Wednesday, March 31, 2010

मर्जी से विवाह का कानून जल्द

marriage_288नई दिल्ली. ऑनर किलिंग के मामले में पांच लोगों को मौत की सजा का करनाल की अदालत का फैसला खाप पंचायतों के लिए चेतावनी है। अब केंद्रीय कानून मंत्रालय भी जाति-धर्म के नाम पर फरमान सुनाने वालों पर कड़ा कानूनी शिकंजा कसने का मन बना रही है।

मंत्रालय दूसरी जाति या समुदाय में शादी करने वालों के लिए भारतीय साक्ष्य कानून और विवाह पंजियन कानून को भी आसान बनाने की तैयारी कर रहा है। इस मामले में अटॉर्नी जनरल की राय भी ली गई है।

कानून मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ऑनर किलिंग के मामले में एक अलग कानून बनाने पर विचार कर रही है। कानून मंत्रालय इस दिशा में जरूरीकाम कर रहा है। वैसे, एक विचार यह भी है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में एक नया क्लॉज जोड़कर ऑनर किलिंग के मामलों को शामिल किया जाए।

पिछले कुछ साल में ऑनर किलिंग के मामलों में तेजी आई है। कई युवाओं ने अपने समुदाय से बाहर शादी की और बदले में उनको मौत को गले लगाना पड़ा। कई मामलों में तो जोड़ों के अलावा उनके परिवार वालों को भी सामुहिक बहिष्कार, यातनाएं और मौत की सजा दी जाती रही है। मंत्रालय का कहना है कि धर्म या समुदाय के नाम पर प्रेमी जोड़ों का बहिष्कार करने वाले परिवारों और समुदायों के खिलाफ कानूनी प्रावधान कड़े किए जाएंगे। मंत्रालय का प्रस्ताव है कि ऑनर किलिंग के मामलों में दोषी पाए जाने पर किसी एक या दो की बजाए पंचायत के सभी सदस्यों को दोषी ठहराया जाए।

कानून मंत्रालय भारतीय साक्ष्य कानून और विवाह रजिस्ट्रेशन को भी आसान बनाने की तैयारी कर रहा है। इससे उन जोड़ों को शादी करने में आसानी होगी, जो अपने परिवार और समुदाय के खिलाफ जाकर अंतरजातीय विवाह करते हैं।

अधिकारियों का कहना है कि मंत्रालय चाहता है कि किसी विवाह के लिए जरूरी वर्तमान 30 दिनों के समय को कम कर दिया जाए। हालिया प्रावधान उन दंपतियों के लिए कई समस्याएं पैदा करता है, जो अपने घर या समुदाय की मर्जी के खिलाफ शादी करते हैं। इसके अलावा कोर्ट में शादी करने वाले लोगों के नाम 30 दिन तक नोटिस बोर्ड में भी लगाया जाता है, जिसकी वजह से जोड़ों पर हमले की आशंका और बढ़ जाती है। नए प्रावधानों में इन्हें हटाए जाने पर विचार चल रहा है।

1 comments:

संजय भास्‍कर said...

शुक्रिया अदालत, आप पर लोगों का भरोसा है और आपने उस भरोसे को कायम रखा है

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