Friday, April 30, 2010
नंगे पैर चलने की इजाजत चाहता है
कोलंबस (अमरीका) । एक घुमंतु सरकार से ओहायो प्रांत में नंगे पैर चलने की इजाजत लेने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। बॉब नीनैस्ट ने बताया कि जब वह पैरों में जूते पहनता है तो उसके पैरों में दर्द होने लगता है। वह राज्य सरकार से नंगे पैर चलने की इजाजत लेना चाहता है। बॉब सर्दियों में भी जूते नहीं पहन सकता। उसने कहा, नंगे पैर चलना मेरी स्वस्थ जीवन-शैली का एक हिस्सा है। इस तरह मैं खुद को उस जगह के करीब मानता हूं, जहां मैं घूमने जाता हूं। हाल ही में जब मैं नंगे पैर राज्य में घूम रहा था तो एक अधिकारी ने मुझे रोक लिया। उस अधिकारी का कहना था कि मैं राज्य के नियमों की उल्लंघना कर रहा हूं।
7 महीने बाद ही इंप्रैस करना छोड़ देते हैं प्रेमी
एक सर्वे में पता चला है कि प्रेमी अब सिर्फ 7 महीने के संबंध के बाद ही एक-दूसरे को प्रभावित करने की कोशिशें अपनाना छोड़ देते हैं। किसी भी रिलेशन के दौरान लड़के सिर्फ शुरुआत के सात महीनों तक ही इस बात की परवाह करते हैं कि प्रेमिका से मिलने से पहले वे कैसे दिख रहे हैं, उन्होंने शेव की है या नहीं। पर्सनल ग्रूमिंग कंपनी रीमिंगटन द्वारा करवाए इस सर्वे में यह बात भी सामने आई कि लड़कियां भी 7 महीने तक ही ब्वॉयफ्रैंड को इंप्रैस करने के लिए ड्रैसेज की ओर ध्यान देती हैं। इसके बाद दोनों एक-दूसरे को अच्छे से जान लेते हैं। वे इस बात की ओर भी ध्यान नहीं देते कि उनके पार्टनर मस्ती में उनका नाक पकड़ता है या नहीं।
बिजली नहीं तो शादी नहीं
खुशहाल दाम्पत्य जीवन की तलाश प्रत्येक मनुष्य को रहती है। वधु पक्ष वाले अपनी बेटी को सुखी देखने की अभिलाषा में वर पक्ष की खासी पड़ताल करते हैं। यूपी के कानपुर शहर में रहने वाले रोहित खन्ना की भी पिछले कुछ दिनों से रिश्ते की बातचीत चल रही थी। हालांकि रोहित की अच्छी आमदनी है, घर व समाज में अच्छा रुतबा है, और उसका चरित्र भी बहुत अच्छा है, परन्तु बावजूद उसके वधु पक्ष ने रिश्ता तोड़ दिया।
इस सम्बन्ध विच्छेद के पीछे जो कारण बताया गया, वह कुछ हट के था। वधु पक्ष के लोगों ने यह कहकर अपनी बेटी को रोहित के घर भेजने से इन्कार कर दिया क्योंकि रोहित के घर में बिजली इतनी कम आती है कि ऐसे माहौल में उनकी बेटी वहां नहीं रह सकती। कानपुर में पहली बार इस तरह की समस्या आन खड़ी हुई है। समूचे यूपी में बिजली की स्थिति कमोबेश ऐसी ही है।
यहां तक कानपुर के एक प्रतिष्ठित मैरिज ब्यूरो में रिश्ते देने वाले परिवारों में से लगभग एक दर्जन परिवारों ने बिजली की वजह से ही रिश्ते टूटने की जानकारी दी है। लड़की वाले इस बात को लेर परेशान हैं कि आखिर उनकी बेटी दिनभर में १५ घंटे बगैर बिजली के कैसे रहेगी। कानपुर शहर में बिजली सप्लाई मानो गुल ही हो चुकी है। यहां दिन के २४ घंटों में से महज ७ घंटे ही बिजली आपूर्ति हो पाती है।
14 की उम्र में परेशान करती हैं लड़कियां
