Thursday, July 29, 2010

विवाह और शरीर बाधा दूर करे - मंगलवार व्रत

हिन्दू धर्म में मंगल ग्रह को अंगारक, भौम, कुजा नाम से भी जाना जाता है। मंगल ग्रह को भूमि पुत्र कहा गया है। भारतीय ज्योतिष विज्ञान में मंगल ग्रह को उदारता, पराक्रम और पवित्रता का देव माना गया है। मंगल देव का वास मंगल लोक माना गया है। इसलिए इनको मंगलवार का स्वामी भी कहा गया है।
व्यक्ति की जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह दोष की शांति के लिए मंगलवार व्रत का महत्व बताया गया है।
इसकी अनुकूल दशा व्यक्ति को विवाह सुख, संतान सुख, सम्मान देने के साथ ऋण और खून में आए दोषों से मुक्ति देती है। वहीं बुरी दशा में व्यक्ति खून, नेत्र, गले के रोग से ग्रसित हो जाता है। पति-पति के लिए भी जीवन के लिए घातक और मारक हो सकता है।
अत: मंगल दोष के लिए की शांति के लिए किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार को व्रत शुरु करना चाहिए। इस दिन स्वाति नक्षत्र का योग हो तो वह शुभ माना जाता है।
इस व्रत में मंगल ग्रह की मूर्ति की पूजा और आराधना की जाती है। इस व्रत के पूजा और अनुष्ठान किसी विद्वान ब्राह्मण से कराया जाना विशेष फल देने वाला होता है। मंगलवार के यह व्रत ४५ या २१ व्रत करने का विधान है। इसके बाद इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों द्वारा रखा जा सकता है।
पूजा विधान में लाल रंग की वस्तु और सामग्रियों के चढ़ावे और दान का महत्व है। क्योंकि मंगल ग्रह को रक्तवर्णी माना गया है। व्रत में एक भुक्त यानि एक बार रात्रि में ही भोजन किया जाता है। शास्त्रोक्त नियम, संयम, श्रद्धा और आस्था मंगल देव की पूजा और व्रत कुण्डली और जीवन के सभी बुरे योग और दोष मिट जाते हैं।
यह व्रत विशेष रुप से कुंवारी कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए विशेष फलदायी होता है। कन्याएं जहां सुयोग्य वर पाती हैं, वहीं विवाहिता अखण्ड सौभाग्य और सुख पाती हैं। इसी प्रकार पुरुषों के लिए भी सभी शारीरिक, मानसिक बाधाएं दूर होती है। ऋणों से छुटकारा मिलता है, सुख, शांति, सौभाग्य और संतान सुख मिलता है।


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