Wednesday, November 18, 2009

आत्मा क्या है ?------२

आप के लिए कुछ प्रश्न
१- विज्ञान विकास के साथ और अतृप्त क्यो होरहा है ?
२- आज विज्ञानं क्या खोज रहा है ?
३- सजीव क्या है ? और निर्जीव क्या है ?
४- कौन जड़ और कौन चेतन है ?
५- १४ मिलिओंन वर्ष पूर्ब १०० मिलिओंन वर्ग प्रकाश-वर्ष क्षेत्रफल का प्राथमिक हाइड्रोजन एटम जो बनाथाऔर जिस से ब्रह्माण्ड की रचना हुयी थी वह किस से और किस में बना था ?
यदि आप वैज्ञानिक सोच रखते हैं तो आप इन प्रश्नों को गंभीरता से देखें । आज २१वी शताब्दी विज्ञानं की
शताब्दी है , सभींलोगो का केन्द्र मन-बुद्धि तंत्र है , सब संदेह में जीते हैं क्योकि जितना गहरा संदेह होता है , उतना
गहरा विज्ञानं निकलता है । विज्ञानं की उर्जा संदेह है और गीता की उर्जा श्रद्धा है --श्रद्धा एवं संदेह एक साथ एक
बुद्धि में नही रह सकते । आप यह न सोचें की यहाँ गीता को विज्ञानं के साथ जोडनें का प्रयत्न किया जा रहा है ।
विज्ञानं की सीमा जहाँ समाप्त सी दिखने लगाती है वहाँ से गीता प्रारंभ होता है ।
५००० इशा पूर्व गीता आत्मा को ब्यक्त करनें के सम्बन्ध में कहा ---------
आत्मा सर्व ब्यापी , अच्छेद्य , अदाह्य , अक्लेद्य , अशोष्य तथा नित्य है [गीता सूत्र..२.२४] ।
आत्मा नाश रहित, अजन्मा, अव्यय है [गीता सूत्र ..२.२१] ।
आत्मा अचिन्त्य, निर्विकार , [सूत्र ..२.२५] है ,यह न तो मारता है , न मारा जा सकता है [गीता सूत्र..२.१९] ।
यह बात गीता की ७००० वर्ष पुरानी है लेकिन आज की कण -भौतिकी [particle physics ] की खोज क्या
यही खोज नही है ?----सोचिये और खूब सोचिये जब तक आप की बुद्धि रुक न जाए --जब बुद्धि रुक जाती है तब
सत्य की अनुभूति होती है ।
आज का क्वांटम विज्ञानं [quantum mechanics ] कहता है ----कोई भी सूचना पुरी तरह से समाप्त नही
की जा सकती और आज जो भी है वह चेतना का फैलाव है अर्थात विज्ञान में आज न तो कोई चीज जड़ है न ही
कोई चीज मुर्दा है । क्या आप जानते हैं की ---कब्र में दफन ब्यक्ति के बाल एवं नाखून बढ़ते रहते हैं --ऐसा क्यों
होता है जबकि वह ब्यक्ति मुर्दा हो चुका होता है ? यदि उनमें विकास हो रहा है तो उनमे प्राण ऊर्जा भी होनी चाहिए
और प्राण ऊर्जा का दूसरा नाम ही आत्मा है
हिंदू मान्यता कहती है ---कामना का गुलाम जब मरता है तब वह भूत बन जाता है । गीता सूत्र ८.६ एवं १५.८
कहते हैं---जब आत्मा शरीर छोड़ कर जाता है तब उसके साथ मन एवं इन्द्रियाँ भी रहती हैं तथा अतृप्त सघन
कामनाएं आत्मा को नया शरीर धारण करनें के लिए बाध्य करती हैं । यह बात तो गीता की है अब आप विज्ञानं
को देखिये----विज्ञानं कहता है ....बड़े तारे अपने अंत समय में ब्लैक होल [black hole ] में बदल जाते हैं और
अपनें आस-पास के तारों को निगल जाते हैं अर्थात भूत बन जाते हैं ।
हमारा काम है आप के बुद्धि के उपर पड़े चादर को उठाना और जब ऐसा सम्भव होगा तबआप पढ़ेगे नही- लोग
आप को पढेंगे ।
=======ॐ======

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