Saturday, August 15, 2009

शूकर इन्फ्लूएंजा

शूकर इन्फ्लूएंजा, जिसे एच1एन1 या स्वाइन फ्लू भी कहते हैं, विभिन्न शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणुओं मे से किसी एक के द्वारा फैलाया गया संक्रमण है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु (SIV-एस.आई.वी), इन्फ्लूएंजा कुल के विषाणुओं का वह कोई भी उपभेद है, जो कि सूअरों की स्थानिकमारी के लिए उत्तरदायी है।[२] 2009 तक ज्ञात एस.आई.वी उपभेदों में इन्फ्लूएंजा सी और इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच1एन1 (H1N1), एच1एन2 (H1N2), एच3एन1 (H3N1), एच3एन2 (H3N2) और एच2एन3 (H2N3) शामिल हैं। इस प्रकार का इन्फ्लूएंजा मनुष्यों और पक्षियों पर भी प्रभाव डालता है।

शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु का दुनिया भर के सुअरो मे पाया जाना आम है। इस विषाणु का सूअरों से मनुष्य मे संचरण आम नहीं है और हमेशा ही यह विषाणु मानव इन्फ्लूएंजा का कारण नहीं बनता, अक्सर रक्त में इसके विरुद्ध सिर्फ प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) का उत्पादन ही होता है। यदि इसका संचरण, मानव इन्फ्लूएंजा का कारण बनता है, तब इसे ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से सूअरों के सम्पर्क में रहते है उन्हें इस फ्लू के संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। यदि एक संक्रमित सुअर का मांस ठीक से पकाया जाये तो इसके सेवन से संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता।

२०वीं शताब्दी के मध्य मे, इन्फ्लूएंजा के उपप्रकारों की पहचान संभव हो गयी जिसके कारण, मानव मे इसके संचरण का सही निदान संभव हो पाया। तब से ऐसे केवल ५० संचरणों की पुष्टि की गई है। शूकर इन्फ्लूएंजा के यह उपभेद बिरले ही एक मानव से दूसरे मानव मे संचारित होते हैं। मानव में ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा के लक्षण आम इन्फ्लूएंजा के लक्षणों के समान ही होते हैं, जैसे ठंड लगना, बुखार, गले में ख़राश, खाँसी, मांसपेशियों में दर्द, तेज सिर दर्द, कमजोरी और सामान्य बेचैनी।

अनुक्रम

चिन्ह व लक्षण

सूअर में

सुअरों मे शूकर इंफ्लुएंजा के मुख्य लक्षण।

सूअरों में इन्फ्लूएंजा संक्रमण के कारण ज्वर, सुस्ती, छींक, खाँसी, साँस लेने में कठिनाई, और भूख की कमी हो सकती है। कुछ मामलों में यह संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकता है। हालांकि आमतौर पर मृत्यु सिर्फ 1-4% मामलों मे ही होती है। यह संक्रमण सूअर का वजन घटा और विकास को प्रभावित कर सकता है जो इनके पालको के आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। संक्रमित सूअर का वजन 3 से 4 सप्ताह की अवधि के दौरान ५ से ६ किलोग्राम तक घट सकता है।

मनुष्यों में

मनुष्यों मे शूकर इंफ्लुएंजा के मुख्य लक्षण

मनुष्यों में शूकर इन्फ्लूएंजा का मुख्य लक्षण हैं: -

  • ज्वर
  • गले मे खरांश
  • जुकाम
  • खाँसी
  • सिर व बदन दर्द
  • जोड़ों में कठोरता
  • उल्टी
  • मूर्छा
  • ठंड लगना

शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु का संचरण सीधे सूअरों से मनुष्यों मे कभी कभी संभव है, इस स्थित मे इसे जू़नोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। 1958 से अभी तक सिर्फ 50 मामले ही रिपोर्ट हुये हैं जिनमे से सिर्फ ६ व्यक्तियों की ही मृत्यु हुई है। इन छह लोगों में से एक महिला गर्भवती थी, एक को ल्यूकिमिया था, एक को हॉजकिन रोग था और दो लोग पहले से स्वस्थ थे। भले ही यह प्रत्यक्ष मामले बहुत कम लगें पर वास्तविक संक्रमण की सही दर कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि ज्यादातर मामलों मे यह सामान्य रोग ही लगता है, और इस कारण इसे रिपोर्ट ही नहीं किया जाता।

