इस कपड़े (कफन) पर एक व्यक्ति का चित्र है, जिसे देखकर लगता है कि वह सूली पर लटकते हुए दर्द से कराह रहा है। इस चित्र की उत्पत्ति कई वैज्ञानिकों, धर्मशास्त्रियों, इतिहासविदों और शोधकर्ताओं के बीच एक गंभीर चर्चा का विषय है। वेटिकन ने अब यह घोषणा की है कि इस कफन को 10 अप्रैल से 23 मई के बीच तुरीन कैथ्रेडल में प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा। मालूम हो कि तुरीन कैथ्रेडल में यह कफन 500 से अधिक वर्षों से रखा हुआ है और चर्च के सहस्राब्दी समारोह के मौके पर 10 साल पहले आखिरी बार इसे प्रदर्शनी के लिए रखा गया था।
तुरीन कार्डिनल सेवेरिनो पोलेटे के हवाले से डेली मेल टैलीग्राफ ने बताया है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हमारी ईसाई आस्था कफन पर आधारित नहीं है बल्कि गॉस्पेल और एपोस्टील्स की शिक्षाओं पर आधारित है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इस कफन की प्रमाणिकता साबित करना कठिन है। बहरहाल, उन्होंने माना कि इस बारे में कोई गणितीय निश्चितता नहीं है, जिससे यह प्रमाणित किया जा सके कि यह वही कफन है जिसे प्रभु ईशु की देह पर डाला गया था।
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