Friday, April 9, 2010

कहीं इसलिए तो नहीं होता मौत का सा अहसास..

hhलंदन। कई बार ऐसी खबरें आती हैं कि ऑपरेशन टेबल पर मरीज को मौत का सामना होने का अहसास हुआ। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि खून में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाने से ऐसा हो सकता है।
हृदयाघात से गुजरे 52 मरीजों के अनुभवों को सुनने के बाद स्लोवेनिया के इस अध्ययन में पाया गया कि मौत से सामना होने का अनुभव जिन मरीजों को हुआ उनमें शरीर के लिए बेकार गैसों का स्तर अधिक पाया गया। दिल के दौरे के समय हृदय गति रुकने के इन मामलों में 20 फीसदी मरीजों ने मौत को करीब से देखने की बात कही। किसी को आंखों के आगे चकाचौंध दिखाई दी तो किसी ने कहा कि उसे गहरी शांति का अनुभव हुआ। किसी ने बताया कि उसे लगा वह कई सुरंगों से गुजरता जा रहा है और मृत लोग दिखाई दे रहे हैं।



द डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इलाज के समय मरीज के रक्त में विभिन्न रसायनों की मौजूदगी की जांच पड़ताल की। वैज्ञानिक डॉ जेलिका क्लेमेंक केटिस ने शोध के निष्कर्ष के हवाले से बताया कि 52 में से मौत का अहसास करने वाले 11 लोगों के रक्त और सांसों में सीओ2 की मात्रा अधिक थी। उन्होंने कहा कि इस अहसास का धार्मिक विश्वास, लिंग, उम्र या मौत से भय तथा दवाओं से कोई संबंध नहीं है।



केटिस ने बताया कि रक्त में सीओ2 का स्तर बढ़ने के कारण मस्तिष्क के रासायनिक संतुलन में परिवर्तन दिखाई देता है जो चकाचौंध रोशनी दिखाई देने या शरीर से परे खयालात प्रेरित करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पहली बार मौत के अहसास से सीओ2 को जोड़ा गया है और इस पर विस्तार से अध्ययन की जरूरत है। अभी यह भी साफ नहीं हुआ है कि यह अहसास दिल के दौरे के पहले, बाद में या उसी दौरान होता है

0 comments:

Post a Comment