Friday, April 9, 2010

बॉलीवुड की हमशक्ल नायिकाएं

आपने फिल्मों में जुड़वां भाईयों व बहनों या फिर हमशक्ल चरित्रों को देखा होगा। हो सकता है आपने वास्तविक जीवन में कई हमशक्लों को देखा होगा लेकिन इस बार "विकास" आपके लिए लेकर आ रहा है बॉलीवुड की हमशक्ल नायिकाओं को।

इन अभिनेत्रियों का एक-दूसरे से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। लेकिन इन्हें देखकर आपको अहसास होगा कि ये तो आपस में बहनें ही हैं लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं है। आइए देखते हैं ऐसी ही कुछ नायिकाओं को......



1. दिव्या भारती व रंभा



2. तब्बू-माही गिल



3. कैटरीना कैफ-जरीन खान

ashsneha_510_01

4. ऐश्वर्या राय-स्नेहा उल्लाल

parveendeepshikha_510_01
5. परवीन बॉबी-दीपशिखा

हां संभव है गायब होना

 invisibleman_310 हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु के दिखने के लिए प्रकाश का होना जरूरी है। इसी कारण सूर्य को आंखों का देवता भी माना जाता है। जब प्रकाश की किरणें किसी वस्तु पर पड़ती हैं तो वे परावर्तित होकर हमारी आंख की पुतलियों से टकराती हैं। आंख की पुतली से गुजरकर ये किरणें पीछे की ओर एक निश्चित दूरी पर उसका बिंब बनाती हैं। इस बिंब के साथ जो स्नायु जुड़े रहते हैं वे इसकी सूचना मस्तिष्क को देते हैं। जिससे उस वस्तु की आकृति हमें दिखाई देती है। किंतु योगिक साधना के जानकार के लिए यह क्रिया सुनिश्चित प्रणाली के तहत होती है। योगी एक ऐसी सिद्धि प्राप्त कर लेता है कि वह उपस्थित होते हुए भी किसी को दिखाई नहीं देता। योग की भाषा में इस क्षमता को अंतध्र्यान होना कहा जाता है। योगी अपनी सिद्धि के बल पर अपने शरीर का रंग ऐसा बना लेता है जिससे कि प्रकाश की किरणें परावर्तित ही नहीं होती। जिससे दूसरे लोगों की आंखों में उसका बिंब बनता ही नहीं है। इसी कारण उस योगी को कोई देख नहीं सकता। इसके अतिरिक्त योग शास्त्रों में गायब होने की एक अन्य विधि का भी उल्लेख मिलता है। सिद्ध योगी पंच तत्वों से बने अपने शरीर के अणु परमाणुओं को आकाश में बिखेर कर सूक्ष्म शरीर धारण कर लेता है। यह सुक्ष्म शरीर किसी को भी दिखाई नहीं देता। योगी सूक्ष्म शरीर से कुछ ही क्षणों में कितनी ही दूर जा सकता है। सिद्ध योगियों के पास इसी तरह की अनेक अद्भुत क्षमताएं होती हैं। ये अद्भुत सिद्धियां कोई जादु या चमत्कार नहीं है। यह सिद्धियां एक निश्चित वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत कार्य करती हैं। अष्टांग योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि ने गायब होने की इस यौगिक सिद्धि का उल्लेख अपने ग्रंथ में किया है। वे लिखते हैंकायरूपसंयमात् ..... अंतर्धानम्। (विभूति पाद सूत्र 21) यानि शरीर के रूप में संयम करने से जब उसकी ग्रहण शक्ति रोक ली जाती है। तब आंख के प्रकाश का उसके साथ संबंध होने के कारण योगी अंतर्धान हो जाता है।

तस्वीरें जिसे देख हैरत में पड़ जाएंगे आप

इन फोटोग्राफ को देखकर निश्चित करना मुश्किल हो जाएगा कि यह कोई बड़ी भूल है या फिर इनके बीच आपसीतालमेल नहीं बन पाया होगा। इन तस्वीरों में कहीं दो खिलाड़ी बैठे-बैठे टेबल टेनिस खेल रहे हैं तो कहीं लैपटॉप कोवजन मापने का कांटा समझ लिया गया। तो कहीं पर इतना ऊंचा दरवाजा बना है कि वहां तक पहुंचने के लिएकुर्सी का सहारा लेना पडा।



आईए देखते हैं ऐसी ही कुछ चुनिंदा तस्वीरें जो कहीं कहीं या तो बड़ी भूल का नतीजा हैं या फिर आप देखकर कुछ समझ जाएंगे कि इनके पीछे की वजह क्या है...








































सम्मोहन के जरिए बच्चे का जन्म

bhaskarलंदन.ब्रिटेन में रहने वाली एक महिला ने पिछले दिनों दर्द निवारक दवाएं लेने की बजाय सम्मोहित होकर बेटे को जन्म दिया। 30 वर्षीय लुइस वॉकर को लेबर रूम में हिप्नोथेरेपिस्ट पॉल हेजेल ने सम्मोहित किया जिससे वह प्रसव पीड़ा भूल गई।



ईस्ट यॉर्क के शहर हल में रहने वाली लुइस ने कहा, मैं बहुत ज्यादा शक्की हूं। मैं दर्द से मरी जा रही थी। ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं हुआ था लेकिन जैसे ही पॉल ने मुझे हिप्नोटाइज करना शुरू किया, मैंने काफी आराम महसूस किया। बेबी के बाहर आते समय भी मुझे कोई दर्द नहीं हुआ।



सम्मोहन के दौरान व्यक्ति की चेतना परिवर्तित हो जाती है और वह शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक तौर पर आराम महसूस करता है। प्रसव के दौरान पॉल ने उसे जिंदगी के अच्छे पल याद करने को कहा। लेबर पेन शुरू होते ही लुइस ने हिप्नोथेरेपी लेनी शुरू की लेकिन उसके बेटे का जन्म 4 घंटे के बाद हुआ।



मालूम हो कि गर्भवती महिलाएं प्रसव पूर्व हिप्नोथेरेपी कोर्स ले सकती हैं। इनमें सीडी सुनना शामिल है लेकिन यह शायद पहला मौका है जब किसी हिप्नोथेरेपिस्ट ने लेबर के दौरान किसी महिला को हिप्नोटाइज किया हो।