देश में करीब सौ साल पहले चलन में रहे ढाई रुपए के नोट की कीमत भले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नजर में शून्य हो, पर इसे खरीदने वाले ढाई लाख रु. तक का ऑफर दे चुके हैं। यह नोट भारतीय मुद्राओं का कलेक्शन रखने वाले आरबीआई के पूर्व प्रबंधक सत्यनारायण सहल के पास है, जो उन्हें डेढ़ दशक पूर्व मुंबई पोस्टिंग के दौरान उनके एक मित्र ने तोहफे में दिया था। उनके मुताबिक अब तक इस नोट के कई खरीदार उनके पास आ चुके हैं। सहल ने बताया कि जब वे किसी को इस नोट के बारे में बताते हैं तो आश्चर्य होता है कि कभी हमारे देश में ढाई रुपए का नोट भी चलन में था।
5 के नोट को बड़ी रकम माना
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की सबसे पहली कागजी मुद्रा के तौर पर पांच रु. का नोट जारी किया गया था, जो करीब सौ साल पहले हरे प्रिंट में छपा था। उस समय पांच रुपया बहुत बड़ी रकम मानी जाती थी, लिहाजा इंडिया ने ब्रिटिश कंपनी को सिफारिश की थी कि इसकी आधी कीमत का नोट छापा जाए। वह आग्रह मान लिया गया गया।
1928 में लग गई थी नोट पर पाबंदी
बैंक से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 1935 में रिजर्व बैंक की स्थापना हुई थी, उससे पहले ही 1928 में इस नोट पर पाबंदी लग गई थी, इसलिए रिजर्व बैंक की नजर में इसका मूल्य जीरो है।
50 साल से कर रहे हैं कलेक्शन
पिछले पचास साल से मुद्राओं का कलेक्शन कर रहे सहल का कहना था कि उनके लिए ये मुद्राएं कमाई का जरिया नहीं हैं। उन्हें लाखों के ऑफर मिले, लेकिन वे इनका मू्ल्य नहीं लगाना चाहते।
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