अभिभावकों के लिए किशोरावस्था में बच्चों को संभालना काफी मुश्किल होता है। लड़कियां 14 साल और लड़के 15 साल की उम्र में मां-बाप को बेहद परेशान करते हैं। इसका कारण लड़कियों में तेजी से बड़े होने की इच्छा, ज्यादा आजादी, शराब पीने की इजाजत मिलना और छरहरी काया पाने का दबाव रहता है। इसी कारण इस उम्र में मां-बाप के साथ उनके सबसे ज्यादा झगड़े होते हैं।
वहीं 15 साल की उम्र लड़कों की वह अवस्था होती है, जिसमें वे यौवनावस्था में प्रवेश करने वाले होते हैं। इस दौरान या तो वे किसी से बात करना पसंद नहीं करते या अपनी पढ़ाई में मस्त रहते हैं। द बेबीवैबसाइट द्वारा करवाए गए एक सर्वे में यह पता चला है।
इस सर्वे में 18 साल से ज्यादा उम्र के लड़के लड़कियों के 2 हजार अभिभावकों को शामिल किया गया था। वैबसाइट की कैथरीन क्राफोर्ड ने कहा, नए मां-बाप दो बच्चों से ही डरे रहते हैं जबकि किशोरों के अभिभावक उन्हें बताएंगे कि उनके जीवन का मुश्किल दौर तो अभी दूर है। सर्वे में 63 फीसदी अभिभावकों ने बताया कि 14 साल की उम्र में लड़कियां बेहद मूडी होती हैं। यही बात 78 फीसदी ने लड़कों के मामले में कही। 14 की उम्र के बाद लड़कियां अपने वजन और फिगर को लेकर चिंतित रहती हैं और पॉकेटमनी को लेकर शिकायत भी करती हैं।
क्रोफोर्ड ने कहा, हमें याद रखना होगा किशोरावस्था जहां मां-बाप के साथ-साथ बच्चों के लिए भी परेशानी वाली रहती है। इस दौरान बच्चे मूडी हुए बिना रह नहीं सकते और इसी कारण मां-बाप भी चिंतित रहते हैं।
Wednesday, April 28, 2010
दुनिया की सबसे लंबी लड़की
दुनिया में बहुत भीड़ है। ऐसे में भीड़ से अलग होना और अलग दिखना सभी चाहते हैं। कुछ लोगों को इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और कुछ को यह कुदरत से ही मिलता है। अब मर्वाडीन एंडरसन को ही लीजिए। भीड़ में दूर से ही नजर आने वाली 16 साल की एंडरसन की लंबाई छह फीट 11 इंच है। इस लंबाई के साथ अब वह दुनिया की सबसे लंबी लड़की बन चुकी हैं।
न्यूजर्सी के एक स्कूल में पढ़ने वाली मर्वाडीन बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं। जब वह कोर्ट में होती हैं तो अपने विरोधियों के लिए किसी आतंक से कम नजर नहीं आतीं। मर्वाडीन जमैकन मूल की अमेरिकी हैं और मशहूर बास्केटबॉल खिलाड़ी माइकल जॉर्डन को अपना आदर्श मानती हैं। लेकिन लंबाई के मामले में उन्होंने अपने आदर्श जॉर्डन को भी मात दे दी है। वह जॉर्डन से भी 5 इंच लंबी हैं। सबसे दिलचस्प है कि मर्वाडीन की बड़ी बहन किंबरले भी छह फीट चार इंच की है।
इस वजह से घर में सभी उसे बेबी जाइंट भी कहते हैं। मर्वाडीन के बास्केटबॉल कोच कहते हैं कि वह निश्चित तौर पर एक स्टार बनने जा रही है। उन्होंने कहा कि मर्वाडीन खेल में काफी अच्छी है। उसकी लंबाई के साथ उसे चुनौती देना बेहद मुश्किल है। अब वह अपने बास्केटबॉल टीम में एक महत्वपूर्ण जगह बना चुकी हैं, जिसकी जगह कोई नहंी ले सकता।
