Saturday, July 31, 2010

मिलिये खुद से पिछले जन्म में जाकर

इंसान धरती का सर्वाधिक समर्थ, जिज्ञासू और रहस्यों से भरा प्राणी हैं। अज्ञात को जानने की ललक उसके मन में प्रारंभ से ही रही है। जो सामने नहीं है यानि कि छुपा हुआ है, गुप्त है उसे प्रत्यक्ष करना या सामने लाना हर व्यक्ति जन्म से ही स्वाभाविक गुण है। यह सब जानते हैं कि जो होना है वह तो हो कर ही रहेगा किन्तु फिर भी अपना भविष्य फल जानने की बेसब्री और कोतुकता के कारण ही इंसान अपना समय, श्रम और सम्पत्ति तीनों दाव पर लगाता है।



इंसान के मन में आने वाले कल को जानने के साथ ही अपने पिछले जन्म के जीवन को जानने की भी प्र्रबल इच्छा होती है। रही बात अपना पिछला जन्म जानने की, तो ऐसा कर पाना कठिन किन्तु सौ फीसदी संभव है। पिछला जन्म जानना हो या भविष्य की झांकी देखना हो दोनों ही कार्य कुछ विशेष उपायों से ही संभव है। ऐसा ही एक विशिष्ट किन्तु



प्रामाणिक उपाय है -अष्टांग योग। अष्टांग योग के निर्माता एक भारतीय ऋषि पतंजलि हैं। वे अपनी पुस्तक योग-दर्शन में योगी की उस क्षमता का स्पष्ट उल्लेख करते हैं। वे अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि - संस्कारसाक्षात्करणात् पूर्व जाति ज्ञानम्।



कहने का मतलब यह है कि संयम द्वारा संस्कारों का साक्षात कर लेने से पूर्व जन्मों का ज्ञान हो जाता है। जब कोई सच्चा जिज्ञासू पूरे समर्पण के साथ लक्ष्य की और बढ़ता है तो वो इस क्षमता को प्राप्त कर लेता है।

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