Tuesday, March 30, 2010

पृथ्वी पर हुआ अब नए युग का उदय!

क्या धरती पर नया युग आ गया है? कुछ भू-वैज्ञानिकों की मानें तो हमारी धरा पर एक नए युग का सूत्रपात हो चुका है। यह दावा यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर के चार वैज्ञानिकों ने किया है। इनमें एक वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारी पृथ्वी भौगोलिक समय के नए युग में प्रवेश कर गई है। इस युग को एंथ्रोपोसीन नाम दिया गया है।



जर्नल एनवायरनमैंटल साइंस एंड टेक्नॉलोजी में लिखे लेख में इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि नए युग में प्रवेश से पृथ्वी के इतिहास का छठा सबसे बड़ा विनाश होगा। अमेरिकन कैमिकल सोसाइटी के इस जर्नल में इस दावे को पुख्ता करने के लिए वैज्ञानिकों ने वैश्विक परिवर्तन के सबूत भी उपलब्ध कराए हैं। इन वैज्ञानिकों में यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर के भू विज्ञानी जान जालासिविक्ज और मार्क विलियम्स, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट चेंज इंस्टीच्यूट के डायरेक्टर विल स्टीफन तथा मेन्ज यूनिवर्सिटी के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक पॉल कर्टजन शामिल हैं।



वैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ दो शताब्दियों में ही मानव ने अपनी धरा को अप्रत्याशित रूप से इतना नुकसान पहुंचाया है कि हम एक नए भौगोलिक समयांतराल में प्रवेश कर गए हैं। मानव की हालिया गतिविधियों जैसे जनसंख्या वृद्धि, नगरों का बढ़ता फैलाव और जीवाश्म ईंधन (तेल) के बढ़ते प्रयोग ने धरती को एंथ्रोपोसीन नामक युग में प्रवेश करा दिया है। पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर हो रहे विनाश को देखते हुए वैज्ञानिक यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि क्या एंथ्रोपोसीन युग से जुरासिक, कैम्ब्रियन या इससे ही भौगोलिक समय पैमाने की कोई मिलती-जुलती इकाई की शुरुआत हो जाएगी?



हमारे शास्त्रों में भी हैं चार युग



भारतीय सनातन शास्त्रों में पहले से ही चार युगों का उल्लेख किया गया है, जो समय-समय पर आते रहे हैं। शास्त्रों के मुताबिक वर्तमान युग कलयुग का है। इसकी समाप्ति के बाद एक बार फिर सतयुग आने वाला है। शास्त्रों में पहला स्थान सतयुग का है, दूसरा त्रेता युग है, तीसरा द्वापर युग है और चौथा कलयुग है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि पृथ्वी के भविष्य को लेकर बहस चलती रहेगी, लेकिन एंथ्रोपोसीन युग मानव जाति और पृथ्वी, दोनों के इतिहास का नया चरण प्रदर्शित करेगा। इस युग में प्राकृतिक शक्तियों और मानवीय शक्तियों का टकराव बढ़ेगा। इस प्रकार एक का भाग्य दूसरे के भाग्य का निर्माण करेगा। भौगोलिक रूप से इस ग्रह के लिए यह महत्वपूर्ण अध्याय है।

1 comments:

संजय भास्‍कर said...

भारतीय सनातन शास्त्रों में पहले से ही चार युगों का उल्लेख किया गया है, जो समय-समय पर आते रहे हैं
बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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