जब मर्वाडीन स्कूल में होती हैं तो अपनी शिक्षक के सामने किसी लंबी इमारत से कम नजर नहीं आतीं। वहीं अपनी लंबाई के बारे में मर्वाडीन कहती हैं कि इससे उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। मेरी लंबाई और व्यक्तित्व की वजह से सभी मेरे साथ दोस्ताना व्यवहार रखते हैं। हालांकि मर्वाडीन को लंबाई की वजह से कमेंट्स भी सुनने को मिल चुके हैं।
किसी ने कहा कि मेरी लंबाई इतनी अधिक है कि मुझे कोई पति ही नहीं मिलेगा। मर्वाडीन ने थाइलैंड निवासी माली डुआंगडे को पीछे कर सबसे लंबी लड़की का खिताब हासिल किया है। माली की लंबाई छह फीट 10 इंच है। दुनिया के सबसे लंबे लड़के की बात करें तो यह रिकॉर्ड ब्रेंडन एडम्स के नाम है, जिसकी लंबाई 7 फीट से भी अधिक है।
मानवीय भावनाएं समझ सकते हैं कुत्ते
एक अध्ययन के मुताबिक कुत्ते इनसान की भावनाएं आसानी से समझ लेते हैं। उनमें गुस्से और प्यार से लेकर हंसी और रोने तक की सभी मानवीय भावनाएं महसूस करने की क्षमता होती है।
न्यूजीलैंड की ओटेगो यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं ने 90 डच्यूनेडिन कुत्तों को अपने अध्ययन में शामिल किया और उन्हें हंसते, रोते, बड़बड़ाते और अन्य तरह की भावनाएं वयक्त करते हुए बच्चों की रिकॉर्ड की गई तस्वीरें दिखाईं।
प्रोफेसर टेन रफमैन ने बताया कि कुत्तों ने हर तस्वीर देखकर अलग-अलग व्यवहार किया। इससे हमें पता चला कि वे इन भावनाओं को समझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि कुत्ते मानवीय इशारे समझने में बहुत कुशल होते हैं। ऐसा लगता है कि इसी कारण वे इनसान की भावनाओं को भी आसानी से समझ लेते हैं।
105 वर्षीय महिला ने कॉलेज में की पढ़ाई
पोर्ट्समाउथ (अमरीका). पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। इस बात का उदाहरण वर्जीनिया के शहर पोर्ट्समाउथ की 105 वर्षीय महिला ने पिछले दिनों कॉलेज जाने का अपना सपना पूरा करके दिया। फ्लोरैंस वालनर ने वर्जीनिया बीच के बैथ शोलोम संस्था के एक कार्यक्रम के तहत कॉलेज में कक्षाएं लगाईं।
यह संस्था स्थानीय निवासियों की इच्छाएं पूरी करती है। फ्लौरैंस ने कक्षा लगाने के अनुभव बारे कहा, यह बहुत ही खूबसूरत दिन था। वहां वक्त बिताकर मुझे बहुत अच्छा लगा कॉलेज के अध्यक्ष बिली ग्रीन ने कैंपस में फ्लोरैंस का स्वागत किया और उन्हें बाकी छात्रों से मिलवाया। उन्होंने उनसे कहा, मैं चाहता हूं कि आप सभी छात्रों से मिलें और अपने अनुभव बांटें। मुझे पूरा भरोसा है कि आप उन्हें कुछ न कुछ ऐसा बताएंगी जिनसे उनका जीवन और बेहतर होगा।
इंसानों की तरह गम में डूबते हैं चिंपैंजी
वैज्ञानिक हमेशा यह मानते रहे थे कि अपने प्रिय के खोने पर शोक में डूब जाना और आखिरी रस्म निभाना मनुष्य को जीव जंतुओं के संसार से अलग पहचान देता है। लेकिन अब एक नए अध्ययन ने इस धारणा को खत्म कर दिया है। अध्ययन के मुताबिक अपने प्रियजनों के आखिरी समय में चिंपैंजी उनके करीब रहते हैं और उनकी मृत्यु के समय उनके चेहरे पर वैसी गमगीन भावनाएं रहती हैं।
