फर्राटे सेे गाडियां दौडाना अब महिलाओं को खूब रास आ रहा है। 19 वर्षीय अलीशा अब्दुल्ला ने जब जेके टायर नेशनल रेसिंग चैंपियनशिप में शिरकत की तो तमाम पुरूष प्रतिभागियों के बीच वह अकेली महिला थीं। कोयंबटूर में आयोजित हुई इस चैंपियनशिप में भाग लेते समय पहले तो अलीशा को पुरूष प्रतिभागियों के मजाक का शिकार होना पडा, लेकिन जैसे ही उन्होंने अपनी 110 सीसी यामाहा क्रक्स दौडानी शुरू की तो लोगों ने दांतों तले अंगुलियां दबा लीं। अलीशा से प्रेरणा लेकर अब तमाम रफ्तार की रानियां ट्रैक पर उतर आई हैं और रफ्तार की सीमाएं तोडते हुए कामयाबी की नई इबारतें लिख रही हैं।
महिमा का जुनून
बाइक रेसिंग में उभरता सितारा हैं- महिमा निझाउनी का। महिमा का सफर 14 साल की उम्र में शुरू हो गया था। वे रॉयल बीस्ट की मेंबर हैं। रॉयल बीस्ट दिल्ली के रॉयल एनफ ील्ड बाइकर्स का समूह है। देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गो को नाप चुकी महिमा कई-कई दिनों तक रफ्तार के साथ बाइक ड्राइव कर सकती हैं। बाइक चलाने के अपने जुनून के चलते महिमा मनाली, राजस्थान, मुंबई, गोवा और ऊटी तक का सफर तय कर चुकी हैं। इसके अलावा महिमा अकेली ऎसी युवती हैं, जिन्होंने हिमालय की गोद में बसे लद्दाख के खारडंग ला और पनगोंग में 2002 में आयोजित मोटरसाइकिल एक्सपेंडीशन में हिस्सा लिया। मात्र तीन दिन में अपनी एनफील्ड बाइक से मुंबई से दिल्ली तक का 1400 किलोमीटर तक का सफर तय करने वाली भी महिमा अकेली महिला हैं। बाइक चलाने के अपने शौक को लेकर महिमा कहती हैं, 'कौन कहता है कि लडकियां भारी-भरकम बाइक नहीं चला सकतीं। यह सिर्फ लोगों की पिछडी सोच और मानसिकता है। इससे बाहर निकलते ही लडकियों का बाइक चलाना आम लगने लगता है।'
वर्तिका का बाइक स्टंट
वर्तिका पांडे रफ्तार की दुनिया की जानी-मानी हस्ती बन चुकी हैं। वह सिर्फ बाइकर ही नहीं, स्टंट बाइकर हैं। बाइक स्टंट करने वाली वह देश की पहली महिला हैं। वर्तिका कहती हैं, 'मैं तो इसका एक आसान-सा फार्मूला जानती हूं, 50 फीसदी पैशन और 50 फीसदी प्रैक्टिकल। इन दोनों को मिलाकर तैयार होता है एक अच्छा बाइकर।
फिर ये दोनों ही चीजें ऎसी नहीं कि महिलाएं इन्हें इस्तेमाल न कर सकें, तो भला बाइक स्टंट को पुरूषों का कार्यक्षेत्र कैसे माना जा सकता है' अपने पिता की पल्सर-150 लेकर सडकों पर फर्राटे से दौड लगाने वाली वर्तिका के जीवन का टर्निग पॉइंट भोपाल के स्टंट टे्रनर से मिलना रहा। उन्हें बाइक स्टंट के लिए प्रोत्साहित करने वाला ट्रेनर ही था और उसी ने वर्तिका को बाइक स्टंट एक खेल की तरह सिखाया। आज वर्तिका के लिए स्टंट बाइकिंग पेशा है, तो जुनून भी।
बुलट से मिलती है खुशी
गौरी लोकरे जब क्लास-4 में थीं, तभी उन्हें यह एहसास होने लगा था कि वह दूसरी लडकियों से अलग हैं। जिस उम्र में लडकियों को गुड्डे-गुडियों से खेलना और झूले झूलना पसंद आता है, गौरी उस उम्र में ही अपने चाचा की स्कूटी के साथ घंटों खेला करती थीं। कॉलेज पहुंचते ही गौरी के पास खुद की स्कूटी आ गई, लेकिन जैसी ही वह 18 साल की हुई, उसने अपने भाई की बुलट ले ली और यहीं से गौरी का बाइक रेसिंग का सफर शुरू हो गया। 2008 में आयोजित होने वाले राइडर मेनिया में हिस्सा लेने वाली अकेली युवती थीं। 60 लडकों के बीच में पुणे से हैदराबाद के बीच 400 किलोमीटर के फासले को तय करने वास्ते गौरी ने लगातार 14 घंटे बाइक चलाई। इसके बाद गौरी ने रेस में हिस्सा लेकर जीत अपने नाम की। रोड शेकर्स की सदस्य गौरी कहती हैं, 'आजादी के एहसास ने मुझे बाइक की तरफ खींचा। अपनी शानदार बुलट में जब मैं रफ्तार पकडती हूं तो चेहरे पर महसूस होने वाला तेज हवा का झोंका अलग ही खुशी देता है।'