Friday, April 2, 2010

'फादर ऑफ पीसी' हेनरी नहीं रहे

अटलांटा. माइक्रोसाफ्ट की स्थापना में बिल गेट्स के प्रेरणास्रोत रहे हेनरी एडवर्ड राबर्ट्स का कल जार्जिया में निधन हो गया। वे 68 वर्ष के थे। हेनरी एडवर्ड राबर्ट्स को 'फादर ऑफ पीसी' भी कहा जाता है।

पर्सनल कंप्यूटरों के विकास के शुरूआती दौर में राबर्ट्स का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कंप्यूटर के लिए जो विशेष किट बनाया उसके कारण पर्सनल कंप्यूटर घर-घर तक पहुंचाने में एक प्रकार से क्रांति हुई।

इस विकास ने ही बिल गेट्स और उनके बचपन के मित्र पाल एलन को माइक्रोसाफ्ट की स्थापना की प्रेरणा दी, जिससे 1975 में दोनों का यह सपना साकार हुआ। दोनों ने इससे पहले पापुलर इलेक्ट्रानिक्स में एमआईटीएस अल्टेयर 8800 के बारे में एक आलेख पढ़ा था।

राबर्ट्स पहले सैन्यकर्मी थे। उन्होंने बाद में कैरियर में कई दौर देखे जिसमें किसान और बाद में चिकित्सक का पेशा प्रमुख है। इसके बावजूद कंप्यूटर को उन्नत बनाने के काम में वह लगे रहे। इस महान अनुसंधानकर्ता के पुत्र डेविड राबर्ट्स के अनुसार राबर्ट्स ने हाल में बिल गेट्स से कहा था कि वह नयी नैनोटेक्नोलाजी युक्त मशीनों पर काम करने के इच्छुक हैं।

परिवार के सदस्यों के अनुसार राबर्ट्स की मृत्यु मैकोन अस्पताल में हो गयी। उन्हें लंबे समय से न्यूमोनिया था। गेट्स और एलन ने कल एक संयुक्त बयान में कहा कि हम हमेशा एडवर्ड के कृतज्ञ रहेंगे। राबर्ट्स का जन्म 1941 में मियामी में हुआ था।

समुद्र में मिला ढाई फीट लंबा कीड़ा

मेक्सिको. अपने घर के आसपास आपने दीमक और इसी प्रकार के कई छोटे-छोटे कीटों को देखा ही होगा। पर जरा सोचिए जब आपका सामना इस परिवार के ऐसे कीड़े से हो जाए जो ढ़ाई फूट लंबा हो।

मेक्सिको की खाड़ी में काम करने वाली एक तेल कंपनी के कर्मचारियों के होश उस समय उड़ गए जब उनका सामना एक विशाल वूडलोउस से हुआ। यह दीमक की परिवार का ही एक कीट है, जिसका आकार समुद्र की गहराइयों में रहने के कारण काफी बढ़ गया है। कर्मचारियों ने जब इस अजूबे को देखा तो वे लोग उसे बाहर ले आए। वहां इसे देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होने लगी।

100 रु में मिला एक लीटर दूध

हैदराबाद. पिछले तीन दिन से सांप्रदायिक आग में दहक रहे हैदराबाद में सुबह दो घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई। इस दौरान तीन दिन से घरों में बंद लोग खरीदारी करने उमड़ पड़े। कर्फ्यू के कारण आम लोगों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।



दूध के भाव 100 तथा सब्जियां 50 रु. प्रति किलो तक बिकी। हैदराबाद के पुराने शहर के दंगाग्रस्त इलाकों में गुरुवारों को कफ्यरू में ढील के दौरान स्थिति शांतिपूर्ण बनी रही। हजारों लोग जरूरी सामान खरीदने बाहर निकले।



किराने और दूध की दुकानों तथा मेडिकल स्टोर्स के बाहर लंबी कतारें देखी गईं। कर्फ्यू में सुबह आठ से 10 बजे तक ही ढील दी गई थी। गौरतलब है कि शनिवार रात दो समुदायों के बीच झड़पों के बाद पुलिस ने पुराने शहर के 17 पुलिस थाना क्षेत्रों मे कर्फ्यू लगा दिया था।

50 वर्ष बाद दुर्लभ संयोग

इस वर्ष अधिक मास के बाद द्वितीय वैशाख के शुक्लपक्ष में 13 दिवसीय पक्ष का दुर्लभ संयोग बनेगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक इससे पहले यह संयोग 1948 में बना था, लेकिन तब अधिक मास नहीं था।



यूं तो इस पक्ष में विवाह आदि कार्य वर्जित माने जाते हैं, मगर विवाह लगन के केंद्र में शुभ ग्रहों की दृष्टि वाले जातकों के शुभ कार्य संपन्न हो सकेंगे। माना जाता है कि 13 दिवसीय पक्ष का संयोग सर्वप्रथम महाभारत काल में बना था।



सामान्य तौर पर 13 दिन का पक्ष 1993 में आषाढ़ शुक्ल पक्ष, वर्ष 2005 में कार्तिक शुक्ल पक्ष और 2007 में सावन कृष्ण पक्ष में भी बना था। पंचांग निर्माताओं की मानें तो अधिकमास के बाद वैशाख शुक्लपक्ष में १३ दिन का पक्ष संभवतया अब तक का पहला संयोग है। पुरुषोत्तमास में व्रत व दान-पुण्य से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषी चंद्रमोहन दाधीच के अनुसार इस बार द्वितीय वैशाख के शुक्लपक्ष में प्रतिपदा व चतुर्दशी तिथि क्षय होने से बनने वाले 13 दिन के पक्ष से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।



पंचांगों का मत



पं. बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार हालांकि शास्त्रों में 13 दिवसीय पक्ष अशुद्ध माना गया है, लेकिन पंचांग में यह मत भी दिया गया है अधिक आवश्यक होने पर विवाह करने वाले जातकों के लग्न के केंद्र में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह संभव हो सकते हैं। पंचांग दर्पण के सह-संपादक पं. शक्तिमोहन श्रीमाली के अनुसार केंद्र में शुभ ग्रहों की स्थिति वाले लगA में यह दोष समाप्त हो जाता है।



इस वर्ष अधिकांश पंचांगों में पीयूषधारा के वाक्य को ध्यान में रखते हुए द्वितीय वैशाख शुक्ल में 13 दिन के पक्ष में विवाह आदि मांगलिक कार्यो के मुहूर्त लगाए गए हैं, पंचांग दर्पण के मतानुसार अत्यंत आवश्यक स्थिति में ही इन्हें स्वीकार करना चाहिए।