वर्गीकरण

तीन वंशो के इन्फ्लूएंजा विषाणु जो कि मानव इन्फ्लूएंजा के लिए उत्तरदायी हैं मे से दो सूअरों में भी इन्फ्लूएंजा फैला सकते हैं, जिसमे से इन्फ्लूएंजा ए तो बहुत आम है पर इन्फ्लूएंजा सी यदा कदा ही पाया जाता है।[४]अभी तक इन्फ्लूएंजा बी को सूअरों में देखा नहीं गया है। इन्फ्लूएंजा ए और इन्फ्लूएंजा सी के भीतर मनुष्य और सूअरों में पाये जाने वाले उपभेद भिन्न होते हैं हालांकि रीअसोर्टमेंट के कारण उपभेदों मे बड़े पैमाने जीन का स्थानांतरण देखा गया है चाहें यह सूअर, पक्षी या मानव प्रजाति में उपस्थित हो।

इन्फ्लूएंजा सी

इन्फ्लूएंजा सी विषाणु, मानव और सूअरों दोनों को संक्रमित करता है लेकिन इसका संक्रमण पक्षियों मे नहीं होता।[५] अतीत मे भी इसका संचरण सूअरों और इंसानों के बीच हुआ है।[६]उदाहरण के लिए, इन्फ्लूएंजा सी के कारण जापान[७] और कैलिफोर्निया[७] में बच्चों के बीच इन्फ्लूएंजा का कम प्रभावी प्रकार फैला था। अपनी सीमित परपोषी रेंज और आनुवंशिक विविधता की कमी के कारण इन्फ्लूएंजा सी मानव में महामारी का कारण नहीं बन पाया है।[८]

इन्फ्लूएंजा ए

शूकर इन्फ्लूएंजा, इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच1एन1,[९]एच1एन2,[९]एच3एन1,[१०]एच3एन2,[९] और एच2एन3.[११] के कारण होता है। पूरे विश्व मे सूअरों में, तीन इन्फ्लूएंजा ए विषाणु उपप्रकार एच1एन1, एच3एन2 और एच1एन2 सबसे आम हैं।

पृष्ठभूमि

एच१एन१ स्पैनिश फ्लु से आया, जो १९१८ और १९१९ के दौरान फैली एक महामारी थी जिससे लगभग ५ करोड़ लोग मारे गए थे। [१२] जो वायरस स्पैनिश फ्लु से आया वह सूअरों में विद्यमान रहा। इसका संचलन २० वीं सदी के दौरान मनुष्यों में भी हुआ, यद्यपि यह वर्ष के उस समय होता है जब प्रतिवर्ष होने वाली महामारियाँ फैलती हैं, जिससे 'सामान्य' इंफ्लुएंजा और शूकर इंफ्लुएंजा में अंतर कर पाना कठिन है। हालांकि सुअरों से मनुष्यों में होने वाले संक्रमण के मामले बहुत विरल हैं, और २००५ के बाद से अमेरिका में १२ मामले पाए गए हैं।[१३]

शूकर इंफ्लुएंजा कहाँ पाया जाता है

मनुष्यों में शूकर इंफ्लुएंजा

२००९ का फैलाव


बचाव

  • हर किसी को अपना मुँह और अपनी नाक ढक कर रखना जरूरी है, खासकर तब जब कोई छींक रहा हो;
  • बार-बार हाथ धोना जरूरी है;
  • अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा।
  • अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है.

शूकर इन्फ्लूएंजा

शूकर इन्फ्लूएंजा, जिसे एच1एन1 या स्वाइन फ्लू भी कहते हैं, विभिन्न शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणुओं मे से किसी एक के द्वारा फैलाया गया संक्रमण है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु (SIV-एस.आई.वी), इन्फ्लूएंजा कुल के विषाणुओं का वह कोई भी उपभेद है, जो कि सूअरों की स्थानिकमारी के लिए उत्तरदायी है।[२] 2009 तक ज्ञात एस.आई.वी उपभेदों में इन्फ्लूएंजा सी और इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच1एन1 (H1N1), एच1एन2 (H1N2), एच3एन1 (H3N1), एच3एन2 (H3N2) और एच2एन3 (H2N3) शामिल हैं। इस प्रकार का इन्फ्लूएंजा मनुष्यों और पक्षियों पर भी प्रभाव डालता है।

शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु का दुनिया भर के सुअरो मे पाया जाना आम है। इस विषाणु का सूअरों से मनुष्य मे संचरण आम नहीं है और हमेशा ही यह विषाणु मानव इन्फ्लूएंजा का कारण नहीं बनता, अक्सर रक्त में इसके विरुद्ध सिर्फ प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) का उत्पादन ही होता है। यदि इसका संचरण, मानव इन्फ्लूएंजा का कारण बनता है, तब इसे ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से सूअरों के सम्पर्क में रहते है उन्हें इस फ्लू के संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। यदि एक संक्रमित सुअर का मांस ठीक से पकाया जाये तो इसके सेवन से संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता।