जैसी मनुष्यों में देखी जाती हैं। द टैलीग्राफ में छपे एक अध्ययन के मुताबिक एक बुजुर्ग मादा चिंपैंजी के गिर जाने पर उसके परिवार वाले न केवल घंटों उसके करीब रहे बल्कि वे इस कदर दुखी थे कि उसकी मौत के बाद काफी समय तक वे वहां से नहीं हटे।
Tuesday, April 27, 2010
70 साल से बिना कुछ खाए-पिए जिंदा
भारत में व्रत और उपवास की लंबी परंपरा रही है हालांकि शायद ही कोई हो जो वर्षो तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए जीवित रहा हो। लेकिन गुजरात में एक ऐसा शख्स भी है जिसके बारे में दावा किया जाता है कि वह पिछले 70 वर्षो से बिना कुछ खाए-पिए न केवल जीवित है बल्कि बढ़ती उम्र के असर से भी अछूता है।
राज्य के बनासकांठा जिले में स्थित एक मंदिर की गुफा में रहने वाले 81 वर्षीय प्रह्लादभाई जानी उर्फ माताजी ने गत 70 वर्षो से अन्न-जल का पूरी तरह त्याग कर दिया है और यह बात स्वास्थ्य विशेषज्ञों को आश्चर्य में डाले हुए है। अब डिफेंस इन्स्टीट्यूट आफ फिजियोलजी एंड अलायड साइसेंस (डीआईपीएएस) के विशेषज्ञ स्थानीय स्टर्लिंग अस्पताल के डाक्टरों के साथ मिलकर प्रह्लादभाई की जांच करके यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह वह बिना कुछ खाए और मल-मूत्न का त्याग किए स्वस्थ्य जीवन जी रहे हैं।
स्टर्लिंग अस्पताल के न्यूरोलाजिस्ट डा. सुधीर शाह और डीआईपीएएस की डा. इला वजगान ने बताया कि 22 अप्रैल से शुरु हुआ यह शोध सात मई तक चलेगा। डा. शाह ने कहा कि देश में लंबे समय तक उपवास रखने की परंपरा देखी जाती है लेकिन तब भोजन या पानी की कुछ मात्ना ले ली जाती है। लेकिन प्रह्लादभाई का मामला इसलिए अलग है कि उन्होंने भोजन और पानी को पूरी तरह छोड़ दिया है।
प्रह्लादभाई ने डाक्टरों को बताया है कि उनके पास विशेष कुंडलिनी शक्ति है जिसके कारण वह इतने वर्ष बिना खाए-पिए रह सके। डा. वजगान ने एक अध्ययन का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि हम इसके पीछे का रहस्य पता लगा सके तो प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों, विपरीत परिस्थितयों में पानी और भोजन की कमी से जूझते सैनिकों के लिए प्रभावी रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि प्रह्लादभाई के शरीर का अध्ययन करके पता लगाया जाएगा कि वह किस तरह अन्य लोगों से अलग है और अगर ऐसा हुआ तो इससे सैनिकों और अंतरिक्षयात्नियों को मदद मिलेगी। डाक्टरों ने बताया कि 81 वर्ष की आयु में भी प्रह्लादभाई का मस्तिष्क किसी 25 वर्षीय युवक के समान काम कर रहा है। उन पर उम्र का कोई असर नहीं दिखता। यहां तक कि आज भी वह सात मंजिला इमारत पर चढ़ सकते हैं और वह भी बिना किसी थकान के।
खेत में दिखा जीसस का चेहरा
गूगल की मानचित्र (मैप) सेवा गूगल अर्थ पर गॉड के पुत्र जीसस का चेहरा दिखाई दिया है। सेटेलाइट से लिए गए चित्र में ईस्टर्न हंगरी के एक खेत के बीचोंबीच जीसस का चेहरा दिखाई दिया। किसी जिज्ञासू इंटरनेट यूजर ने गूगल मैप्स पर हंगरी के खेतों को देखते समय इस पर ध्यान दिया। जिसमें एक खेत को गूगल मैप इमेज में देखते समय जीसस की यह तस्वीर दिखाई पड़ी। पिछले माह भी एक कुकिंग पेन पर जीसस की तस्वीर दिखाई दी थी।
