से कम एक कुत्ता यहां से छलांग लगाता रहा है। इस हिसाब से ही ये संख्या 600 पार हो गई है। देखा जाए तो ब्रिज पर रैलिंग लगाकर इन हादसों को रोका जा सकता था।
इन घटनाओं के चश्मदीद रहे लोग कहते हैं कि कुत्ते वहां आकर ब्रिज की दीवर पर चढ़कर छलांग लगा देते हैं। कई बार ऐसा भी देखा गया कि अगर नीचे गिरकर भी उनकी जान बच गई, तो वे फिर से ऊपर आए और दोबारा छलांग लगाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। जानवरों के लिए काम कर रही संस्थाएं यहां विशेषज्ञ भेज चुकी हैं। फिर भी कोई ठोस कारण पता नहीं चल सका है।
राज़ है गहरा
स्कॉटलैंड का ओवरटोन ब्रिज कुत्तों का सुसाइड प्वॉइंट बन गया है। पिछले कई दशकों से देखा जा रहा है कि कुत्ते इस ब्रिज पर आकर नीचे छलांग लगा देते हैं। इसके पीछे क्या राज़ है ये आज तक पता नहीं चला है।
सच दिलचस्प
ग्रीक और रोमन संस्कृति में सेरबेरस डॉग की चर्चा की गई है। इसके अनुसार सेरबेरस एक तीन सिर वाला डॉग था, जो धरती के अंदर की दुनिया के द्वार का प्रहरी था। ज्यादातर तस्वीरों में इसके तीन सिर ही दिखाए जाते हैं। फिर भी किसी में इसके दो, किसी में एक और किसी में पचास तक सिर दिखाए गए हैं।
कार धुलाई के लगते हैं 5.18 लाख रुपए
वह कार के हर इंच की अंदर और बाहर से पांच बार पॉलिश और बफिंग करते हैं। यहां तक कि वह महीन से महीन स्क्रैच, जो नजर नहीं आता, देखने के लिए कंप्यूटर माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करते हैं। सहोता खुद एक साधारण सी गाड़ी चलाते हैं। उन्होंने पांच साल पहले एक बाल्टी और स्पॉंज से पड़ोसियों की कार धोकर बिजनेस शुरू किया था।
उसके बाद से वह सैकड़ों सुपर कारें साफ कर चुके हैं। उनके पास ग्राहकों के रूप में सेलिब्रिटीज की लंबी फेहरिस्त है। सहोता का कहना है कि यदि आपके पास पांच लाख पाउंड की कार है तो इसकी सफाई पर कुछ हजार खर्च करना ज्यादा नहीं है। सहोता डर्बीशायर में अपने माता-पिता के साथ रहते हैं और उनके डबल गैराज को हाई-टैक वर्कशॉप में बदल दिया है।
वह हरेक कार को सबसे पहले एक ही तरीके से धोते हैं। भेड़ की ऊन के गोले और साबुन वाले पानी से। उन्होंने कहा जब मैंने पहली बार फेरारी एंजो की वॉशिंग की तो पूरा एक हफ्ता लगा था। रात को सोते वक्त भी मुझे लाल फेरारी ही नजर आती थी। सहोता अकेले ही काम करते हैं। जब वह बर्मिघम यूनिवर्सिटी में अकाउंटैंसी में डिग्री कर रहे थे तभी कार धोने का काम शुरू कर दिया था।
डिग्री लेने के बाद एक स्थानीय एस्टन मार्टिन के डीलर से उसकी डीबी9 मुफ्त में धोने की इजाजत मांगी थी। डीलर उनके काम से इतना प्रभावित हुआ कि अपने क्लायंट्स से उनका परिचय करा दिया और सहोता का बिजनेस चल निकला। इसके बाद सहोता ने खुद की फर्म इलाईट डिटेलिंग शुरू कर दी।
सहोता को याद है जब उन्हें दुनिया की सबसे महंगी कार मैकलैरन एफ1 वॉश करने को दी गई। इसकी कीमत 30 लाख पाउंड यानी करीब 21.58 करोड़ रु. है। उन्होंने कहा मैकलैरन एफ1 निर्विवाद रूप से मेरी पसंदीदा कार है। यह इतनी विशिष्ट है कि आपको मुश्किल से ही कोई सड़क पर दौड़ती मिलेगी।