२०वीं शताब्दी के मध्य मे, इन्फ्लूएंजा के उपप्रकारों की पहचान संभव हो गयी जिसके कारण, मानव मे इसके संचरण का सही निदान संभव हो पाया। तब से ऐसे केवल ५० संचरणों की पुष्टि की गई है। शूकर इन्फ्लूएंजा के यह उपभेद बिरले ही एक मानव से दूसरे मानव मे संचारित होते हैं। मानव में ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा के लक्षण आम इन्फ्लूएंजा के लक्षणों के समान ही होते हैं, जैसे ठंड लगना, बुखार, गले में ख़राश, खाँसी, मांसपेशियों में दर्द, तेज सिर दर्द, कमजोरी और सामान्य बेचैनी।

अनुक्रम

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[संपादित करें] चिन्ह व लक्षण

[संपादित करें] सूअर में

सुअरों मे शूकर इंफ्लुएंजा के मुख्य लक्षण।

सूअरों में इन्फ्लूएंजा संक्रमण के कारण ज्वर, सुस्ती, छींक, खाँसी, साँस लेने में कठिनाई, और भूख की कमी हो सकती है। कुछ मामलों में यह संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकता है। हालांकि आमतौर पर मृत्यु सिर्फ 1-4% मामलों मे ही होती है। यह संक्रमण सूअर का वजन घटा और विकास को प्रभावित कर सकता है जो इनके पालको के आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। संक्रमित सूअर का वजन 3 से 4 सप्ताह की अवधि के दौरान ५ से ६ किलोग्राम तक घट सकता है।

[संपादित करें] मनुष्यों में

मनुष्यों मे शूकर इंफ्लुएंजा के मुख्य लक्षण[३]
यह भी देखें: The Centers for Disease Control and Prevention (CDC): Symptoms of Swine Flu in YouTube

मनुष्यों में शूकर इन्फ्लूएंजा का मुख्य लक्षण हैं: -

  • ज्वर
  • गले मे खरांश
  • जुकाम
  • खाँसी
  • सिर व बदन दर्द
  • जोड़ों में कठोरता
  • उल्टी
  • मूर्छा
  • ठंड लगना

शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु का संचरण सीधे सूअरों से मनुष्यों मे कभी कभी संभव है, इस स्थित मे इसे जू़नोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। 1958 से अभी तक सिर्फ 50 मामले ही रिपोर्ट हुये हैं जिनमे से सिर्फ ६ व्यक्तियों की ही मृत्यु हुई है। इन छह लोगों में से एक महिला गर्भवती थी, एक को ल्यूकिमिया था, एक को हॉजकिन रोग था और दो लोग पहले से स्वस्थ थे। भले ही यह प्रत्यक्ष मामले बहुत कम लगें पर वास्तविक संक्रमण की सही दर कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि ज्यादातर मामलों मे यह सामान्य रोग ही लगता है, और इस कारण इसे रिपोर्ट ही नहीं किया जाता।

[संपादित करें] वर्गीकरण

तीन वंशो के इन्फ्लूएंजा विषाणु जो कि मानव इन्फ्लूएंजा के लिए उत्तरदायी हैं मे से दो सूअरों में भी इन्फ्लूएंजा फैला सकते हैं, जिसमे से इन्फ्लूएंजा ए तो बहुत आम है पर इन्फ्लूएंजा सी यदा कदा ही पाया जाता है।[४]अभी तक इन्फ्लूएंजा बी को सूअरों में देखा नहीं गया है। इन्फ्लूएंजा ए और इन्फ्लूएंजा सी के भीतर मनुष्य और सूअरों में पाये जाने वाले उपभेद भिन्न होते हैं हालांकि रीअसोर्टमेंट के कारण उपभेदों मे बड़े पैमाने जीन का स्थानांतरण देखा गया है चाहें यह सूअर, पक्षी या मानव प्रजाति में उपस्थित हो।

[संपादित करें] इन्फ्लूएंजा सी

इन्फ्लूएंजा सी विषाणु, मानव और सूअरों दोनों को संक्रमित करता है लेकिन इसका संक्रमण पक्षियों मे नहीं होता।[५] अतीत मे भी इसका संचरण सूअरों और इंसानों के बीच हुआ है।[६]उदाहरण के लिए, इन्फ्लूएंजा सी के कारण जापान[७] और कैलिफोर्निया[७] में बच्चों के बीच इन्फ्लूएंजा का कम प्रभावी प्रकार फैला था। अपनी सीमित परपोषी रेंज और आनुवंशिक विविधता की कमी के कारण इन्फ्लूएंजा सी मानव में महामारी का कारण नहीं बन पाया है।[८]