Sunday, April 25, 2010
यहां पति को घसीटती हैं बीवियां
ऑस्ट्रेलिया में एक ऐसी अजीबो गरीब प्रतियोगिता होती है जिसमें पत्नियां अपने पति को घसीटती हैं। भारत में आपने लटठमार होली के बारे में तो सुना है पर क्या पति को घसीटने जैसी किसी प्रतियोगिता को देखा है। यदि नहीं तो हम लेकर आए हैं इस प्रतियोगिता की कुछ तस्वीरें। जिन्हें देखकर आप भी चौंके बगैर नहीं रह पाएंगे।
Saturday, April 24, 2010
हैप्पी बर्थडे सचिन!!!
पिछले बीस साल से लगातार अपने बल्ले से रनों की बरसात करने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर आज 37 साल के हो गए। क्रिकेट के भगवान कहे डानेवाले इस मास्टर ब्लास्टर को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई।
मिल गई दुनिया की सबसे पुरानी वंडर ब्रा
दुनिया की सबसे पुरानी वंडर ब्रा मिल गई है। जी हां, यह ब्रा करीब 200 वर्ष पुरानी है। और इसे लंदन के साइंस म्यूजियम में रखा गया है। यह ब्रा इस तरह से बनाई गई है कि ब्रेस्ट को और ज्यादा उभारकर दिखाया जा सके।
वर्तमान में मौजूद ऐसी वंडर ब्रा 1990 में हेलो बॉयज द्वारा बनाई गई थी। जिसे मॉडल इवा हर्जीगोवा ने प्रदर्शित किया था। दुनिया की सबसे पुरानी ब्रा 1800 ईसवी की है। इसे अगले बुधवार को पहली बार लोगों के देखने के लिए रखा जाएगा।
म्यूजियम की सेलीना हर्ले कहती हैं कि हम सोचते हैं कि शरीर को उभारने वाली ब्रा बनाने का चलन नया है। लेकिन इस ब्रा को देखकर ऐसा लगता है कि अपनी ब्रेस्ट को उभारने का चलन महिलाओं में कई सौ साल पहले भी रहा है। इसलिए अब यह हमारे कलेक्शन का हिस्सा है।
Friday, April 23, 2010
सूर्य का उग्र रूप
धरती से देखने पर सूर्य का सतह चाहे हमें कितना भी शांत दिखता हो परंतु सच यह है कि ताप अधिक होने के कारण यहां भयंकर आंधियां चलती हैं। इसके साथ ही सूर्य के अंदर से ऊर्जा की बहुत बड़ी राशि बाहर की ओर बवंडर के रूप में निकलती रहती है।
सोलर इक्लिप्स कहे जाने वाले इस घटना में सूर्य के सतह से सौ मेगाटन हाइड्रोजन बम के विस्फोट के बराबर ऊर्जा निकलती है। इसके फलस्वरूप निकला गर्म प्लाज्मा अंतरिक्ष में हजारों किलोमीटर तक पहुंच जाता है। सूर्य से निकलने वाले इस ऊर्जा से हमारी दुनिया के संचार तंत्र को भी क्षति पहुंचने का डर रहता है। यही कारण है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक इसका अध्ययन करने में लगे हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूर्य के अध्ययन के लिए तैनात सोलर डायनामिक्स ऑब्जरवेटरी नाम के दूरबीन से कुछ ऐसे फोटो लिए हैं, जिससे सूर्य की सतह पर चल रही हलचलों को जाना जा सकता है। आइए देखते हैं कुछ खास चित्र-
उम्रदराज ने मनाया 113वां जन्मदिन
