Sunday, August 1, 2010

किन्नर भी बना सकते हैं ग्रह योग

किन्नर अर्थात् नपुंसक, जो न स्त्री हो न पुरुष जन्म पत्रिका में ऐसा योग भी होता है। जिससे यह पता लगता है कि जातक कहीं नपुसंक तो नहीं। विवाह के समय पत्रिका मिलान करते समय यहा विचार आगे आने वाली कई समस्याओं से बचा सकता हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, शुक्र अष्टम अथवा दशम भाव में स्थित हो एवं उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो अथवा शनि छठे या द्वादश भाव में नीच का हो तो जातक नपुंसक होता है। यदि सम राशि में सूर्य हो एवं विषम राशि में चंद्रमा या सम राशि में चंद्र हो और विषम में सूर्य और दोनो की एक दूसरे पर दृष्टि हो तो जातक नपुंसक होता है।
इसी प्रकार बुध और शनि का सम एवं विषम राशि में हो और उनकी एक दूसरे पर दृष्टि हो तो जातक नपुंसक होता है।विषम राशि स्थित चंद्रमा एवं सम राशि स्थित बुध पर मंगल की दृष्टि हो, विषम राशिगत सूर्य को सम राशिगत मंगल या सम राशिगत मंगल को सूर्य जो सम राशि में स्थित हो अथवा विषम राशि या लग्न राशिगत चंद्रमा पर मंगल की दृष्टि हो तो जातक नपुंसक जानना चाहिए।
पुरुष प्रकृति की राशि या उसके नवांश में शुक्र या चंद्रमा हो तो जातक नपुंसक होता है। इस योग वाले जातक पर लिंगो में आसक्त नहीं होते। बुध नीच का या सप्तम स्थान में नीच का हो तो जातक नपुंसक होता है। ऐसा ही बुध लग्न में स्थित हो तो भी जातक नपुंसक होता है।
इस योग से बचने के लिए यह उपाय करें-
- बुध के मंत्रों का जाप करे।
- पीपल के पेड़ की अराधना करें।
- शनिवार को पीपल के पत्ते पर भोजन रखकर उस भोजन को ग्रहण करें।
- अधिकतम भोजन पत्तल पर ही करें।

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