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Friday, April 2, 2010

50 वर्ष बाद दुर्लभ संयोग

इस वर्ष अधिक मास के बाद द्वितीय वैशाख के शुक्लपक्ष में 13 दिवसीय पक्ष का दुर्लभ संयोग बनेगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक इससे पहले यह संयोग 1948 में बना था, लेकिन तब अधिक मास नहीं था।



यूं तो इस पक्ष में विवाह आदि कार्य वर्जित माने जाते हैं, मगर विवाह लगन के केंद्र में शुभ ग्रहों की दृष्टि वाले जातकों के शुभ कार्य संपन्न हो सकेंगे। माना जाता है कि 13 दिवसीय पक्ष का संयोग सर्वप्रथम महाभारत काल में बना था।



सामान्य तौर पर 13 दिन का पक्ष 1993 में आषाढ़ शुक्ल पक्ष, वर्ष 2005 में कार्तिक शुक्ल पक्ष और 2007 में सावन कृष्ण पक्ष में भी बना था। पंचांग निर्माताओं की मानें तो अधिकमास के बाद वैशाख शुक्लपक्ष में १३ दिन का पक्ष संभवतया अब तक का पहला संयोग है। पुरुषोत्तमास में व्रत व दान-पुण्य से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषी चंद्रमोहन दाधीच के अनुसार इस बार द्वितीय वैशाख के शुक्लपक्ष में प्रतिपदा व चतुर्दशी तिथि क्षय होने से बनने वाले 13 दिन के पक्ष से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।



पंचांगों का मत



पं. बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार हालांकि शास्त्रों में 13 दिवसीय पक्ष अशुद्ध माना गया है, लेकिन पंचांग में यह मत भी दिया गया है अधिक आवश्यक होने पर विवाह करने वाले जातकों के लग्न के केंद्र में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह संभव हो सकते हैं। पंचांग दर्पण के सह-संपादक पं. शक्तिमोहन श्रीमाली के अनुसार केंद्र में शुभ ग्रहों की स्थिति वाले लगA में यह दोष समाप्त हो जाता है।



इस वर्ष अधिकांश पंचांगों में पीयूषधारा के वाक्य को ध्यान में रखते हुए द्वितीय वैशाख शुक्ल में 13 दिन के पक्ष में विवाह आदि मांगलिक कार्यो के मुहूर्त लगाए गए हैं, पंचांग दर्पण के मतानुसार अत्यंत आवश्यक स्थिति में ही इन्हें स्वीकार करना चाहिए।