जापान के सबसे उम्रदराज जिरोइमोन किमुरा ने गत दिनों अपने परिवार के साथ 113वां जन्मदिन मनाया। किमुरा ने कहा, जापान के अब तक के सबसे अधिक यानी 120 वर्ष तक जीवित रहने के रिकॉर्ड को तोड़ना थोड़ा मुश्किल है लेकिन यह रिकॉर्ड उनकी कोशिश को सार्थक बना सकता है। क्योदो न्यूज ने यह जानकारी दी।
19 अप्रैल 1897 को जन्मे किमुरा के 25 पड़पोते-पोतियां और 10 पड़पड़पोते-पोतियां हैं। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि वह अधिकतर समय झुककर बैठे रहते हैं। इसका कारण उनके शरीर की कमजोरी है। हालांकि इसके बावजूद वह बिना किसी मुश्किल के खाना खा लेते हैं।
इंडोनेशिया में मिला दुनिया का सबसे बड़ा कीड़ा
लंदन । इंडोनेशिया में दुनिया का सबसे लंबा कीड़ा मिला है जिसकी लंबाई लगभग दो फुट है। बोर्नियो के वर्षावन में 100 से अधिक नई प्रजातियों के बीच इस कीड़े की खोज हुई है। बोर्नियो में 123 नए जीव मिले हैं जिनमें से यह 22 इंच लंबा कीड़ा सबसे बड़ा है। फोबैटिक्स चैनी नामक यह कीड़ा जंगल के ऊंचे पेड़ पर रहता है जिसे अब नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम को सौंप दिया गया है।
उई मां...स्वीमिंग पूल में मगरमच्छ
सिडनी. उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के डार्विन शहर में हॉवर्ड स्प्रिंग हॉलीडे पार्क में सप्ताह में लगने वाली वाटर एरोबिक की क्लास उस समय स्थगित करनी पड़ी जब पूल में एक बिन बुलाया मेहमान घुस गया। यह एक पांच फुट लंबा मगरमच्छ था।
पार्क के कार्यकर्ता क्लास शुरू होने से पहले पूल में से पत्ते बाहर निकालने के लिए गए लेकिन उस समय उनकी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने पानी में एक मगरमच्छ को देखा जो जाहिर तौर पर पड़ोस में मौजूद दलदल से निकल कर बाड़ के नीचे से रेंग कर वहां घुस आया था।
उस मगरमच्छ को निकालने के लिए एक सरकारी रेंजर को बुलाया गया जिसने बताया कि वह एक ताजा पानी का मगरमच्छ है जो बुरी तरह से काट सकता है लेकिन मनुष्य के लिए आमतौर पर खतरनाक नहीं होता। कुछ देर बाद मगरमच्छ को पूल से बाहर निकाल दिया गया और स्थानीय वाइल्ड लाइफ पार्क को सौंप दिया गया।
बकरी ने मचाया नर्सिग होम में उत्पात
मैलबर्न । एक गुस्सैल बकरी ने एक नर्सिग होम में घुसकर तीन लोगों को घायल कर दिया जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। यह तब तक वहां उत्पात मचाती रही जब तर पुलिस ने आकर इसे काबू में नहीं किया। सात साल की बिल्ली नामक बकरी पास के ही किसी घर से यहां आ पहुंची थी।
जब माली ने उसे वहां से भगाने की कोशिश की तो यह उस पर चढ़ बैठी। एक सत्तर साल के व्यक्ति ने माली को बचाने की कोशिश की तो बकरी ने उसे भी ढेर कर दिया। साठ साल के माली और दूसरे व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में चोट पहुंची है।
इतने में एक महिला यह माजरा देखकर मदद मांगने दौड़ी तो उसके टखने में चोट लग गई। आखिर पुलिस ने वहां आकर बकरी को काबू में किया। यह बकरी पीटर बालासोन की थी जो पड़ोस में ही रहता है। पीटर के पड़ोसियों ने कहा, उसकी बकरियां बहुत सीधी हैं। न जाने बिल्ली को गुस्सा क्यों आ गया।
