
वैज्ञानिकों का मानना है कि तापमान बढ़ने के कारण ये जैली फिश यहां समुद्र के किनारों की तरफ आती जा रही हैं। ये सामान्यत: कैरेबियन समुद्र में पाई जाती हैं। लेकिन तापमान बढ़ने की वजह से अटलांटिक सागर की ओर बढ़ती चली आ रही हैं।
लंदन. चीन में एक अनोखे जानवर की खोज की गई है जो देखने में तो भालू की तरह लगता है पर पूंछ कंगारु की तरह है और जिसकी आवाज बिल्ली की तरह है। अपनी प्रजाति के संभवत: इस अंतिम जानवर को वैज्ञानिकों ने ‘ओरियेन्टल येती’ नाम दिया है । इस जानवर को हाल ही में मध्य चीन के सिचुआन प्रांत के जंगल से वैज्ञानिकों ने अपने कब्जे में लिया है। स्थानीय लोगों द्वारा एक भालू देखने की सूचना मिलने पर शिकारियों ने इसे जंगल से पकड़ा था ।
‘डेली टेलीग्राफ’ के मुताबिक वैज्ञानिकों का एक दल इस बालविहीन ‘भालू’ के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहा है ।
इस जानवर को पकड़ने वाले शिकारी लू चिन ने कहा ‘‘ यह जानवर भालू की तरह दिखता तो है लेकिन इसके रोएं नहीं हैं। इसकी आवाज भी बिल्ली की तरह है और यह हमेशा शोर करता रहता है । शायद यह अपनी प्रजाति के अन्य जानवरों को खोज रहा हो या ऐसा भी हो सकता है कि यह अपनी प्रजाति का आखिरी जानवर हो ।’’ लू ने बताया कि एक स्थानीय दंतकथा के मुताबिक एक भालू आदमी का रुप धारण कर लेता था और कुछ लोगों को लगता है कि यह जानवर वही भालू है ।
स्थानीय विशेषज्ञ अब इस अनोखे जानवर को बीजिंग भेजने की योजना बना रहे हैं जहां शीर्ष वैज्ञानिक इसका डीएनए टेस्ट कर सकेंगे ।
लंदन. यूएफओ की तलाश में रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि उन्हें पक्का यकीन है कि देश में भेड़ों की क्षत-विक्षत लाशें मिलने की घटनाओं के पीछे दूसरे ग्रह के प्राणियों का हाथ है। किसानों को लगता है कि उनकी भेड़ों पर कोई परीक्षण किया जा रहा है। कई मामलों में भेड़ों की आंखें, उनके मस्तिष्क तथा अन्य अंदरूनी अंग निकाल लिए गए हैं।
श्रूसबरी, इंग्लैंड के 53 वर्षीय फिल होयल ने कहा कि वह पिछले नौ वर्षो से इन जानवरों की लाशें विकृत किए जाने की घटनाओं की जांच कर रहे हैं। उन्होंने खुद एक ऐसी घटना देखने का दावा भी किया है। उन्होंने और उनकी एनिमल पैथोलॉजी फील्ड यूनिट टीम के सदस्यों ने देखा था कि दो उड़नतश्तरियों ने पहले तो एक खास किस्म के प्रकाश का प्रयोग कर भेड़ को मार डाला और फिर लाश के पास खुद अपने जैसी दो आकृतियां भेज दीं।
उन्होंने रैंडर फॉरेस्ट के निकट एक फार्म में हुई इस घटना के बारे में कहा, कुछ देर के लिए तो यह स्टार वार्स के युद्ध के जैसा दृश्य लग रहा था। इन हमलों में इस्तेमाल की गई टैकनोलॉजी बहुत भयावह है। ये रोशनियां और उनके दायरे स्पष्ट रूप से हमारे नहीं हैं। इनके निर्माण में जिस टैक्नोलॉजी और बुद्धि का इस्तेमाल किया गया है वह निश्चित रूप से इस पृथ्वी की नहीं है। होयल ने कहा, उन्होंने अगले दिन क्षेत्र के किसानों से बातचीत की और लगभग सभी ने कहा कि उनके जानवर असामान्य रूप से गायब हो रहे हैं या अद्भुत चोटों के कारण मर चुके हैं।