Tuesday, March 30, 2010

ऑनर किलिंग मामले में 5 को फांसी, 1 को उम्रकैद

manoj_288चंडीगढ़। हरियाणा में मनोज-बबली हत्याकांड के 5 दोषियों को फांसी और एक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने 25 मार्च को ही इन लोगों को दोषी करार दिया था। करनाल के सत्न न्यायालय ने इस मामले में तथाकथित खाप नेता गंगा राज और बबली के पांच परिजनों को कत्ल का कसूरवार ठहराया था। कोर्ट ने सोमवार को बयान दर्ज करने के बाद सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी थी।

पिछले गुरूवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए करनाल सेशन कोर्ट ने छह लोगों को मनोज और बबली की हत्या का दोषी करार दिया था। कोर्ट का ये फैसला तालिबानी फरमान सुनाने वाली हरिय़ाणा की खाप पंचायत के मुंह पर तमाचे की तरह है। वहीं इस फैसले के बाद मनोज की बूढ़ी मां को न्याय मिल गया है।

अतिरिक्त जिला एवं सत्न जज वानी गोपाल शर्मा ने इस मामले में पांच अभियुक्तों को मौत की सज़ा सुनाने के अलावा छठे अभियुक्त को भी उम्र कैद की सज़ा सुनाई। अदालत ने जिन लोगों को मृत्यु दंड की सज़ा सुनाई है वे सभी बबली के सम्बंधी हैं। इस मामले में उसके भाई सुरेश ,चाचा राजेंद्र मामा बारू राम चचेरे भाई सतीश और गुरदेव को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है। इस मामले में अदालत ने खाप पंचायत के मुखिया गंगा राज को उम्र कैद की सज़ा तथा सातवें अभियुक्त मनदीप सिंह को मनोज(23) और बबली(19) के अपहरण तथा हत्या की साजिश में शामिल होने के लिए सात वर्ष कैद की सज़ा सुनाई।

कैथल जिले के करोडन गांव के मनोज ने लगभग तीन साल पहले बबली के घरवालों की इच्छा के खिलाफ उससे शादी की थी। दोनों के समान गोत्न का होने के कारण खाप पंचायत ने इस विवाह का विरोध किया और मनोज के परिवार के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की थी।

शादी के बाद करनाल में जा बसे मनोज और बबली की 15 जून 2007 को हत्या कर दी गई । अपराध में इस्तेमाल किए गए वाहन के चालक मनदीप सिंह के खिलाफ अपहरण और साजिश में शामिल होने का अभियोग लगाया गया है।

आज जिन सात लोगों को सज़ा सुनाई गई उन्हें अदालत ने गत 25 मार्च को ही इस मामले में दोषी करार देते हुए सज़ा सुनाने के लिए 29 मार्च की तारीख तय की थी। न्यायालय में कल अभियोजन और बचाव पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत आज तक के लिये स्थगित कर दी गयी थी।

उल्लेखनीय है कि कैथल जिले के करोड़ा गांव के मनोज और बबली ने 18 मई 2007 को विवाह कर लिया था वे दोनो एक ही गोत्न के थे जिसका गांव में काफी विरोध हुआ था, बाद में बबली के परिजनों और उनके समर्थकों ने जून 2007 को मनोज और बबली की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। इनके शव बाद में 23 जून को बरवाला ब्रांच नहर से बरामद हुए थे। लगभग तीन वर्ष तक चले इस मामले में लगभग 50 सुनवाइयां हुईं तथा इस दौरान 40 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए गए।

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