Thursday, November 19, 2009

भारत कब भटक गया ?

ईशा बाद पहली शताब्दी में यूनान से एक खोजी भारत आए और वापिस जा कर उन्होंनें भारत के सम्बन्ध में यह बात लिखी .................

In India I found a race of mortals living upon the earth , but not adhering
to it.........possessing everything but possessed by nothing------Apolloneous tyanaeus.

यह समय था महाबीर एवं बुद्ध के प्रभाव का । महाबीर यूनान के थेल्स से लगभग 25 वर्ष छोटे थे और बुध की जब मृत्यु हुयी तब सुकरात 16-17 वर्ष के थे । पश्चिम में थेल्स से अरिस्तोत्ल [from Thales to Aristotle ] तक जो विचारधारा बही उस से आधुनिक विज्ञानं का जन्म हुआ । भारत में महाबीर-बुद्ध के बाद ऐसा न हो पाया। पश्चिम में दर्शन से विज्ञानं संघर्ष करके उपर आया जैसे एक बीज से तना धरतीको फाड़ कर उपर आता है पर भारत में ऐसा न हो पाया । गैलिलियो जब बोले--पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ़ चक्कर काटती है , धर्म गुरुओं से उनको अनेक मुशीबतें मिली, उनको घर में नजर बंद कर दिया गया । सुकरात को जहर दिया गया। पश्चिम में सुकरात को नास्तिक कहा गया और भारत में महाबीर - बुद्ध को नास्तिक की संज्ञा दी गई ।

गैलिलियो की मृत्यु 1642 में हुयी और न्यूटन का जन्म हुआ । संन 1879 में मैक्सवेल की मृत्यु हुई और आइंस्टाइन का जन्म हुआ --इस तरह पश्चिम में विज्ञान की हवा चलती रही लेकिन भारत में ऐसा कुछ न हो पाया ।

Max Planck, Erwin Schrodinger, Prof. Einstein सभी नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक गीता तथा उपनिषद् प्रेमी थे ।

भारत में जब घर-घर में तुलसी के रामायण का जोर था उस समय केप्लर , टैको ब्राह्मे तथा गैलिलियो आकाश में तारों को देख कर गणित की रचना कर रहे थे ।

भारत में 10 c ce के बाद भक्ति वाद की ऐसी हवा बही की लोग सब कुछ भूल गए और भारत गुलाम होता चलागया - गजनी से ईस्ट इंडिया कम्पनी तक भारत गुलाम बना रहा। अंगरेजों के समय कुछ लोग जैसे रमन, सत्यान्द्रनाथ बोस , रामानुजन तथा जगदीश चन्द्र बोस आए लेकिन एक हवा न चल पायी .....अब 21 वीं शताब्दी में भारत के नौजवानों से काफ़ी उम्मीदें हैं ।

=====ॐ=======

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