Thursday, April 22, 2010
अपने दूध से बनाती हैं खाना
लंदन. गाय की दूध से बने लजीज पकवान तो आपको खूब भाते होंगे, परंतु सोचिए अगर आपके सामने किसी महिला के दूध से बने चाय, हलवा या कुछ और पकवान परोसे जाएं तो क्या करेंगे।
अबी बलैके नाम की तीस वर्षीय महिला अपने दूध से लजीज खाना बनाती हैं। वह अपने परिवार के लिए गाय का दूध नहीं खरीदतीं। इसके जगह पर वह अपना दूध ही इस्तेमाल करती हैं। अबी ने अपने दूध से बने भोजन को कुछ खास दोस्तों को भी खिलाया है।
इसके बारे में अबी कहती हैं कि मेरा आठ माह का बच्चा है। मुझे अपने बच्चे की जरूरत से अधिक दूध आता है। इसीलिए जब मेरे बेटे का पेट भर जाता है तो मैं बाकी के बचे दूध को पम्प की सहायता से निकाल लेती हूं और इस्तेमाल करती हूं। अबी आगे कहती हैं कि जब उन्होंने अपने दूध से बना भोजन बनाया था तो परिवार के लोग नहीं खाना चाहते थे, परंतु मेरे कहने के बाद उन्होंने खाया तो खाना काफी स्वादिष्ट लगा।
लंगूर को मिली सरकारी नौकरी
कानपुर। लाल मुंह वाले बंदरों को भगाने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (एसिक) ने एक लंगूर को वेतन पर रखा है। इस लंगूर का नाम मंगल है और इसको आठ हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जाएगा।
सर्वोदय नगर स्थित एसिक भवन में लाल मुंह वाले बंदरों की भरमार है। ये खतरनाक बंदर दफ्तर में घुस कर फाइलों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही सामान भी तोड़ देते हैं। आस-पास के घरों में घुस कर फ्रिज खोलकर फल-सब्जी फेंक देना तो मामूली बात हो गई है। अब तो इन लाल मुंह वाले बंदरों ने आक्रमक रूप धर लिया है।
दफ्तर आने वाले कर्मचारियों पर ये हमला भी करने लगे है। इन बंदरों से बचने के लिए केन्द्र सरकार ने फण्ड की व्यवस्था की है। इसी फंड से मंगल को वेतन दिया जाएगा। मंगल नाम का लंगूर इन दिनों एसिक भवन के अधिकारियों के लिए वीआईपी बना हुआ है। मदारी इस लंगूर को एक लंबी रस्सी से बांधे इसे घुमाता रहता है। यहां के बंदर इससे बहुत डरते है इसी देखते ही वे सभी भाग जाते हैं। एसिक भवन के बड़े अधिकारी का कहना है कि बंदरों के उत्पात से अजिज आकर ही आठ हजार रुपए प्रतिमाह के व्यय पर लंगूर और उसके कंट्रोलर को रखा गया है।
जिंदगी और मौत की जंग
शिकार होने वाला जीव यह ध्यान रखता है कि वह किसी शिकारी के चंगुल में न पड़ जाए तो वहीं शिकारी अपनी भूख शांत करने के लिए हमेशा अपनी तकनीक बदलता रहता है।
शिकार करने के मामले में तेंदुए का कोई सानी नहीं। छिपने और रात में भी शिकार कर पाने की क्षमता इसे जंगल का सबसे घातक जानवर बना देती है। इसके इसी क्षमता को ब्रिटेन के फोटोग्राफर माइक बाइली ने अपने कैमरे में उतारा। माइक ने ये तस्वीरें अफ्रीका के बोटस्वाना के जंगल में एक जंगली सुअर को तेंदुए द्वारा शिकार बनाए जाने के समय ली हैं।