Tuesday, April 20, 2010

स्त्रियां पुरुषों से अधिक सुन्दर क्यों ?

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वैसे तो सुन्दरता देखने वाले के दृष्टिकोण पर नर्भर होती है। क्योंकि जिसके प्रति हमारे मन में प्रेम होता है, उसकी शारीरिक बनावट चाहे जेसी भी हो वह हमें निश्चय ही सुन्दर और आकर्षक ही लगेगा। जबकि इसके विपरीत अच्छे और तीखे नैन-नक्स वाला इंसान भी हमें बदसूरत और अनाकर्षक लग सकता है यदि उसके प्रति हमारे मन में सद्भावना न हो। यदि धर्म और दर्शन के नजरिये से सोचें तो हम पाएंगे कि वहां बाहर की बजाय आन्तरिक सौन्दर्य को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि आन्तरिक सौन्दर्य स्थाई होता है जबकि शारीरिक सौन्दर्य शरीर की मृत्यु के साथ ही मिट जाता है। यदि स्त्रियों के सौन्दर्य की बात करें तो यह सच ही है कि वे पुरुषों की बजाय अधिक सुन्दर व ज्यादा आकर्षक होती हैं।

वे सहज हैं- स्त्रियों की सुन्दरता का कारण यह हे कि वे अत्यंत सहज होती हैं। यानि कि दु:ख मिला तो बिना संकोच के दिल खोलकर रो लीं, सुख मिला तो खिल-खिला कर हंस लीं। मतलब कि जो अन्दर वही बाहर भी जबकि पुरुष रोने या हंसने से पहले दस बार सोचता है। पुरुष अपने झूठे अहंकार के कारण अपने भावों को व्यक्त नहीं करता जिससे उसके अन्दर मनो-ग्रंथिया बन जाती हैं। ये ग्रंथिया ही चेहरे पर कठोरता और शुष्कता बन कर प्रकट होती हैं। जबकि स्त्रियां और छोटे बच्चे हंसकर, रोकर अपने समस्त भावों को प्रकट करते रहते हैं, जिससे उनका मन और अन्त:करण धुलकर निर्मल हो जाता है। यही कारण है कि स्त्रियां और बच्चे पुरुषों की बजाय अधिक सुन्दर एवं आकर्षक होते हैं।

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