आइए देखते हैं प्रकृति के कुछ मनोहारी दृश्य -










जब यह बात मुझे मेरे पति ने बताई तो मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकी। मैंने सोचा की यह एक मजाक है। लेकिन जब मैंने देखा कि हमारे पड़ोसियों ने अपने घर की खिड़की और दरवाजे बंद कर रखे हैं तब मुझे इस बात का एहसास हुआ।
हमारे घर के पास में ही एक पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता है पर पता नहीं क्यों अचानक से वे झुंड बनाकर इस तरह से यहां आ गईं। हालांकि बाद में मधुमक्खी पालने वाले जिम जोएनर को बुलाया गया। जिम और उसके एक साथी ने मिलकर उन मधुमक्खियों को वहां से हटा दिया
ब्रिस्टल के स्ट्रोक पार्क में स्टीव अपने साथी एलेक्स वुड के साथ जाकर हमेशा गिलहरी को प्रोत्साहित करते रहते थे। अब ये स्थिति है कि गिलहरी उनके साथ बैठी रहती है। उनसे हाथ मिलाती है। इतना ही नहीं अखरोट दिए जाने का इंतजार भी नहीं करती। उनके कंधे पर बैठकर जेब में से अखरोट अपने-आप निकाल लेती है।
उनकी इच्छा के अनुसार उनके घर वालों ने सेन जुआन के फ्यूनेरल होम में लोगों के दर्शन के लिए उनका शरीर बाइक पर सजाया था। बाइक पर रखे उनके मृत शरीर को देखकर ऐसा लगता है वे पूरी रफ्तार में बाइक चला रहे हैं। अगर किसी को पता न हो तो वह समझ नहीं सकता कि बाइक पर शव रखा है। उनके पैर बाइक के ब्रेक और गियर पर रखे गए हैं और सीट पर हेलमेट भी रखा हुआ है।
मौत के बाद भी अपनी प्यारी बाइक पर बैठे कोलोन को देखने बहुत से लोग वहां पहुंचे थे और उन्होंने उनकी इस अंदाज में तस्वीरें भी खींची थीं। इसी तरह 2008 के एक मामले में भी वहां एक 24 वर्षीय युवक को उसकी अंतिम इच्छा के तहत तीन दिन तक घर के लिविंग रूम में खड़ा कर रखा गया था।
देश की संसद के निचले सदन में गुरुवार को इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। हालांकि इसको लागू होने में अभी समय लगेगा। राजनीतिक संकट का सामना कर रहे देश में अगर समय पूर्व चुनाव की स्थितियां बनती हैं तो इस पर पुनर्विचार भी हो सकता है। सभी सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसद विधेयक के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि ऐसा सुरक्षा कारणों से भी अनिवार्य है।
लिबरल सांसद डेनिस ड्यूक्रेम का कहना है कि शुरूआत तो हमने कर दी है। हमें यह भी आशा है कि फ्रांस, स्विट्जरलैंड, इटली और नीदरलैंड जैसे देश भी इसका अनुसरण करेंगे। विधेयक के मुताबिक किसी भी सार्वजनिक स्थान पर बुर्का पहनने पर 20-34 डॉलर तक का जुर्माना और सात दिन की सजा हो सकती है। हालांकि मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। मुस्लिम एक्जीक्यूटिव ऑफ बेल्जियम की वाइस प्रेसीडेंट इसाबेल प्रेल के मुताबिक यह धार्मिक पहचानों पर प्रहार है और आगे अन्य धर्म भी इसका शिकार हो सकते हैं। प्रतिबंध लगा तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।