[संपादित करें] इन्फ्लूएंजा ए

शूकर इन्फ्लूएंजा, इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच1एन1,[९]एच1एन2,[९]एच3एन1,[१०]एच3एन2,[९] और एच2एन3.[११] के कारण होता है। पूरे विश्व मे सूअरों में, तीन इन्फ्लूएंजा ए विषाणु उपप्रकार एच1एन1, एच3एन2 और एच1एन2 सबसे आम हैं।

[संपादित करें] पृष्ठभूमि

एच१एन१ स्पैनिश फ्लु से आया, जो १९१८ और १९१९ के दौरान फैली एक महामारी थी जिससे लगभग ५ करोड़ लोग मारे गए थे। [१२] जो वायरस स्पैनिश फ्लु से आया वह सूअरों में विद्यमान रहा। इसका संचलन २० वीं सदी के दौरान मनुष्यों में भी हुआ, यद्यपि यह वर्ष के उस समय होता है जब प्रतिवर्ष होने वाली महामारियाँ फैलती हैं, जिससे 'सामान्य' इंफ्लुएंजा और शूकर इंफ्लुएंजा में अंतर कर पाना कठिन है। हालांकि सुअरों से मनुष्यों में होने वाले संक्रमण के मामले बहुत विरल हैं, और २००५ के बाद से अमेरिका में १२ मामले पाए गए हैं।[१३]

[संपादित करें] शूकर इंफ्लुएंजा कहाँ पाया जाता है

[संपादित करें] मनुष्यों में शूकर इंफ्लुएंजा

[संपादित करें] २००९ का फैलाव

इस लेख का यह प्रभाग एक चालू घटना का वर्णन करता है।
इस प्रभाग पर दी गई जानकारी शीघ्र या कालांतर (निकट या सुदूर भविष्य) में बदल सकती हैं।

[संपादित करें] बचाव

  • हर किसी को अपना मुँह और अपनी नाक ढक कर रखना जरूरी है, खासकर तब जब कोई छींक रहा हो;
  • बार-बार हाथ धोना जरूरी है;
  • अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा।
  • अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है.

जानिए स्वाइन फ्लू के बारे में


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मेक्सिको से शुरू हुई स्वाइन फ्लू की महामारी पूरे विश्व में फैल रही है. अब अमरिका और कनाडा में भी स्वाइन फ्लू के केस सामने आए हैं. ऐसे में इस बिमारी के बारे में पर्याप्त और सही जानकारी होनी आवश्यक है.

पेश है मनुष्यों के लिए नई इस बिमारी के बारे में जानकारी:

स्वाइन फ्लू है क्या?

स्वाइन फ्लू सूअर से उत्परिवर्तित वाईरस से हुई है. इसके लक्षण सामान्य फ्लू जैसे ही होते हैं, जैसे कि बूखार, गला सूखना, खाँसी आना, सरदर्द, नाक में खुजली होना, शरीर में दर्द आदि.

क्या इसका उपचार सम्भव है?

हाँ, कुछ दवाईयों ने इस बिमारी से ग्रस्त रोगियों पर असर दिखाया है. कुछ एंटिवाइरल दवाईयाँ भी कारगर सिद्ध हुई हैं. टेमिफ्लू तथा रेलेंज़ा जैसी दवाईयाँ असरकारक है.

क्या सुअरों से यह बिमारी फैल रही है?

शुरूआती लक्षण इस ओर इशारा करते जरूर हैं, लेकिन स्वाइन फ्लू इस समय इंसान से इंसान को लग रही है. यह बिमारी सुअरों में आम तौर पर पाई जाने वाली स्वाइन फ्लू का उत्परिवर्तित रूप कही जा सकती है.

स्वाइन फ्लू का वाइरस उत्परिवर्तित होता रहता है. इसका वही रूप इंसानों को लगा है, और अब इंसानों से ही फैल रहा है.

क्या सूअर का मांस घातक है?


नहीं! स्वाइन फ्लू खाने से नहीं फैलता. सूअर का मांस स्वाइन फ्लू के लिहाज से सुरक्षित है.

क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

यदि कोई आपका परिचित अमरिका, मैक्सिको या यूरोप से आया है तो उसकी चिकित्सकीय जाँच कराएँ. यदि आप विदेश यात्रा पर जा रहे हैं तो सावधारी रखें.

बार बार हाथ धोते रहें. यदि आप बिमार महसूस कर रहे हैं तो घर पर ही रहें और खांसी को काबू में रखने का प्रयत्न करें. खांसते समय मूँह ढक लें. यदि खांसते समय हाथों से मूँह ढका है तो लगातार हाथ धोते रहें.