Sunday, April 18, 2010

आप जान सकते हैं सबके मन की बात

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एक कहावत है कि किसी के मन में नहीं घुसा जा सकता, मतलब किसी के मन में क्या है यह नहीं जाना जा सकता। किन्तु यह कहावत पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि इससे इंसानी क्षमता को चुनौती मिलती है। इंसान को ईश्वर ने उस मिट्टी से गढ़ा है कि उसके लिये कुछ भी असंभव नहीं है। वैसे तो मन अपने आप में कई रहस्य और शक्तियों से सम्पंन है। फिर भी इसका अघ्ययन, विश्लेषण, प्रशिक्षण एवं अंतत: नियंत्रण संभव है।

दूसरों के मन की बात जानना उसी के लिये संभव है, जिसका स्वयं के मन पर पूर्ण नियंत्रण हो। दुनिया के सारे मन आपस में बिल्कुल उसी तरह जुड़े होते हैं जैसे कि इंटरनेट से जुड़े हुए कम्प्यूटर। वास्तविकता यह है कि दुनियां के सारे मन एक ही हैं। भिन्नता या प्रथकता का अहसास मात्र इंसानी अपरिपक्वता का परिचायक है। साधना के क्षेत्र में ऐसे कई मार्ग हैं, जिनके माध्यम से मनुष्य उस अवस्था तक पहुंच सकता है कि वह किसी के मन की बात जान सके। अष्टांग योग के प्रणेता महर्षि पतंजली ने योगी की उस क्षमता का वर्णन करते हुए लिखा है-

' प्रत्ययस्य परचित्तज्ञानम् '

यानि कि दूसरे की चित्त वृत्ति का संयम करने से उसके भावों, विचारों, तथा पूर्व जन्मों का ज्ञान हो जाता है।

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